जन सम्पर्क (Public Relations) में करियर के अवसर
जैसे विज्ञान हमें पदार्थों, मशीनों और पद्धतियों पर व्यापक नियंत्रण प्रदान करता है, उसी तरह हमें बढ़ती हुई प्रभावकारिता के साथ व्यक्तियों से व्यवहार करना सीखना चाहिए। प्रभाव डालने की मनोवृत्ति के एक साधन के रूप में जन सम्पर्क, जनमत पर प्रभाव डाल कर हमारी भौतिक उन्नति के लिए अपेक्षित सामाजिक अनुकूलन में व्यापक तीव्रता ला सकता है। संचार में क्रांति, जिसका हमने पहले उल्लेख किया था, परिवर्तन के किसी गतिवर्धक से कहीं अधिक है। इसने मानवीय गत्यात्मकता की एक सम्पूर्ण नई पद्धति का सृजन किया है। समाज के विभिन्न पहलुओं, विशेष रूप से जीवन शैली तथा मनोवृत्ति में परिवर्तन का अनुभव किया जा रहा है। समाज में वर्तमान परिवर्तन मुख्य रूप से जनता की मनोवृत्ति में परिवर्तन के कारण आया है, भले ही वह व्यवसाय, शिक्षा, विज्ञान या प्रौद्योगिकी में हों। यही कारण है कि जन सम्पर्क आज बड़ी तेजी से पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित कर रहा है।
सभी संगठनों, चाहे वे सरकारी हों अथवा निजी, में नया नेतृत्व जन-मनोवृत्ति के महत्व से भिज्ञ हो गया है। कुछ या तो जन-सम्पर्क से अवगत हैं अथवा उस पर ध्यान जाने पर ग्रहणशील हैं। जैसे-जैसे वे पुराने कवच को धीरे-धीरे बदलेंगे जन सम्पर्क की संकल्पना के महत्व तथा गतिशीलता में कार्य-क्षेत्र तथा परिणाम में बढ़ने की संभावना है। ये परिवर्तन ऐसा परिवेश सृजित करेंगे, जिसमें सभी संगठन अस्तित्व में रहें। किसी संगठन के लिए मानवीय परिवेश की समझ उतनी ही महत्वपूर्ण होती है जितना महत्वपूर्ण मौसम किसी किसान के लिए होता है।
जन सम्पर्क किसी प्रबंधन कार्य का पर्याय है और इसमें निगरानी, मूल्यांकन तथा आपसी संबंध स्थापित करने जैसे कार्यकलाप सम्मिलित हैं तथा यह किसी संगठन एवं जनता के बीच एक तालमेल या समझौता सृजित करता है। अब ऐसे मामलों में ‘जनता’का अर्थ जन-समूह नहीं है, बल्कि इसमें पणधारी (स्टेक होल्डर्स), ग्राहक, मीडिया और यहां तक कि संगठन के कर्मचारी भी शामिल हैं। इसका उद्देश्य संचार के माध्यमों में सुधार करना और सूचना तथा समझ के प्रवाह का मार्ग खोलने के लिए पद्धतियां स्थापित करना है। जब मीडिया लोकप्रिय संगठनों में आता है तो यह जन सम्पर्क प्रक्रिया में एक अहम भूमिका निभाता है। कुछ भी हो, मीडिया हमेशा बनाने या बिगाड़ने की ‘शक्ति’ रखता है। इसलिए मीडिया से अच्छे संबंध बनाना और उसे बनाए रखना अनिवार्य हो जाता है।
जनता में प्रतिष्ठता बनाए रखना सफलता की एक सीढ़ी है। बाजार में ख्याति के लिए किसी के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि जनता आपको या आपके संगठन को कैसा समझती है और यह कार्य पूर्णतः किसी जन सम्पर्क अधिकारी का होता है। संगठन के अंदर तथा बाहर संबंध स्थापित करने और उन्हें बनाए रखने में जन सम्पर्क अधिकारी एक अहम भूमिका निभाता है। संगठन के अंदर वे प्रबंधतंत्र-कर्मचारी वार्ताएं आयोजित करते हैं, कर्मचारियों को संगठन की नीतियों आदि के बारे में जानकारी देते हैं। उन्हें सरकारी विभागों, मजदूर-संघों, प्रेस आदि से भी संबंध बनाए रखना होता है, जिनका सहयोग संगठन की सुचारू कार्य-प्रक्रिया के लिए अनिवार्य होता है।
