जी हां, यही सच है, अगर आप महंगी कॉफी के शौकीन हैं तो हो सकता है आपने भी हाथी के गोबर का स्वाद चख ही लिया होगा। क्योंकि दुनिया की सबसे महंगी कॉफी हाथी के गोबर से ही बनी होती है।
एनपीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्लैक आइवरी कॉफी हाथी के गोबर से निकले बीजों से बनाई जाती है। आपको बता दें कि इसकी एक कप कॉफी की कीमत 4,200 रूपये होती है। इस महंगी और अनोखी कॉफी को बनाने के पीछे कनाडा के बिजनेसमैन ब्लेक डिंकिन का दिमाग है। डिंकिन का इस कॉफी के आविष्कार को लेकर काफी मजाक भी उड़ाया जाता है। डिंकिन की इस कॉफी को लोग कैपेचिन्नो, ब्रू नंबर-2 , गुड टू लास्ट ड्रॉपिंग नाम से लोग चिढ़ाते भी हैं।
डिंकिन ने अपने इस हाथी के गोबर वाली कॉफी के आईडिया के बारे में कहा कि अगर मुझे यह आईडिया सही नहीं लगेगा तो मैं अपनी जिंदगी के 10 साल और इसमें खर्च नहीं करूंगा। हाथी जब माइक्रोब्स और पत्ती खाते हैं तो सेलुलेस की वजह से उनके गोबर में निकले बीजों में मिठास आ जाती है। इसके बाद कॉफी के बीज का स्वाद कॉफी और चाय की तुलना में ज्यादा मीठा होता जाता है।
इस कॉफी का स्वाद चाय और कॉफी के मिश्रण जैसा लगता होता है। इस कॉफी को थाईलैंड के गोल्डन ट्रॉयंगल में एशियन हाथियों के गोबर से बनाया जाता है। करीब 33 किलोग्राम कॉफी बीन से एक किलो ब्लैक आइवरी कॉफी बनाई जाती है।
हालांकि इस कॉफी का ज्यादातर हिस्सा हाथी के पाचन तंत्र में ही खराब हो जाता है। हालांकि जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल ये अनोखी कॉफी अभी कुछ पांच सितारा होटलों और रिसॉर्ट में ही उपलब्ध है। इस कॉफी का आईडिया क ोपी लुवैक कॉफी की तरह है, जिसके बीजों को जानवर खाने के बाद मल के जरिए बाहर निकाल देते हैं और इन बीजों का इस्तेमाल बाद में कॉफी बनाने के लिए किया जाता था।
एनपीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्लैक आइवरी कॉफी हाथी के गोबर से निकले बीजों से बनाई जाती है। आपको बता दें कि इसकी एक कप कॉफी की कीमत 4,200 रूपये होती है। इस महंगी और अनोखी कॉफी को बनाने के पीछे कनाडा के बिजनेसमैन ब्लेक डिंकिन का दिमाग है। डिंकिन का इस कॉफी के आविष्कार को लेकर काफी मजाक भी उड़ाया जाता है। डिंकिन की इस कॉफी को लोग कैपेचिन्नो, ब्रू नंबर-2 , गुड टू लास्ट ड्रॉपिंग नाम से लोग चिढ़ाते भी हैं।
डिंकिन ने अपने इस हाथी के गोबर वाली कॉफी के आईडिया के बारे में कहा कि अगर मुझे यह आईडिया सही नहीं लगेगा तो मैं अपनी जिंदगी के 10 साल और इसमें खर्च नहीं करूंगा। हाथी जब माइक्रोब्स और पत्ती खाते हैं तो सेलुलेस की वजह से उनके गोबर में निकले बीजों में मिठास आ जाती है। इसके बाद कॉफी के बीज का स्वाद कॉफी और चाय की तुलना में ज्यादा मीठा होता जाता है।
इस कॉफी का स्वाद चाय और कॉफी के मिश्रण जैसा लगता होता है। इस कॉफी को थाईलैंड के गोल्डन ट्रॉयंगल में एशियन हाथियों के गोबर से बनाया जाता है। करीब 33 किलोग्राम कॉफी बीन से एक किलो ब्लैक आइवरी कॉफी बनाई जाती है।
हालांकि इस कॉफी का ज्यादातर हिस्सा हाथी के पाचन तंत्र में ही खराब हो जाता है। हालांकि जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल ये अनोखी कॉफी अभी कुछ पांच सितारा होटलों और रिसॉर्ट में ही उपलब्ध है। इस कॉफी का आईडिया क ोपी लुवैक कॉफी की तरह है, जिसके बीजों को जानवर खाने के बाद मल के जरिए बाहर निकाल देते हैं और इन बीजों का इस्तेमाल बाद में कॉफी बनाने के लिए किया जाता था।