बैंक
बैंक एक ऐसी संस्था है जो जनता से धनराशियों को स्वीकार करता है जिनका भुगतान मांग पर किया जाता है और उनका आहरण चैक द्वारा किया जाता है। ऐसी धनराशियों का उपयोग किसी प्रकार के अपने निजी व्यापार के लिए नहीं किया जाता बल्कि अन्य व्यक्तियों को उधार देने के लिए किया जाता है। 'उधार' शब्द में उधारकर्ताओं को सीधे उधार तथा खुले बाजार की प्रतिभूतियों में निवेश के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप में उधार देना, दोनों शामिल हैं, एक ठोस बैंकिंग प्रणाली राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के विकास में प्रमुख भूमिका निभाती है। भारत में, बैकिंग प्रणाली की शुरूआत काफी पहले वर्ष 1881 में हुई थी जब कि अवध वाणिज्यिक बैंक नामक प्रथम बैंक की स्थापना की गई थी। इसके बाद वर्ष 1894 में 'पंजाब नेशनल बैंक' की स्थापना की गई। बाद में देश में कई वाणिज्यिक बैंक स्थापित हो गए। बैंकों की संख्या, जो जुलाई 1969 में 8,300 थी कई गुणा बढ कर जून 1985 में 47,000 हो गई। उससे देश में बैकिंग सुविधाओं की समग्र उपलब्धता में काफी वृद्धि हुई है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) सर्वोच्च मुद्रा-प्राधिकारी है जो देश में बैकिंग प्रणाली के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है। इसकी स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के उपबंधों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को की गई थी। हालांकि मूलत: यह निजी स्वामित्व में था लेकिन वर्ष 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद रिज़र्व बैंक पूर्णत: भारत सरकार के स्वामित्व में है। इसका राष्ट्रीयकरण भारतीय रिज़र्व बैंक (सरकारी स्वामित्व में अंतरण), 1948 के आधार पर किया गया था। परिणामस्वरूप, बैंक की पूंजी के सभी शेयरों को केंद्र सरकार को अंतरित माना गया, जिसके लिए एक उचित मुआवजे की रकम का भुगतान किया गया। रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय मुंबई में स्थापित किया गया है और इसके 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांश राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। बैकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकिंग क्षेत्र के विनियमन के लिए विधिक ढांचे का प्रावधान किया गया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) सर्वोच्च मुद्रा-प्राधिकारी है जो देश में बैकिंग प्रणाली के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है। इसकी स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के उपबंधों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को की गई थी। हालांकि मूलत: यह निजी स्वामित्व में था लेकिन वर्ष 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद रिज़र्व बैंक पूर्णत: भारत सरकार के स्वामित्व में है। इसका राष्ट्रीयकरण भारतीय रिज़र्व बैंक (सरकारी स्वामित्व में अंतरण), 1948 के आधार पर किया गया था। परिणामस्वरूप, बैंक की पूंजी के सभी शेयरों को केंद्र सरकार को अंतरित माना गया, जिसके लिए एक उचित मुआवजे की रकम का भुगतान किया गया। रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय मुंबई में स्थापित किया गया है और इसके 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांश राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। बैकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकिंग क्षेत्र के विनियमन के लिए विधिक ढांचे का प्रावधान किया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:-
मूल्य में स्थिरता बनाए रखने और उत्पादनकारी क्षेत्रों को ऋण का उचित प्रवाह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मौद्रिक नीति तैयार करना,
बैंक कार्यों के लिए व्यापक मानदंडों का निर्धारण करते हुए, जिनके अंतर्गत बैंकिंग प्रणाली कार्य करेगी, वित्तीय प्रणाली का विनियमन एवं पर्यवेक्षण करना।.
विदेश व्यापार की सुविधा और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के सुव्यवस्थित विकास और रखरखाव के लिए विदेशी मुद्रा की व्यवस्था करना।.
मुद्रा (करेंसी) और सिक्के जारी करना और संचलन के लिए अनुप्रयुक्त मुद्रा और सिक्कों को बदलना अथवा नष्ट करना, ताकि जनता को हालत में करेंसी नोटों की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति की जा सके
राष्ट्रीय लक्ष्यों की उपलब्धि में सहायता देने के लिए अनेक संवर्धनात्मक कार्य निष्पादित करना.
