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लौकी (Bottle Gourd) की खेती कैसे करें?

लौकी (Bottle Gourd) की खेती कैसे करें? – पूरी जानकारी हिंदी में
लौकी (Bottle Gourd) एक महत्वपूर्ण सब्जी है जिसे भारत में बहुतायत में उगाया जाता है। इसे “कद्दू वर्गीय सब्जी” भी कहा जाता है और यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी मानी जाती है।
लौकी (Bottle Gourd) की खेती कैसे करें?
✅ लौकी की खेती की पूरी जानकारी:
1. जलवायु और भूमि का चयन
- जलवायु: लौकी गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी होती है। इसे उगाने के लिए 25°C से 35°C का तापमान उत्तम होता है।
- भूमि: अच्छे जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। पीएच मान 6.5-7.5 होना चाहिए।
2. उन्नत किस्में (High Yielding Varieties)
| किस्म का नाम | विशेषता |
|---|---|
| पूसा समृद्धि | लंबी बेल, अधिक फल |
| पूसा नवीन | जल्दी पकने वाली |
| अरका बहार | मध्यम आकार के फल |
| कलश F1 हाइब्रिड | अधिक उत्पादन |
3. बुवाई का समय
- गर्मी की फसल: फरवरी – मार्च
- बरसात की फसल: जून – जुलाई
- जायद फसल (अंतिम फसल): सितंबर – अक्टूबर
4. बीज की मात्रा
- प्रति हेक्टेयर: 3 से 5 किलोग्राम
- बीज को बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम या थिरम से उपचारित करें।
5. बुवाई की विधि
- बीजों को 1.5 से 2.5 से.मी. गहराई में बोएं।
- पंक्ति से पंक्ति की दूरी: 2-2.5 मीटर
- पौधे से पौधे की दूरी: 1-1.5 मीटर
6. खाद और उर्वरक प्रबंधन
- गोबर की खाद: 20-25 टन प्रति हेक्टेयर खेत में मिला दें।
- यूरिया: 100 किग्रा/हेक्टेयर
- DAP: 60 किग्रा/हेक्टेयर
- MOP: 50 किग्रा/हेक्टेयर
नाइट्रोजन का आधा भाग बुवाई के समय और आधा फूल आने पर डालें।
7. सिंचाई व्यवस्था
- गर्मियों में हर 5-6 दिन में एक बार सिंचाई करें।
- बरसात में जल भराव से बचें।
- टपक सिंचाई (drip irrigation) उपयुक्त मानी जाती है।
8. निराई-गुड़ाई और बेल प्रबंधन
- खरपतवार हटाने के लिए समय-समय पर निराई करें।
- बेलों को सहारा देने के लिए मचान या जाल प्रणाली (trellis system) का उपयोग करें।
9. रोग और कीट नियंत्रण
| रोग/कीट | लक्षण | नियंत्रण उपाय |
|---|---|---|
| फल मक्खी | फल सड़ना | नीम तेल का छिड़काव, फेरोमोन ट्रैप |
| पाउडरी मिल्ड्यू | सफेद चूर्ण पत्तियों पर | सल्फर 0.2% का छिड़काव |
| मृदु गीला सड़न | पौधों का गलना | ट्राइकोडर्मा का उपयोग |
10. फसल की तुड़ाई (Harvesting)
- बुवाई के 60-70 दिन बाद तुड़ाई शुरू हो जाती है।
- फल को कोमल अवस्था में ही तोड़ें, क्योंकि पुराने फल स्वादहीन हो जाते हैं।
- हर 2-3 दिन में तुड़ाई करें।
11. उपज (Yield)
12. लाभ और व्यावसायिक दृष्टिकोण
- कम लागत और अधिक लाभ देने वाली फसल।
- लौकी की मांग वर्षभर बनी रहती है।
- जैविक लौकी की खेती से अतिरिक्त लाभ मिल सकता है।
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