टमाटर की खेती कैसे करें? | Tomato Farming in Hindi

टमाटर की खेती कैसे करें? | Tomato Farming in Hindi: टमाटर (Tomato) भारत में सबसे अधिक उपयोग और सबसे अधिक उगाई जाने वाली सब्ज़ियों में से एक है।
इसे सब्जियों का राजा भी कहा जाता है क्योंकि यह लगभग हर व्यंजन में स्वाद बढ़ाने का काम करता है—
चाहे दाल हो, सब्ज़ी, चटनी, सलाद या सॉस।
टमाटर की खेती से किसान कम समय में अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
यदि सही तकनीक, उन्नत बीज, और उचित सिंचाई-उर्वरक प्रबंधन अपनाया जाए, तो प्रति एकड़ लाखों तक की आय भी संभव है।
टमाटर की खेती कैसे करें? | Tomato Farming in Hindi (पूरी जानकारी)
आइए, टमाटर की खेती को शुरुआत से लेकर फसल कटाई और मार्केटिंग तक विस्तार से समझते हैं 👇
1️⃣ जलवायु और मिट्टी (Climate & Soil)
जलवायु:
टमाटर गर्म और शुष्क जलवायु में बहुत अच्छा बढ़ता है।
इसके लिए 20°C से 30°C तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है।
बहुत अधिक सर्दी या पाला (Frost) पौधों को नुकसान पहुँचाता है।
मिट्टी:
- दोमट (Loamy) या बलुई-दोमट (Sandy-loam) मिट्टी उत्तम।
- मिट्टी में पानी निकासी अच्छी होनी चाहिए।
- कालक (pH) मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
यदि मिट्टी अत्यधिक कड़ी है → गोबर की खाद व रेत मिलाएँ।
यदि अधिक रेतीली है → कम्पोस्ट और जीवामृत मिलाएँ।
2️⃣ टमाटर की उन्नत और लोकप्रिय किस्में (Varieties)
देशी / खुले परागण वाली किस्में:
| किस्म | विशेषता |
|---|---|
| पूसा रूबी | जल्दी उत्पादन |
| पूसा गौरव | रोग प्रतिरोधी |
| पूसा शीतल | गर्मी में बेहतर |
| अर्का विकास | उपज अधिक |
| अर्का मेघाली | आकार सुंदर |
हाइब्रिड (Hybrid) किस्में:
| किस्म | विशेषता |
|---|---|
| समृद्धि | अधिक उत्पादन |
| पूसा हाइब्रिड-1 | मजबूत पौधे |
| NS-2535 | रंग और स्वाद बढ़िया |
| अविनाश-2 | बाजार में अच्छी मांग |
Note: हाइब्रिड किस्मों में उपज अधिक लेकिन लागत थोड़ी अधिक होती है।
3️⃣ बीज की मात्रा (Seed Requirement)
| क्षेत्र | बीज आवश्यकता |
|---|---|
| 1 एकड़ खेत | 80–100 ग्राम |
अगर पौधे सुखा, रोग मुक्त और मजबूत बनाना चाहते हैं, तो बीज चयन उत्तम होना चाहिए।
4️⃣ नर्सरी की तैयारी (Nursery Management)
- बीजों को 10–12 घंटे पानी में भिगोकर छाया में सुखाएँ।
- 3×1 मीटर आकार की क्यारियाँ तैयार करें।
- प्रति क्यारी:
- गोबर की खाद / कम्पोस्ट : 6–8 किलो
- नीम खली : 200 ग्राम
- कार्बेन्डाजिम / बाविस्टीन : 5–10 ग्राम मिलाएँ
- बीज को हल्का दबाकर ऊपर से पतली मिट्टी की परत दें।
- सिंचाई हल्की फुहार से करें।
- अंकुरण के 20–25 दिन बाद पौधे खेत में लगाने योग्य होते हैं।
स्वस्थ पौधे = अच्छी उपज = अधिक मुनाफा
5️⃣ खेत की तैयारी (Field Preparation)
- 2–3 बार जुताई कर मिट्टी भुरभुरी करें।
- प्रति एकड़ 1 ट्रॉली सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में मिलाएँ।
- गहरी नालियाँ बनाकर जल निकास की व्यवस्था करें।
पौधे लगाने की दूरी:
- पौधे-पौधे की दूरी: 45–60 सेमी
- कतार-कतार की दूरी: 60 सेमी