केंद्र और राज्य सरकारों के बैंकर के तौर पर कार्य करना
सभी अनुसूचित बैंकों के बैंक खातों का रखरखाव करते हुए बैंकों के बैंकर के तौर पर कार्य करना।
संरचना एवं वर्तमान परिदृश्य
बैंक कार्यों के लिए व्यापक मानदंडों का निर्धारण करते हुए, जिनके अंतर्गत बैंकिंग प्रणाली कार्य करेगी, वित्तीय प्रणाली का विनियमन एवं पर्यवेक्षण करना।.
विदेश व्यापार की सुविधा और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के सुव्यवस्थित विकास और रखरखाव के लिए विदेशी मुद्रा की व्यवस्था करना।.
मुद्रा (करेंसी) और सिक्के जारी करना और संचलन के लिए अनुप्रयुक्त मुद्रा और सिक्कों को बदलना अथवा नष्ट करना, ताकि जनता को हालत में करेंसी नोटों की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति की जा सके
राष्ट्रीय लक्ष्यों की उपलब्धि में सहायता देने के लिए अनेक संवर्धनात्मक कार्य निष्पादित करना.
केंद्र और राज्य सरकारों के बैंकर के तौर पर कार्य करना
सभी अनुसूचित बैंकों के बैंक खातों का रखरखाव करते हुए बैंकों के बैंकर के तौर पर कार्य करना।
संरचना एवं वर्तमान परिदृश्य
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अनुसार, भारत में बैकों को अनुसूचित और गैर-अनुसूचित बैंकों में वर्गीकृत किया गया है। अनुसूचित बैंक ऐसे बैंक हैं जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में दर्ज किया गया है। इसमें वे बैंक शामिल होते हैं जिनकी प्रदत्त पूंजी और आरक्षित निधि का समग्र मूल्य 5 लाख रुपए से कम न हो और जो भारतीय रिजर्व बैंक को इस बात का विश्वास दिलाएं कि वे जमाकर्ताओं के हित में कार्य कर रहे हैं। जबकि गैर-अनुसूचित बैंक वे बैंक है जिन्हें अधिनियम की दूसरी अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है। अनुसूचित बैंकों में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और अनुसूचित सहकारी बैंक शामिल हैं। इसके अलावा, भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को उनके स्वामित्व और/अथवा कार्य की प्रकृति के अनुसार पांच भिन्न-भिन्न समूहों: में वर्गीकृत किया गया है- (i) राष्ट्रीयकृत बैंक; (ii) भारतीय स्टेट बैंक और इसके सहयोगी बैंक; (iii) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी); (iv) विदेशी बैंक; और (v) अन्य भारतीय निजी क्षेत्र बैंक। अनुसूचित सहकारी बैंकों में अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक और अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक|
वर्तमान में देश में 170 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक हैं, जिनमें 91 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) 19 राष्ट्रीकृत बैंक, भारतीय स्टेट बैंक समूह के 7 बैंक और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया लि. (आईडीबीआई) लि. इसके अलावा देश में केवल चार गैर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक हैं।
देश के राष्ट्रीकृत बैंकों में शामिल हैं:-
इलाहाबाद बैंक
आंध्रा बैंक
बैक ऑफ बड़ौदा
बैंक ऑफ इंडिया
बैंक ऑफ महाराष्ट्र
केनरा बैंक
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
कॉर्पोरेशन बैंक
देना बैंक
इंडियन बैंक
इंडियन ओवरसीज़ बैंक
ओरियन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स
पंजाब एण्ड सिंध बैंक
पंजाब नेशनल बैंक
सिंडीकेट बैंक
यूको बैंक
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
यूनाइटिड बैंक ऑफ इंडिया
विजया बैंक
भारती स्टेट बैंक (एसबीआई) और इसके सहयोगी बैंकों में शामिल हैं :-
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई)