संकट की स्थिति किसी भी जन सम्पर्क अधिकारी के लिए निर्णायक परीक्षा होती है। विवादों को किसी उपयुक्त रूप में संभालना एक अच्छा जन सम्पर्क अधिकारी होने का प्रमाण होता है। जन सम्पर्क कर्मी के रूप में आपको विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, ताकि संगठन की छवि बनी रहे। आप यह कार्य कितनी अच्छी तरह करते हैं, इसका प्रमाण आपके शंसा-पत्रों में मिलेगा। इस करियर के एक नए पहलू में किसी जन सम्पर्क अधिकारी द्वारा निरूपित विशेष हित-समूह के अनुकूल विधि के उद्धरण प्रकाशित करना है। यह एक ऐसी नीति है जो पर्यावरण, मानव अधिकारों तथा शैक्षिक मामलों पर जनता में जागरूकता पैदा करने और नीति-निर्माताओं पर प्रभाव डालने के लिए प्रयुक्त की जाती है।
अपने ग्राहक-गण से जान-पहचान बनाना इस कार्य का एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें जाने-माने नाम जैसे राजनीतिक दल/नेता, मॉडल और फिल्मी सितारे शामिल हो सकते हैं। इसमें विभिन्न पहलुओं जैसे ठीक पहनावे, किसी विशेष तरीके से व्यवहार करना तथा जनता एवं मीडिया को संबोधित करने पर अपने ग्राहक को परामर्श देना शामिल है।
तैनाती
करियर-अवसरों के संबंध में जन सम्पर्क में उत्पाद-प्रचार, कार्पोरेट प्रचार, सरकार से संबंधों में सुधार, कर्मचारियों के लिए न्यूज-लेटर, बुलेटिन, पत्रिकाएं आदि जैसे कार्पोरेट प्रकाशन प्रकाशित करना सम्मिलित है। जन सम्पर्क अधिकारी कार्पोरेट क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र, सरकारी एजेंसियों, पर्यटन-एजेंसियों, होटलों, बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं और निजी परामर्श-फर्मों में रखे जाते हैं। इन्हें ऐसी राजनीतिक हस्तियां, मॉडल और फिल्मी सितारे भी नियोजित करते हैं जो अपनी तस्वीर, प्रोफ़ाइल तथा साक्षात्कार पत्रिकाओं में प्रकाशित कराना चाहते हैं और जिन्हें ऐसे एजेंटों की आवश्यकता होती है जो उनकी अपेक्षित छवि का सृजन करें और उसे बनाए रखें। वे पत्रकारों से संबंध स्थापित करते हैं और उसे बनाए रखते हैं, कार्यपालक स्पीच एवं वार्षिक रिपोर्टें लिखते हैं तथा अपने ग्राहक की ओर से पूछताछ का उत्तर देते हैं और उनके लिए प्रेस से सीधे बोलते हैं, उन्हें, किसी कंपनी के उत्पाद एवं नीतियों द्वारा प्रभावित कई समूहों-उपभोक्ता, स्टेक होल्डरों, कर्मचारियों तथा प्रबंधन निकाय के बीच संचार-माध्यम खोले रखने चाहिए। जन सम्पर्क कर्मी प्रेस-विज्ञप्ति भी लिखते हैं और वे सामग्रियों के विक्रय का विपणन प्रचार में भी लगे हो सकते हैं। प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ रही प्रतिस्पर्धा के साथ ही जन सम्पर्क कार्यपालकों की मांग भी निश्चय ही बढ़ रही है।
कौशल
