वैज्ञानिक आज तक निश्चित नहीं कर पाए हैं, कि डायनासोर का रंग क्या था।
शुक्र ग्रह पर एक दिन पृथ्वी के एक साल से बड़ा होता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे -40 डिग्री फारेनहाइट -40 डिग्री सेल्सियस के बराबर है।
शनि ग्रह का घनत्व इतना कम हैं कि यदि कांच के किसी विशालकर बर्तन में पानी भरकर शनि को उसमें डाला जाये तो वह उसमें तैरने लगेगा।
तापमान चाहे कितना भी कम क्यों न हो जाए, गैसोलीन कभी भी नहीं जमता।
जब आप किसी सीधी चढ़ाई वाले पहाड़ पर चढ़ते हैं तो आपके घुटनों पर आपके शरीर का तीन गुना भार होता है।
अगर किसी एक आकाश गंगा के सारे तारे नमक के दाने जितने हो जाए तो वह Olympic का पूरा का पूरा Swimming pool भर सकते हैं.
हवा तब तक आवाज नही करती जब यह किसी वस्तु के विपरीत न चले.
बृहस्पति इतना बड़ा ग्रह हैं की यदि शेष सभी ग्रह को आपस में जोड़ दिया जाये तो वह संयुक्त ग्रह भी बृहस्पति से छोटा ही रहेगा।
एक व्यक्ति बिना खाने के एक महीना रह सकता है पर बिना पानी के 7 दिन. अगर शरीर में पानी की मात्रा 1 प्रतिशत से कम हो जाए तो आप प्यास महसूस करने लगते है. अगर यह मात्रा 10 प्रतिशत से कम हो जाए तो आप की मौत हो जाएगी.
अभी तक उल्का पिंड द्वारा सिर्फ एक ही बनावटी उपग्रह नष्ट किया गया है. यह उपग्रह European Space Agency का Olympics(1993) था.
एक नजरिये से तापमान मापने के लिए Celsius स्केल Fahrenheit स्केल से ज्यादा अक्लमंदी से बनाया गया. पर इसके निर्माता Andero Celsius एक अनोखे वैज्ञानिक थे. जब उन्होंने पहली बार इस स्केल को विकसित किया, उन्होंने गलती से जमा दर्जा 100 और ऊबाल दर्जा 0 डिग्री बनाया. पर कोई भी उन्हें इस गलती को कहने का हौसला न कर सका, सों बाद के वैज्ञानिकों ने सकेल को ठीक करने के लिए उनकी मृत्यु का इंतजार किया.
Albert Einestein के अनुसार हम रात को आकाश में लाखों तारे देखते है जगह नही होते बल्कि कही और होते है. हमें तों उनके द्वारा छोडा गया कई लाख प्रकाश साल पहले का प्रकाश होता है.
आम तौर पे classes में पढ़ाया जाता है कि प्रकाश की गति 3 लाख किलोमीटर प्रति सैकेंड होती है. पर असल में यह गति 2,99,792 किलोमीटर प्रति सैकेंड होती है. यह 1,86,287 मील प्रति सैकेंड के बराबर होती है.
October 1992 में लंदन के आकार जितना बड़ा बर्फ का गोला Antarctic से टूट कर अलग हो गया था.
अगर हम प्रकाश की गति से अपनी नजदीकी गैलैक्सी (Galaxy) पर जाना चाहे तो हमें 20 साल लगेगें.
विश्व की सबसे भारी धातु ऑस्मियम है। इसकी 2 फुट लंबी, चौड़ी व ऊँची सिल्ली का वज़न एक हाथी के बराबर होता है।
जब पानी से बर्फ बन रही होती तो लगभग 10% पानी तो उड़ ही जाता है. इसलिए ही हमारे फ्रिज में Tray (ट्रे) पर पानी जमा हो जाता है.
दुनिया के सबसे महंगे पदार्थ की कीमत सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। इसका नाम जानने के बाद आप ये सोंच भी नहीं सकेंगे कि वाकई में इसकी कीमत इतनी ज्यादा होगी। आपमें से ज्यादातर लोग इसे सोना, चांदी या हीरा मान रहे होंगे। अगर ऐसा है तो आपको गलतफहमी में है। दुनिया की सबसे महंगा पदार्थ एंटीमैटर(प्रतिपदार्थ)है। प्रतिपदार्थ पदार्थ का एक ऐसा प्रकार है जो प्रतिकणों जैसे पाजीट्रान, प्रति-प्रोटान, प्रति-न्युट्रान मे बना होता है. ये प्रति-प्रोटान और प्रति-न्युट्रान प्रति क्वार्कों मे बने होते हैं. इसकी कीमत सुनकर आपके होश उड़ जायेंगे। 1 ग्राम प्रतिपदार्थ को बेचकर दुनिया के 100 छोटे-छोटे देशों को खरीदा जा सकता है। जी हां,1 ग्राम प्रतिपदार्थ की कीमत 31 लाख 25 हजार करोड़ रुपये है। नासा के अनुसार,प्रतिपदार्थ धरती का सबसे महंगा मैटीरियल है। 1 मिलिग्राम प्रतिपदार्थ बनाने में 160 करोड़ रुपये तक लग जाते हैं। जहां यह बनता है, वहां पर दुनिया की सबसे अच्छी सुरक्षा व्यवस्था मौजूद है। इतना ही नहीं नासा जैसे संस्थानों में भी इसे रखने के लिए एक मजबुत सुरक्षा घेरा है। कुछ खास लोगों के अलावा प्रतिपदार्थ तक कोई भी नहीं पहुंच सकता है। दिलचस्प है कि प्रतिपदार्थ का इस्तेमाल अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहों पर जाने वाले विमानों में ईधन की तरह किया जा सकता है।
न्युट्रॉन तारे इतने घने होते हैं कि उनका आकार तो एक गोल्फ बाल जितना होता है मगर द्रव्यमान(वज़न) 90 अरब किलोग्राम होता है.
अगर धरती का आकार एक मटर जितना कर दें तो बृहस्पति इससे 300 मीटर दूर होगा और प्लुटो 2.5 किलोमीटर . मगर प्लुटो आपको दिखेगा नही क्योंकि तब इसका आकार एक बैक्टीरिया जितना होगा.
सूर्य द्वारा छोड़े गए 800 अरब से ज्यादा न्यूट्राॅन आपके शरीर में से गुजर गये होंगे जब तक आपने ये वाक्य पढ़ा है।
विश्व के विद्युत उत्पादन का एक तिहाई सिर्फ बल्बों के द्वारा प्रकाश पाने में खर्च होता है।
हर घंटे Universe सभी दिशाओ में 1 billion miles से भी ज्यादा फैल जाती है।