स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर (एसबीबीजे)
स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (एसबीएच)
स्टेट बैंक ऑफ इंदौर (एसबीआईआर)
स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (एसबीएम)
स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (एसबीपी)
स्टेट बैंक ऑफ ट्रावनकोर (एसबीटी)
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी):- की स्थापना देश में वैयक्तिक राष्ट्रीयकृत वाणिज्यिक बैंकों के प्रायोजन पर की गई है। इन बैंकों का लक्ष्य बैंकिंग सुविधाएं ग्रामीण जन समूह के दरवाजें तक ले जाना है, विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों में। इसका लक्ष्य छोटे तथा उपेक्षित किसानों, कृषि मजदूरों, दस्तकारों और छोटे उद्यमियों को ऋण प्रदान करना था, ताकि वे ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादक गतिविधियां विकसित कर सके। इसकी संकल्पना ऐसे संस्थानों के रूप में की गई थी जो सहकारी और वाणिज्यिक दोनों प्रकार के बैंकों की विशेषताओं को शामिल कर सके। आरंभ में 1975 के दौरान ऐसे 5 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना मुरादाबाद, गोरखपुर उत्तर प्रदेश में; हरियाणा में भिवानी; राजस्थान में जयपुर तथा पश्चिम बंगाल में मालदा में की गई थी। परन्तु धीरे धीरे इन बैंकों का विस्तार होता गया है और इनकी वृद्धि तथा विस्तार के लिए सरकार ने अनेक नीतिगत उपाय किए हैं।
विदेशी बैंक:- सिटी बैंक की भांति, एचएसबीसी, स्टैंडर्ड बैंक, आदि इन बैंकों की शाखाएं हैं, जिन्हें विदेशों में निगमित किया गया है। इनमें से अधिकांश मूलत: स्थानीय बैंकों के समान सेवाएं प्रदान करते हैं, सिवाए इसके कि उत्पाद और ग्राहकों के संदर्भ में उनके सीमित शाखा नेटवर्क के कारण उनका फोकस भिन्न हो सकता है। ये नई प्रौद्योगिकी लाते हैं और साथ ही अंतरराष्ट्रीय उत्पादों को घरेलू बाजार में परिचित कराने के साथ उनका समामेलन कराते हैं। वे स्थानीय बैंकिंग उद्योग के साथ वित्तीय केन्द्रों में विदेश में होने वाले विकास के साथ तालमेल बनाए रखते हैं। वे भारतीय नैगमों को विदेशी पूंजी बाजार में पहुंच बनाने में भी सहायता करते हैं। उदारीकरण के प्रति रुझान बनाए रखते हुए सरकार ने भारत में विदेशी बैंकों के प्रवेश और प्रचालन का विस्तार क्षेत्र व्यापक बनाने के लिए अनेक उपाय आरंभ किए हैं।
राज्य सहकारी बैंक (एससीबी) :- तीन स्तरीय सहकारी ऋण संरचना का शीर्ष बनाता है, इसे वैयक्तिक राज्यों के स्तर पर व्यवस्थित किया गया है। जबकि, शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) का अर्थ शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक सहकारी बैंक से है। आरंभ में इन बैंकों को केवल गैर कृषि प्रयोजन के लिए तथा अनिवार्यत: छोटे उधारकर्ताओं और व्यापारियों को धन उधार देने की अनुमति थी। आज इनके प्रचालन का कार्यक्षेत्र काफी विस्तारित हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के शहरी बैंक विभाग को शहरी सहकारी बैंकों के विनियमन और पर्यवेक्षण का दायित्व सौंपा गया है।
इलाहाबाद बैंक
आंध्रा बैंक
बैक ऑफ बड़ौदा
बैंक ऑफ इंडिया
बैंक ऑफ महाराष्ट्र
केनरा बैंक
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
कॉर्पोरेशन बैंक
देना बैंक
इंडियन बैंक
इंडियन ओवरसीज़ बैंक
ओरियन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स
पंजाब एण्ड सिंध बैंक
पंजाब नेशनल बैंक
सिंडीकेट बैंक
यूको बैंक
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
यूनाइटिड बैंक ऑफ इंडिया
विजया बैंक
भारती स्टेट बैंक (एसबीआई) और इसके सहयोगी बैंकों में शामिल हैं :-