जन सम्पर्क में एक सफल करियर के लिए आपमें कुछ गुण होने चाहिए जैसे उत्कृष्ट संचार कौशल, जो किसी के विचारों को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करने में अत्यधिक सहायक होगा। अच्छा व्यक्तित्व होना तथा संगठन में और बाहर लोगों से मेल-मिलाप की क्षमता होना भी महत्वपूर्ण है। दबाव में कार्य करने के दौरान शिष्ट तथा शांत बने रहना एक अतिरिक्त योग्यता है। विश्वास, दूरदर्शिता, इवेंट प्रबंधन और संकट की स्थिति को संभालना भी एक सफल जन सम्पर्क अधिकारी की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। अनुसंधान सूचना एवं योजना गति- विधियों के निरूपण के लिए विश्लेषिक कौशल होना आवश्यक है। एक सचेत मस्तिष्क, लचीलापन, विनोदशीलता की अच्छी समझ और व्यवहार कुशलता जन सम्पर्क व्यावसायियों के गुण होते हैं।
शिक्षा एवं प्रशिक्षण
कई संस्थान जन सम्पर्क में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम चलाते हैं। ऐसे पाठ्यक्रम की लागत लगभग रुपये 20000/- से रुपये 25000/- के बीच हो सकती है। कोई भी व्यक्ति जो किसी भी विषय में स्नातक है वह जन सम्पर्क पाठ्यक्रम के लिए आवेदन करने का पात्र होता है। विज्ञापन में अधिकांश प्रशिक्षण-कार्यक्रमों में जन सम्पर्क भी अध्ययन के विषय के रूप में शामिल होता है।
संस्थान
• लखनऊ विश्वविद्यालय
• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
• जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय
• भारतीय जन संचार संस्थान
• मुद्रा संचार संस्थान
• सिम्बियोसिस पत्रकारिता एवं संचार संस्थान
• इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय
• उस्मानिया विश्वविद्यालय
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
• नरसी मोनजी प्रबंधन अध्ययन संस्थान
जैसे विज्ञान हमें पदार्थों, मशीनों और पद्धतियों पर व्यापक नियंत्रण प्रदान करता है, उसी तरह हमें बढ़ती हुई प्रभावकारिता के साथ व्यक्तियों से व्यवहार करना सीखना चाहिए। प्रभाव डालने की मनोवृत्ति के एक साधन के रूप में जन सम्पर्क, जनमत पर प्रभाव डाल कर हमारी भौतिक उन्नति के लिए अपेक्षित सामाजिक अनुकूलन में व्यापक तीव्रता ला सकता है। संचार में क्रांति, जिसका हमने पहले उल्लेख किया था, परिवर्तन के किसी गतिवर्धक से कहीं अधिक है। इसने मानवीय गत्यात्मकता की एक सम्पूर्ण नई पद्धति का सृजन किया है। समाज के विभिन्न पहलुओं, विशेष रूप से जीवन शैली तथा मनोवृत्ति में परिवर्तन का अनुभव किया जा रहा है। समाज में वर्तमान परिवर्तन मुख्य रूप से जनता की मनोवृत्ति में परिवर्तन के कारण आया है, भले ही वह व्यवसाय, शिक्षा, विज्ञान या प्रौद्योगिकी में हों। यही कारण है कि जन सम्पर्क आज बड़ी तेजी से पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित कर रहा है।
सभी संगठनों, चाहे वे सरकारी हों अथवा निजी, में नया नेतृत्व जन-मनोवृत्ति के महत्व से भिज्ञ हो गया है। कुछ या तो जन-सम्पर्क से अवगत हैं अथवा उस पर ध्यान जाने पर ग्रहणशील हैं। जैसे-जैसे वे पुराने कवच को धीरे-धीरे बदलेंगे जन सम्पर्क की संकल्पना के महत्व तथा गतिशीलता में कार्य-क्षेत्र तथा परिणाम में बढ़ने की संभावना है। ये परिवर्तन ऐसा परिवेश सृजित करेंगे, जिसमें सभी संगठन अस्तित्व में रहें। किसी संगठन के लिए मानवीय परिवेश की समझ उतनी ही महत्वपूर्ण होती है जितना महत्वपूर्ण मौसम किसी किसान के लिए होता है।
