ज़िन्दगी का सफ़रनामा:- सफर सोनू निगम की ज़िंदगी का
जीरो से हीरो तक का सफर तय कर आज कामयाबी की मंजिलों पर पहुंचे सोनू निगम में सेल्फ कॉन्फिडेंस, मेहनत करने की लगन और पेशेंस सब है| सोनू निगम का जन्म 30 जुलाई, 1973 को हरियाणा के फरीदाबाद में हुआ| सोनू निगम के पिता अगम कुमार दिल्ली के एक मशहूर स्टेज गायक थे| अपने पिता के साथ 3 साल की उम्र से ही सोनू ने स्टेज शो करने शुरू कर दिए थे| अपने पिता के गाइडेंस में ही सोनू ने अपना कॅरियर आगे बढ़ाया| 12वीं तक दिल्ली में पढ़ने के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई कॉरेस्पॉंडेंस से की| दिल्ली के बाद सोनू मुंबई आए, वो न सिर्फ मुंबई आये, बल्कि तमाम रुकावटों को पार करते हुए अपना अलग मुकाम भी बनाने की कोशिश की| यहां भी उन्हें कड़े इम्तिहानों से गुजरना पड़ा| शुरुआत में सोनू निगम ने कई शो में हिस्सा लेकर अपनी गायकी का लोहा मनवाया| एक समय ऐसा भी आया जब सोनू निगम को बतौर कॉम्पिटिटिव किसी भी म्यूजिक शो में हिस्सा नहीं लेने दिया जाता था क्योंकि हर बार वही जीतते थे| उसके बाद सोनू निगम को बतौर जज या गेस्ट बुलाया जाने लगा|
बॉलिवुड के सबसे डिमांडिग सिंगर:
आज सोनू निगम बॉलिवुड के सबसे डिमांडिग सिंगर हैं| उनका हर गाना सक्सेस की गारंटी होता है| पर उन्होने भी कभी आम आदमी की ही तरह शुरुआत की थी| बॉलीवुड की राह इतनी आसान नहीं, जितनी कि यह बाहर से नज़र आती है। सोनू को यह बात समझने में देर नहीं लगी। 1991 में मुंबई आने से पहले वो कई सिंगिंग कम्पेटीशन्स जीत चुके थे। कई लोगों ने उसकी आवाज को सराहा था। कईयों ने बेहतर भविष्य की कामना भी की थी। लेकिन, मुंबई पहुंचने के बाद सोनू का पता चला कि यहां कोई किसी का पलकें बिछाकर इंतजार नहीं करता। यहां की दुनिया उनकी दुनिया से अलग है। मुंबई में फरीदाबाद और दिल्ली से अलग अपनी रफ्तार है।
कुछ समय की परेशानियों के बाद सोनू को काम मिला। सोनू का पहला गाना गुलशन कुमार की फिल्म ‘आजा मेरी जान’ के लिए सोनू ने बतौर प्लेबैक सिंगर अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया पर, बदकिस्मती से यह फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हुई और इसके बाद सोनू को एक बेहतरीन मौका मिला, टी-सीरीज के लिए एलबम रिकॉर्ड करने का| इस तरह सोनू निगन ने “रफ़ी की यादें” से अपने कॅरियर की शुरुआत की| लोगों को आवाज़ पसंद आई। पर, जिसने भी सुना उसे ये रफी का क्लोन लगा। बेशक, मोहम्मद रफी सोनू की पसंदीदा गायक थे। सोनू उन्हें बेहद पसंद भी करते थे। इस हक़ीकत का भी उन्हें अंदाजा था कि अगर बॉलीवुड में टिकना है तो अपनी अलग पहचान बनानी होगी। यहां किसी की नकल बनकर लंबे समय तक अपने पैर जमाए रखना आसान नहीं|
1995 में आई गुलशन कुमार की ही एक और फिल्म, ‘बेवफा सनम’, जिसमें उनके छोटे भाई कृष्ण कुमार ने एक्टिंग की थी, सोनू के गाए गानों ने उन्हें कामयाबी की सीढि़यों पर चढ़ा दिया। ‘ये धोखे प्यार के धोखे’ और ‘अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का’ घर-घर में बजने लगे। इसके साथ ही सोनू की आवाज़ हर घर में सुनी और पसंद की जाने लगी। फिल्म बुरी तरह से पिट गयी, पर सोनू हिट हो गए उसके बाद फिल्म सनम बेवफा के गीत “अच्छा सिला दिया तुने” से उन्हें अपार सफलता मिली| ‘बेवफा सनम’ के बाद सोनू का करियर पटरी पर चलने लगा था, पर वो रफ्तार अभी भी नदारद थी, जिसकी उन्हें दरकार थी।
