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आईपीओ(IPO) के नुकसान || Disadvantages of IPO in Hindi
Disadvantages of IPO

Disadvantages of IPO: आईपीओ (Initial Public Offering) एक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से एक कंपनी अपने शेयरों को सार्वजनिक रूप से निवेशकों को बेचती है। हालांकि आईपीओ निवेशकों के लिए लाभकारी हो सकता है, लेकिन इसके साथ कुछ नुकसान भी जुड़े होते हैं। नीचे आईपीओ के कुछ प्रमुख नुकसान दिए गए हैं: Disadvantages of IPO
आईपीओ(IPO) के नुकसान || Disadvantages of IPO in Hindi
1. उच्च मूल्य निर्धारण (Overvaluation)
- आईपीओ के दौरान, कंपनी के शेयरों की कीमत बहुत अधिक निर्धारित की जा सकती है, जो बाद में बाजार में सही नहीं बैठती। इसका परिणाम यह हो सकता है कि शेयर की कीमत गिर जाए और निवेशक नुकसान उठाते हैं।
- उदाहरण: यदि आईपीओ में शेयर का मूल्य ₹500 है, लेकिन बाद में कंपनी की वित्तीय स्थिति कमजोर होती है, तो शेयर की कीमत ₹400 या ₹350 तक गिर सकती है।
2. कंपनी की अनिश्चितता (Uncertainty of the Company)
- कई कंपनियाँ आईपीओ लाती हैं, जो व्यवसाय के प्रारंभिक चरण में होती हैं या जिनकी भविष्यवाणी करना कठिन होता है। इस कारण उनके भविष्य की सफलता या असफलता को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है।
- अगर कंपनी अपने लक्ष्य को हासिल करने में असफल होती है, तो निवेशक अपनी पूंजी खो सकते हैं।
3. शेयर की अस्थिरता (Volatility of Share Price)
- आईपीओ के बाद शेयर की कीमत में अस्थिरता और उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। यह शेयर के आकर्षक होने का कारण हो सकता है, लेकिन इस उतार-चढ़ाव के कारण निवेशकों को जोखिम का सामना करना पड़ता है।
- कभी-कभी, आईपीओ के बाद शेयर की कीमत बहुत तेजी से गिर जाती है, जिससे निवेशकों को नुकसान होता है।
4. लॉन्ग-टर्म निवेश की कमी (Lack of Long-Term Investment)
- कुछ निवेशक आईपीओ में केवल त्वरित लाभ की उम्मीद करते हैं और शॉर्ट-टर्म (short-term) में शेयर बेचने की योजना बनाते हैं। हालांकि, लंबे समय तक कंपनी की स्थितियों को देखने और समझने से पहले निर्णय लेना जोखिमपूर्ण हो सकता है।
5. अल्पकालिक रणनीति (Short-Term Strategy)
- आईपीओ के बाद, निवेशकों को शेयर का मूल्य जल्द ही बढ़ने की उम्मीद होती है, लेकिन अगर यह नहीं होता, तो वे अपने निवेश को जल्दी ही बेच सकते हैं। ऐसा करने से वे केवल तात्कालिक लाभ की खोज में रहते हैं और कभी-कभी यह उनकी अल्पकालिक रणनीति को गलत साबित कर सकता है।
6. लॉन्चिंग के समय निवेशकों का दबाव (Pressure of Initial Investors)
- आईपीओ के बाद, कंपनी को अपने निवेशकों और शेयरधारकों की अपेक्षाओं को पूरा करने का दबाव होता है। इससे कंपनी के लिए अच्छी प्रदर्शन करना कठिन हो सकता है, और अगर कंपनी की उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाती है, तो शेयर की कीमत घट सकती है।
7. कंपनी के प्रचार और प्रचार के खर्च (Cost of Marketing and Publicity)
- एक कंपनी जब आईपीओ लाती है, तो उसे इसके प्रचार और विज्ञापन पर एक बड़ा बजट खर्च करना पड़ता है। यह खर्च निवेशकों के लिए एक अप्रत्यक्ष नुकसान हो सकता है, क्योंकि ये लागतें कंपनी के लाभ में समाहित होती हैं।
8. नवीनतम निवेशकों के लिए प्रतिस्पर्धा (Competition from Other Investors)
- आईपीओ में कई बड़े निवेशकों द्वारा खरीदी गई बड़ी संख्या में शेयरों की वजह से नए निवेशकों के लिए इसे खरीद पाना मुश्किल हो सकता है। इससे छोटे निवेशकों को उचित मूल्य पर शेयर प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
9. शेयरधारकों का नियंत्रण खोना (Loss of Control by Founders)
- जब कोई कंपनी आईपीओ लाती है, तो संस्थापक और प्रबंधक का कंपनी में नियंत्रण कम हो सकता है, क्योंकि शेयरों का एक बड़ा हिस्सा सार्वजनिक हो जाता है। इससे कंपनी के निर्णयों में बाहरी दबाव बढ़ सकता है।
10. बाजार की स्थिति पर निर्भरता (Dependence on Market Conditions)
- आईपीओ के सफलता या असफलता का बहुत कुछ निर्भर करता है बाजार की स्थिति पर। यदि बाजार में मंदी या कोई वित्तीय संकट होता है, तो आईपीओ में निवेश करने वाले शेयरधारकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
निष्कर्ष: Disadvantages of IPO
Disadvantages of IPO: आईपीओ एक अच्छा निवेश अवसर हो सकता है, लेकिन इसमें उच्च जोखिम भी छिपा होता है। इससे पहले कि आप आईपीओ में निवेश करने का निर्णय लें, कंपनी की वित्तीय स्थिति, बाजार की वर्तमान स्थिति और कंपनी के भविष्य की योजनाओं पर गहन विचार करना आवश्यक है। Disadvantages of IPO
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