जन सम्पर्क किसी प्रबंधन कार्य का पर्याय है और इसमें निगरानी, मूल्यांकन तथा आपसी संबंध स्थापित करने जैसे कार्यकलाप सम्मिलित हैं तथा यह किसी संगठन एवं जनता के बीच एक तालमेल या समझौता सृजित करता है। अब ऐसे मामलों में ‘जनता’का अर्थ जन-समूह नहीं है, बल्कि इसमें पणधारी (स्टेक होल्डर्स), ग्राहक, मीडिया और यहां तक कि संगठन के कर्मचारी भी शामिल हैं। इसका उद्देश्य संचार के माध्यमों में सुधार करना और सूचना तथा समझ के प्रवाह का मार्ग खोलने के लिए पद्धतियां स्थापित करना है। जब मीडिया लोकप्रिय संगठनों में आता है तो यह जन सम्पर्क प्रक्रिया में एक अहम भूमिका निभाता है। कुछ भी हो, मीडिया हमेशा बनाने या बिगाड़ने की ‘शक्ति’ रखता है। इसलिए मीडिया से अच्छे संबंध बनाना और उसे बनाए रखना अनिवार्य हो जाता है।
जनता में प्रतिष्ठता बनाए रखना सफलता की एक सीढ़ी है। बाजार में ख्याति के लिए किसी के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि जनता आपको या आपके संगठन को कैसा समझती है और यह कार्य पूर्णतः किसी जन सम्पर्क अधिकारी का होता है। संगठन के अंदर तथा बाहर संबंध स्थापित करने और उन्हें बनाए रखने में जन सम्पर्क अधिकारी एक अहम भूमिका निभाता है। संगठन के अंदर वे प्रबंधतंत्र-कर्मचारी वार्ताएं आयोजित करते हैं, कर्मचारियों को संगठन की नीतियों आदि के बारे में जानकारी देते हैं। उन्हें सरकारी विभागों, मजदूर-संघों, प्रेस आदि से भी संबंध बनाए रखना होता है, जिनका सहयोग संगठन की सुचारू कार्य-प्रक्रिया के लिए अनिवार्य होता है।
संकट की स्थिति किसी भी जन सम्पर्क अधिकारी के लिए निर्णायक परीक्षा होती है। विवादों को किसी उपयुक्त रूप में संभालना एक अच्छा जन सम्पर्क अधिकारी होने का प्रमाण होता है। जन सम्पर्क कर्मी के रूप में आपको विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, ताकि संगठन की छवि बनी रहे। आप यह कार्य कितनी अच्छी तरह करते हैं, इसका प्रमाण आपके शंसा-पत्रों में मिलेगा। इस करियर के एक नए पहलू में किसी जन सम्पर्क अधिकारी द्वारा निरूपित विशेष हित-समूह के अनुकूल विधि के उद्धरण प्रकाशित करना है। यह एक ऐसी नीति है जो पर्यावरण, मानव अधिकारों तथा शैक्षिक मामलों पर जनता में जागरूकता पैदा करने और नीति-निर्माताओं पर प्रभाव डालने के लिए प्रयुक्त की जाती है।
अपने ग्राहक-गण से जान-पहचान बनाना इस कार्य का एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें जाने-माने नाम जैसे राजनीतिक दल/नेता, मॉडल और फिल्मी सितारे शामिल हो सकते हैं। इसमें विभिन्न पहलुओं जैसे ठीक पहनावे, किसी विशेष तरीके से व्यवहार करना तथा जनता एवं मीडिया को संबोधित करने पर अपने ग्राहक को परामर्श देना शामिल है।
तैनाती