इसी बीच 1997 में ‘परदेस’ फिल्म आई। सुभाष घई की इस रोमांटिक फिल्म में शाहरुख खान, अपूर्व अग्निहोत्री और महिमा चौधरी ने मुख्य भूमिकाएं निभायीं थी। इस फिल्म में सोनू का गाया गीत ‘ये दिल दीवाना, दीवाना है ये दिल’ लोगों के दिल में घर कर गया। ये गीत बेशक दर्दभरा था, पर इसकी रफ्तार बदलते जमाने के साथ तेजी से कदमताल कर रही थी। ये गाना तेज रफ्तार कार में फिल्माया गया था और इसके बाद सोनू के करियर की रफ्तार भी तेज हो गयी थी। नदीम-श्रवण की जोड़ी ने इस फिल्म में म्यूजिक दिया। बकौल सोनू इस गीत में उन्होंने माइकल जैक्सन से इंस्पिरेशन ली थी।
इसी साल में ही सोनू ने ‘बॉर्डर’ के लिए ‘संदेसे आते हैं’ गाया। अनु मलिक की धुन से सजे इसी गीत के लिए सोनू को पहली बार फिल्मफेयर के लिए नॉमिनेट किया गया। इसके बाद सोनू को 1998 छोड़कर लगभग हर साल फिल्मफेयर के लिए नॉमिनेटेड किया जाने लगा, पर 2002 में पहली बार फिल्म साथिया के लिए उन्हें पहला फिल्मफेयर मिला। सोनू निगम के कॅरियर में टीवी शो “सा रे गा मा” ने भी बहुत अहम रोल अदा किया| ये 1995 का ही दौर था जब सोनू के करियर में एक और टर्निंग प्वाइंट आया। जी टीवी के शो ‘ सा रे गा मा पा’ की होस्टिंग की जिम्मेदारी सोनू मिली। चार सालों तक सोनू इसके एंकर रहे। वह इस शो के पहले एंकर थे। इस शो ने सोनू को टीवी के जरिए हिंदुस्तान के घर-घर में पहुंचाया। इसे किस्मत ही कहा जाएगा कि साल 2007 में इसी शो के लिटिल चैम्स में वे बतौर जज शामिल हुए थे।
सोनू का पहला एल्बम:
1998 में उनकी एलबम ‘दीवाना” रिलीज हुई। ये सोनू के करियर में मील का पत्थर साबित हुई। अपने दौर की सबसे कामयाब इंडी पॉप एलबम के गाने आज भी पसंद किए जाते हैं। 2002 में पहली बार फिल्म साथिया के लिए सोनू को पहला फिल्मफेयर मिला और फिर तो मानो सोनू नें कभी पीछे मुड़ कर नही देखा|
सोनू ने अपने कॅरियर में कई बेहतरीन गाने दिए| सोनू ने अपनी गायकी के लिए कई अवार्ड भी जीते हैं| सोनू निगम को दो बार फिल्मफेयर अवार्ड फिल्म “साथिया”, “कल हो ना हो” के लिए मिला है, इसके अलावा “कल हो ना हो” के लिए ही उन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड फॉर बेस्ट प्लेबैक सिंगर अवार्ड भी मिल चुका है| सोनू निगम हिन्दी गायकी के साथ साथ कन्नड़ में भी सक्रिय रुप से गाते हैं और वहां भी उन्होंने कामयाबी के झंडे गाडे हैं| सोनू निगम को दो बार फिल्मफेयर अवार्ड “साउथ का अवार्ड” भी मिल चुका है| इन सब के अलावा सोनू ने अन्य कई अवार्डस भी जीते हैं|
सोनू निगम बॉलिवुड के सबसे डिमांडिग सिंगर हैं| उनका हर गाना सफल होता है| बार्डर फिल्म का ‘संदेशे आते है और परदेस में “ये दिल दीवाना” गाया| 2008 में उन्होंने युवराज, रब ने बना दी जोड़ी में गीत गाए| अपने लुक्स के साथ हमेंशा कुछ नया करने वाले गायक सोनू निगम ने कई बार अपनी आवाज के साथ भी नया प्रयोग किये है|