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई)
स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर (एसबीबीजे)
स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (एसबीएच)
स्टेट बैंक ऑफ इंदौर (एसबीआईआर)
स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (एसबीएम)
स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (एसबीपी)
स्टेट बैंक ऑफ ट्रावनकोर (एसबीटी)
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी):- की स्थापना देश में वैयक्तिक राष्ट्रीयकृत वाणिज्यिक बैंकों के प्रायोजन पर की गई है। इन बैंकों का लक्ष्य बैंकिंग सुविधाएं ग्रामीण जन समूह के दरवाजें तक ले जाना है, विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों में। इसका लक्ष्य छोटे तथा उपेक्षित किसानों, कृषि मजदूरों, दस्तकारों और छोटे उद्यमियों को ऋण प्रदान करना था, ताकि वे ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादक गतिविधियां विकसित कर सके। इसकी संकल्पना ऐसे संस्थानों के रूप में की गई थी जो सहकारी और वाणिज्यिक दोनों प्रकार के बैंकों की विशेषताओं को शामिल कर सके। आरंभ में 1975 के दौरान ऐसे 5 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना मुरादाबाद, गोरखपुर उत्तर प्रदेश में; हरियाणा में भिवानी; राजस्थान में जयपुर तथा पश्चिम बंगाल में मालदा में की गई थी। परन्तु धीरे धीरे इन बैंकों का विस्तार होता गया है और इनकी वृद्धि तथा विस्तार के लिए सरकार ने अनेक नीतिगत उपाय किए हैं।
विदेशी बैंक:- सिटी बैंक की भांति, एचएसबीसी, स्टैंडर्ड बैंक, आदि इन बैंकों की शाखाएं हैं, जिन्हें विदेशों में निगमित किया गया है। इनमें से अधिकांश मूलत: स्थानीय बैंकों के समान सेवाएं प्रदान करते हैं, सिवाए इसके कि उत्पाद और ग्राहकों के संदर्भ में उनके सीमित शाखा नेटवर्क के कारण उनका फोकस भिन्न हो सकता है। ये नई प्रौद्योगिकी लाते हैं और साथ ही अंतरराष्ट्रीय उत्पादों को घरेलू बाजार में परिचित कराने के साथ उनका समामेलन कराते हैं। वे स्थानीय बैंकिंग उद्योग के साथ वित्तीय केन्द्रों में विदेश में होने वाले विकास के साथ तालमेल बनाए रखते हैं। वे भारतीय नैगमों को विदेशी पूंजी बाजार में पहुंच बनाने में भी सहायता करते हैं। उदारीकरण के प्रति रुझान बनाए रखते हुए सरकार ने भारत में विदेशी बैंकों के प्रवेश और प्रचालन का विस्तार क्षेत्र व्यापक बनाने के लिए अनेक उपाय आरंभ किए हैं।
राज्य सहकारी बैंक (एससीबी) :- तीन स्तरीय सहकारी ऋण संरचना का शीर्ष बनाता है, इसे वैयक्तिक राज्यों के स्तर पर व्यवस्थित किया गया है। जबकि, शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) का अर्थ शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक सहकारी बैंक से है। आरंभ में इन बैंकों को केवल गैर कृषि प्रयोजन के लिए तथा अनिवार्यत: छोटे उधारकर्ताओं और व्यापारियों को धन उधार देने की अनुमति थी। आज इनके प्रचालन का कार्यक्षेत्र काफी विस्तारित हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के शहरी बैंक विभाग को शहरी सहकारी बैंकों के विनियमन और पर्यवेक्षण का दायित्व सौंपा गया है।
इस व्यवस्था को देखते हुए उदारीकरण के साथ भारत के बैंक अब केन्द्रीय बैंकिंग गतिविधियों के अलावा गैर पारम्परिक और विविधीकृत क्षेत्रों में उद्यम कर रहे हैं। वे घरेलू तथा विदेशी मोर्चे पर बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा का सामना कर रहे हैं। अत: बदले हुए परिवेश में एक बैंच मार्क बनने के लिए उन्हें प्रभावी रूप में लाभ प्रदता, दक्षता, तकनीकी उन्नयन, ग्राहक संतुष्टि आदि जैसे मुद्दों से निपटने