यही दूरी पौधों को हवा और धूप मिलने में मदद करती है।
6️⃣ रोपाई का सही समय (Transplanting Time)
| क्षेत्र | रोपाई का समय |
|---|---|
| उत्तर भारत | जुलाई–अगस्त या अक्टूबर–नवंबर |
| दक्षिण भारत | पूरे साल संभव |
अगर गर्मी ज़्यादा है → शाम को रोपाई करें
अगर ठंड है → दिन में रोपाई करें
7️⃣ सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management)
- पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद।
- गर्मी में: 6–7 दिन के अंतराल पर।
- सर्दी में: 10–12 दिन के अंतराल पर।
ड्रिप सिंचाई लगाने से पानी की बचत + उत्पादन 25% तक बढ़ जाता है।
8️⃣ खाद और उर्वरक (Fertilizer Management)
| उर्वरक | मात्रा (प्रति एकड़) | समय |
|---|---|---|
| गोबर/कम्पोस्ट | 8–10 टन | खेत की तैयारी में |
| नाइट्रोजन (N) | 80 किग्रा | 50% रोपाई के समय + 50% फूल आने पर |
| फास्फोरस (P) | 50 किग्रा | खेत तैयारी में |
| पोटाश (K) | 50 किग्रा | खेत तैयारी में |
➡ जैविक खेती करने वाले जीवामृत, धतूरा अर्क, नीमास्त्र का उपयोग कर सकते हैं।
9️⃣ निराई-गुड़ाई (Weeding & Hoeing)
- पहली गुड़ाई रोपाई के 20–25 दिन बाद करें।
- नियमित खरपतवार निकालें।
- पौधों को सहारा (Support / Staking) देने से फल की गुणवत्ता बेहतर होती है।
🔟 रोग एवं कीट नियंत्रण (Diseases & Pest Management)
आम रोग और समाधान:
| रोग | लक्षण | नियंत्रण |
|---|---|---|
| झुलसा रोग | पत्तियाँ जलने जैसा दिखना | मैंकोजेब / बाविस्टीन 2 ग्राम/लीटर पानी में |
| मोज़ेक वायरस | पत्तियों में लाली / दाग | प्रभावित पौधे उखाड़कर नष्ट करें |
| तना/फल सड़न | डंठल और फल नरम होना | कार्बेन्डाजिम / थिरम का छिड़काव |
कीट:
| कीट | नियंत्रण |
|---|---|
| सफेद मक्खी | नीम तेल (5ml/लीटर) या इमिडाक्लोप्रिड |
| थ्रिप्स | साइपरमेथ्रिन 2ml/लीटर |
| फल छेदक | फेरोमोन ट्रैप्स + जैविक नीम अर्क छिड़काव |
रासायनिक दवाओं का प्रयोग केवल आवश्यकता होने पर और सुझाई गई मात्रा में ही करें।
1️⃣1️⃣ तोड़ाई (Harvesting)
- रोपाई के 60–75 दिन बाद तोड़ाई शुरू होती है।
- बाजार में भेजने हेतु हल्के गुलाबी या कच्चे-परिपक्व अवस्था में फल तोड़ें।
- घर या स्थानीय बाजार के लिए पके फल तोड़ें।
सावधानी: फल तोड़ते समय दबाव न डालें, इससे फल जल्दी सड़ता है।
1️⃣2️⃣ उपज (Yield Production)
| किस्म | उपज (प्रति एकड़) |
|---|---|
| हाइब्रिड | 250–300 क्विंटल |
| देशी | 150–200 क्विंटल |
1️⃣3️⃣ टमाटर की खेती में मुनाफा (Profit in Tomato Farming)
यदि बाजार भाव ₹8 से ₹20 प्रति किलो मिलता है,
तो किसान प्रति एकड़:
👉 ₹50,000 से ₹1,50,000 या
👉 सही मार्केटिंग से ₹2,00,000+ तक कमा सकते हैं।
ड्रिप सिस्टम + हाइब्रिड बीज + समय पर छिड़काव → उपज = दोगुनी
निष्कर्ष (Conclusion)
टमाटर की खेती:
- कम समय में अधिक उत्पादन
- बाज़ार में लगातार मांग
- और उचित तकनीक अपनाने पर उच्च मुनाफा देने वाली फसल है।
अगर किसान:
✔ सुधरी हुई किस्में
✔ सही रोपाई दूरी
✔ समय पर सिंचाई
✔ और रोग-कीट नियंत्रण
अपनाएँ, तो टमाटर की खेती आर्थिक रूप से बहुत लाभकारी साबित हो सकती है। 🌱🍅💰





