सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग में भविष्य
समय के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल करियर के निर्माण या उसे दिशा देने में पर्याप्त क्षमता वाले साधन के रूप में उभरकर सामने आया है। अकसर देखा जाता है कि कुछ लोग तकनीकी रूप से बड़े ही प्रतिभावान होते हैं और साथ ही वे अपने क्षेत्र में निपुण भी होते हैं, किंतु उनके करियर में एक निश्चित बिंदु के बाद ठहराव-सा आ जाता है और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनमें नेतृत्व क्षमता, समूह में काम करना, सामाजिक सम्प्रेषण तथा संबंध निर्माण कौशलों का अभाव होता है। सॉफ्ट स्किल एक व्यापक क्षेत्र है जिसमें सम्प्रेषण कौशल, श्रवण कौशल, टीम कौशल, नेतृत्व के गुण, सृजनात्मकता और तर्कसंगति, समस्या निवारण कौशल तथा परिवर्तनशीलता आदि सम्मिलित हैं।
सॉफ्ट स्किल सामान्यतः गुण-स्वरुप होते हैं और इन्हें पुस्तकों से नहीं सीखा जा सकता। लेकिन औपचारिक प्रशिक्षण निश्चित रुप से आपको कुशल बना सकता है और यदि आप विशिष्ट कौशलों में सुधार करना चाहते हैं तो यह कुछ सूत्र और तकनीकों की शिक्षा प्रदान कर सकता है। यदि आप सही अर्थों में अपने व्यक्तित्व में सॉफ्ट स्किलों को जोड़ना चाहते हैं तो आपको एक निकटदर्शी तथा उत्सुकतापूर्ण लर्नर की भूमिका अपनानी होगी और एक श्रमशील कामगार बनकर उन सब बातों को व्यवहार में लाना होगा जो कुछ भी आपने ग्रहण की हैं। यहां कुछ ऐसे सॉफ्ट स्किलों का उल्लेख किया जा रहा है जो आपके रोजगार की संभावनाओं और व्यक्तित्व में सुधार कर सकते हैं।
प्रभावी सम्प्रेषण कौशल
प्रभावी सम्प्रेषण कौशलों में सार्वजनिक भाषणों, प्रस्तुतिकरण, बातचीत, संघर्ष समाधान ज्ञान-बांटना आदि के लिए मौखिक कौशल, रिपोर्टे, प्रस्ताव, अनुदेश मैनुअल तैयार करना, ज्ञापन, सूचनाएं लिखना, कार्यालयी पत्र-व्यवहार आदि के लिए लेखन कौशल शामिल हैं। इनमें मौखिक और गैर-मौखिक दोनों का सम्मिश्रण भी सम्मिलित है। चूंकि हमारा सम्प्रेषण का अधिकारिक माध्यम अंग्रेजी है, इसलिए इसमें कुछ हद तक दक्षता होना जरूरी है।
अंग्रेजी हमारी द्वितीय भाषा है और यह हमारी मातृभाषा नहीं है, अतः घर/हॉस्टल में सतत प्रैक्टिस और तदुपरांत भाषा-प्रयोगशाला सत्रों की आवश्यकता समय की मांग है। जो संस्थान अपने छात्रों की प्लेसमेंट बहुराष्ट्रीय और प्रतिष्ठित कम्पनियों में करवाना चाहते हैं उन्हें इस विषय पर गहराई के साथ सोच-विचार करने और ध्यान देने की जरूरत है।
गुणवत्ता का रोजगार संबंधित विषय के ज्ञान के साथ-साथ अच्छे सम्प्रेषण कौशल पर निर्भर करता है।
अंतर वैयक्तिक और सामूहिक कार्य कौशल
अंतर-वैयक्तिक और सामूहिक-कार्य कौशल उच्चतर उत्पादकता तथा बेहतर वातावरण के लिए योगदान करते हैं। क्योंकि इनसे व्यक्ति संयुक्त लक्ष्य हासिल करने हेतु मिलकर कार्य करते हैं। कुछेक व्यक्ति जन्म से ही अग्रणी प्रकृति के होते हैं अथवा टीम कार्य के लिए अपेक्षित अन्तर्ज्ञान से ओत-प्रोत होते हैं। लेकिन सामान्यतः इन कौशलों को पढ़ाये जाने की आवश्यकता होती है अथवा प्रैक्टिस और जागरुकता से इन्हें सीखा जा सकता है। इस कौशल के चार आयाम होते हैं, जिनके नाम हैः सहयोग, सम्प्रेषण, कार्य, नीतिशास्त्र और नेतृत्व। सहयोग के लिए उनके विचारों पर समझौते की योग्यता को प्रदर्शित करना, टीम सदस्यों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार और टीम में सर्वसम्मति से कार्य करना सम्मिलित होता है। यह सम्प्रेषण टीम-सदस्यों के बीच एक गतिशील पारस्परिक क्रिया की स्थापना और फीडबैक का आमंत्रण तथा उसे प्रदान करना तथा संघर्ष की स्थिति को हल करना अपेक्षित होता है। कार्य नीति-शास्त्र में सौंपे गये कार्य हेतु जिम्मेदारी स्वीकार करना, कोई भी सोंपे गये कार्य को समय पर करना और अन्य टीम सदस्यों को यथापेक्षित सहायता प्रदान करना शामिल है। टीम के सभी सदस्यों के लिए वास्तव में नेतृत्व प्रदर्शित करना अपेक्षित होता है। इसमें कार्रवाई की शुरुआत करना, अवधारणाओं का स्पष्टीकरण और समस्या निदान तथा गतिविधियों तथा परिणामों का संक्षेपण करना सम्मिलित होता है।
