वर्ष 2001 की बात है. ऑस्ट्रेलियाई टीम तीन मैचों की टेस्ट सीरीज़ खेलने भारत आई थी. इसके पहले वह लगातार 15 मैच जीतने का विश्व कीर्तिमान बना चुकी थी. पहले टेस्ट में भारत को हराकर कंगारुओं ने यह 16 तक पहुंचा दिया. यानी एक तरह से विश्व क्रिकेट में कंगारुओं का एकछत्र राज था. दूसरे टेस्ट में भी सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली जैसे धुरंधरों से लैस भारतीय टीम की इज़्ज़त दांव पर लगी थी. पहली पारी में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 445 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया. इसके जवाब में बल्लेबाज़ी करने उतरी भारतीय टीम महज़ 171 रनों पर ही लुढ़क गई. यानी भारतीय टीम को फॉलोऑन खेलना पड़ा.
लक्ष्मण और द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों की अहमियत इसी बात से आंकी जा सकती है कि यदि ये दोनों धुरंधर खिलाड़ी टीम में शामिल नहीं होते हैं तो भारत की हालत बेहद दयनीय हो जाती है.
दूसरी पारी में भी 232 रनों तक पहुंचते-पहुंचते भारत के चार खिलाड़ी पैवेलियन लौट चुके थे. इस तरह भारत पर पारी की हार का ख़तरा मंडराने लगा, लेकिन भारत की पहली पारी में सर्वाधिक 59 रन बनाने वाले वांगिपुरप्पा वेंकट साईं यानी वी वी एस लक्ष्मण अभी क्रीज पर डटे हुए थे. जब एक बार लक्ष्मण ने कंगारू गेंदबाज़ों की क्लास लेनी शुरू की तो अगले दो दिनों तक आउट ही नहीं हुए. जब आउट हुए तो भारत का स्कोर 608 रनों तक पहुंच चुका था. यानी भारत अब इस मैच को किसी भी तरह हारने की हालत में नहीं था. इस दौरान लक्ष्मण ने 281 रनों की मैराथन पारी खेली. इसी का नतीज़ा था कि भारत इस मैच को न स़िर्फ बचाने, बल्कि कंगारुओं को मात देने में भी कामयाब रहा.
एक बार फिर लक्ष्मण ने अपनी यही उपयोगिता साबित की है. मैदान भी वही यानी कोलकाता का ईडेन गार्डेन. विपक्षी विश्व की नंबर दो टीम दक्षिण अफ्रीका. इस बार भी श्रृंखला का दूसरा टेस्ट. हालांकि इस बार हालात 2001 जैसे नहीं थे, लेकिन यहां भी भारतीय टीम सीरीज़ का पहला टेस्ट हार चुकी थी. दूसरे टेस्ट में भारत को मज़बूत स्थिति में ले जाने में लक्ष्मण का योगदान का़फी अहम था. लक्ष्मण ने 143 रनों की नाबाद पारी खेलकर इस श्रृंखला में भारत की वापसी कराने में अहम भूमिका निभाई.
लक्ष्मण और द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों की अहमियत इसी बात से आंकी जा सकती है कि यदि ये दोनों धुरंधर खिलाड़ी टीम में शामिल नहीं होते हैं तो भारत की हालत बेहद दयनीय हो जाती है. दक्षिण अफ्रीका के साथ पहला टेस्ट इसका स्पष्ट उदाहरण है. भारत को पारी की हार का मुंह देखना पड़ा. लक्ष्मण की बल्लेबाज़ी की ख़ासियत यही है कि वह दुनिया के बेहतरीन गेंदबाज़ों और टीम के ख़िला़फ बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं. इसकी मिसाल ऑस्ट्रेलिया के ख़िला़फ उनके द्वारा खेली गई बेहतरीन पारियां हैं. यही वजह है कि उन्हें वी वी एस लक्ष्मण यानी वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण का नाम दिया गया.
लक्ष्मण की बल्लेबाज़ी को क़रीब से देखने वाले कहते हैं कि उनका अंदाज़ दुनिया के बाक़ी खिलाड़ियों से बिल्कुल ज़ुदा है. उनकी तुलना न तो सचिन तेंदुलकर और न ही राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज़ों से की जा सकती है. हां, कहने वाले इतना ज़रूर कहते हैं कि बल्लेबाज़ी में उनकी कलाई का जादू पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन से ज़रूर मेल खाता है. लेकिन, इन सबके बावजूद वह मौजूदा क्रिकेट में अपनी एक अलग पहचान रखते है, जिसकी तुलना किसी भी खिलाड़ी से नहीं हो सकती है. लक्ष्मण की अपनी एक अलग ही बल्लेबाज़ी शैली है.