करियर-अवसरों के संबंध में जन सम्पर्क में उत्पाद-प्रचार, कार्पोरेट प्रचार, सरकार से संबंधों में सुधार, कर्मचारियों के लिए न्यूज-लेटर, बुलेटिन, पत्रिकाएं आदि जैसे कार्पोरेट प्रकाशन प्रकाशित करना सम्मिलित है। जन सम्पर्क अधिकारी कार्पोरेट क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र, सरकारी एजेंसियों, पर्यटन-एजेंसियों, होटलों, बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं और निजी परामर्श-फर्मों में रखे जाते हैं। इन्हें ऐसी राजनीतिक हस्तियां, मॉडल और फिल्मी सितारे भी नियोजित करते हैं जो अपनी तस्वीर, प्रोफ़ाइल तथा साक्षात्कार पत्रिकाओं में प्रकाशित कराना चाहते हैं और जिन्हें ऐसे एजेंटों की आवश्यकता होती है जो उनकी अपेक्षित छवि का सृजन करें और उसे बनाए रखें। वे पत्रकारों से संबंध स्थापित करते हैं और उसे बनाए रखते हैं, कार्यपालक स्पीच एवं वार्षिक रिपोर्टें लिखते हैं तथा अपने ग्राहक की ओर से पूछताछ का उत्तर देते हैं और उनके लिए प्रेस से सीधे बोलते हैं, उन्हें, किसी कंपनी के उत्पाद एवं नीतियों द्वारा प्रभावित कई समूहों-उपभोक्ता, स्टेक होल्डरों, कर्मचारियों तथा प्रबंधन निकाय के बीच संचार-माध्यम खोले रखने चाहिए। जन सम्पर्क कर्मी प्रेस-विज्ञप्ति भी लिखते हैं और वे सामग्रियों के विक्रय का विपणन प्रचार में भी लगे हो सकते हैं। प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ रही प्रतिस्पर्धा के साथ ही जन सम्पर्क कार्यपालकों की मांग भी निश्चय ही बढ़ रही है।
कौशल
जन सम्पर्क में एक सफल करियर के लिए आपमें कुछ गुण होने चाहिए जैसे उत्कृष्ट संचार कौशल, जो किसी के विचारों को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करने में अत्यधिक सहायक होगा। अच्छा व्यक्तित्व होना तथा संगठन में और बाहर लोगों से मेल-मिलाप की क्षमता होना भी महत्वपूर्ण है। दबाव में कार्य करने के दौरान शिष्ट तथा शांत बने रहना एक अतिरिक्त योग्यता है। विश्वास, दूरदर्शिता, इवेंट प्रबंधन और संकट की स्थिति को संभालना भी एक सफल जन सम्पर्क अधिकारी की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। अनुसंधान सूचना एवं योजना गति- विधियों के निरूपण के लिए विश्लेषिक कौशल होना आवश्यक है। एक सचेत मस्तिष्क, लचीलापन, विनोदशीलता की अच्छी समझ और व्यवहार कुशलता जन सम्पर्क व्यावसायियों के गुण होते हैं।
शिक्षा एवं प्रशिक्षण
कई संस्थान जन सम्पर्क में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम चलाते हैं। ऐसे पाठ्यक्रम की लागत लगभग रुपये 20000/- से रुपये 25000/- के बीच हो सकती है। कोई भी व्यक्ति जो किसी भी विषय में स्नातक है वह जन सम्पर्क पाठ्यक्रम के लिए आवेदन करने का पात्र होता है। विज्ञापन में अधिकांश प्रशिक्षण-कार्यक्रमों में जन सम्पर्क भी अध्ययन के विषय के रूप में शामिल होता है।
संस्थान
• लखनऊ विश्वविद्यालय
• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
• जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय
• भारतीय जन संचार संस्थान
• मुद्रा संचार संस्थान
• सिम्बियोसिस पत्रकारिता एवं संचार संस्थान
• इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय
• उस्मानिया विश्वविद्यालय
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
• नरसी मोनजी प्रबंधन अध्ययन संस्थान