व्यक्तिगत कौशल
बहुत से लोग इस बात को लेकर अचम्भित होते हैं कि वे व्यवसाय में अपेक्षानुसार सफल क्यों नहीं होते हैं। बहुत बार कारण उनके निकट ही होता है परंतु वे इसे देख नहीं पाते हैं। पहली बात, जिसे किसी व्यक्ति द्वारा पूछा जाना चाहिए, वह है, “क्या मैं अपने वैयक्तिक जीवन और संबंधों में सफल हूं?” व्यक्तिगत कौशल, वे कौशल होते हैं जो आपको न केवल समाज और कार्य क्षेत्र में स्वीकार्य तथा सम्मान योग्य बनाते हैं बल्कि एक अच्छा रोजगार प्राप्त करने और बेहतर करियर विकास में आपकी मदद करते हैं। इनमें निर्णय करने की योग्यता, चौकसी, निश्चयात्मकता, शांति, वचनबद्धता, सहयोग. भावुक स्थिरता, परानुभूति, लचीलापन, उदारता, सहनशीलता, आत्म-विश्वास, आत्म-नियंत्रण, आत्म-निर्भरता, आत्म-सम्मान, ईमानदारी और अन्यों के बीच विनोदशीलता की अनुभूति आदि सम्मिलित हैं।
समस्या-निदान एवं अन्य ज्ञानात्मक कौशल
अपने रोजमर्रा के जीवन में अकसर आपको ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है जब आप सही फैसले करने में असमर्थ होते हैं। आपके सामने ऐसी स्थितियां उत्पन्न होने की ज्यादा संभावनाएं उस वक्त होती हैं जब आप किसी संगठन में कार्य करते हैं। ऐसी दबावपूर्ण स्थितियों का मुकाबला करने के वास्ते आपको कुछेक ऐसे कौशल विकसित करने की आवश्यकता है जो आपको निर्णय लेने, सृजनात्मक एवं अन्वेषणात्मक समाधान विकसित करने, व्यावहारिक हल ढूंढने, समस्याओं का स्वतंत्र रूप में पता लगाने और उनको हल करने और विभिन्न क्षेत्रों में समस्याओं के निदान में कार्य-नीतियां लागू करने में मददगार हो सकते हैं।
अनुकूलनशीलता एवं कार्य नीति-शास्त्र
यह एक सर्व वीदित तथ्य है कि आधुनिक संगठन तीव्रता से अपने अंदर बदलाव ला रहे हैं और औद्योगिक युग के पिछले सौ वर्षों में बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकीय परिवर्तन हुए हैं। फलस्वरूप, किसी आधुनिक संगठन में कार्यरत कोई कर्मचारी न केवल कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार होना चाहिए बल्कि उसमें लचीलेपन के साथ-साथ तेजी से हो रहे परिवर्तनों के अनुरुप ढालने की योग्यता भी होनी चाहिए। नियोक्ता को अनुकूलनशीलता विकसित करने के लिए विभिन्न कौशलों की आवश्यकता होती है, जैसेकि विभिन्न सांस्कृतियों के बीच सम्प्रेषण, अन्यों के साथ बहु-सांस्कृतिक कार्य वातावरण तैयार करना, अन्यों की विश्वास और धारणा संबंधी प्रणालियों का सम्मान करना, कार्य स्थल पर जातीय/सांस्कृतिक भेदभाव से बचना आदि।
कार्य नीतिशास्त्र कड़ी मेहनत और उद्यमशीलता के नैतिक सदगुणों पर आधारित मूल्यों का एक समूह है, जो नियोक्ता या किसी व्यक्ति की नैतिकता के आधार पर उन्हें खरा उतारता है। कार्य नीति-शास्त्र में विश्वसनीय बनना, सामाजिक कौशलों के लिए काम करना और उन्हें बरकरार रखने की कला को शामिल किया जा सकता है। इनके अलावा जिम्मेदारी की अनुभूति, ईमानदारी और वचनबद्धता को भी इनमें शामिल किया जा सकता है।
उपर्युक्त कौशल हासिल करने के वास्ते आपको स्व-जागरुक बनने की आवश्यकता है अर्थात आपको अपने विचारों और दृष्टिकोण में सकारात्मकता लानी होगी। पढ़ना भी आपके लिए अपने कौशलों में सुधार करने का एक अन्य मार्ग हो सकता है और यह आपके आसपास के वातावरण तथा विश्व के बेहतर परिदृश्य के विकास में भी मददगार साबित हो सकते हैं। आपको नए-नए विचारों और अनुभवों को भी ग्रहण करना चाहिए तथा परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए परिवर्तनों को अपनाना चाहिए। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आपको सदैव यह याद रखने की आवश्यकता है कि इन कौशलों को पूरे समर्पण के साथ व्यवहार में लाएं। प्रैक्टिस से आपके कार्य में सुधार होता है और आपको अपनी त्रुटियों और कमियों को जानने तथा उन्हें दूर करने में मदद मिलती है जिससे आप में आत्म-विश्वास की भावना पनपती है।
रोजगार की संभावनाएं
आजकल ज्यादातर संगठन अपने कर्मचारियों में उनके सकारात्मक, सम्प्रेषण, अंतर-वैयक्तिक और टीम कौशलों, समस्या निदान, अनुकूलनशीलता और कार्य-नीतिशास्त्र में सुधार हेतु प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इससे एक तरफ जहां उनके व्यवसाय और व्यक्तिगत जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है वहीं दूसरी तरफ संगठन की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। अतः सॉफ्ट स्किल में पाठ्यक्रम पूरा करने के उपरांत कोई व्यक्ति किसी निजी या सार्वजनिक संगठन में सॉफ्ट स्किल प्रशिक्षक के रूप में रोजगार प्राप्त कर सकता है और अच्छा वेतन अर्जित कर सकता है।
व्यक्तित्व विकास
समय के साथ-साथ अब फोकस एक सामान्य व्यक्ति से सुशिक्षित और परिपक्व व्यक्तित्व की ओर हो गया है। विभिन्न संगठनों, खासकर कम्पनियों को ऐसे व्यक्तियों की तलाश रहती है जो कुशाग्र और सुशिक्षित होते हैं। उनमें ऐसे सम्प्रेषण कौशल होने चाहिए कि वे सबसे आगे रहें। इसके लिए वे अपने कर्मचारियों को भर्ती के उपरांत प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। लेकिन वे उन व्यक्तियों को वरीयता देते हैं जो पहले से अपने क्षेत्र में बेहतर होते हैं। चूंकि ज्यादातर लोग प्रतिभाओं के साथ जन्म लेते हैं, परंतु उन्हें परिष्कृत और शिक्षित करने की आवश्यकता होती है। उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए बाजार में बहुत से संस्थान संचालित किए जा रहे हैं। ये संस्थान काफी धन अर्जन कर रहे हैं और इस तरह सॉफ्ट स्किल प्रशिक्षकों को आकर्षक रोजगार का विकल्प प्रदान कर रहे हैं।
शिक्षण
हाल में सॉफ्ट स्किल प्रशिक्षकों के लिए शिक्षण कार्य भी एक अच्छे विकल्प के रूप में उभरकर सामने आया है क्योंकि सभी इंजीनियरिंग और प्रबंध संस्थानों में तकनीकी कौशल एक अनिवार्य विषय के रूप में शामिल होता है। वहां पर छात्रों को साक्षात्कार और समूह चर्चा में बेहतर प्रदर्शन के लिए अपेक्षित अन्य वैयक्तिक कौशलों के साथ-साथ प्लेसमेंट और सम्प्रेषण कौशलों के लिए प्रशिक्षित और तैयार किया जाता है। चूंकि किसी संस्थान का विकास पूर्णतः उसके छात्रों की रोजगार प्लेसमेंट पर निर्भर करता है, अतः सॉफ्ट-स्किल प्रशिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
शिक्षा
सॉफ्ट-स्किल में पाठ्यक्रम संचालित करने वाले बहुत से संस्थान हैं और इनमें से सॉफ्ट स्किल में लघु प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित करने वाले कुछ संस्थान निम्नानुसार हैं :
• भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की
• भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर
• भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर
• राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, चंडीगढ़
• राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, कोलकाता
• राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, भोपाल
प्लेसमेंट
पाठ्यक्रम पूरा करने के उपरांत कोई भी व्यक्ति किसी सार्वजनिक या निजी संगठन, शैक्षणिक संस्थान में रोजगार प्राप्त कर सकता है अथवा अपना स्वयं का प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर सकता है।