महिला बांझपन का स्टेप टू स्टेप ईलाज का प्रोसेस – Step to Step Treatment Process of Female Infertility

महिला बांझपन का स्टेप टू स्टेप ईलाज का प्रोसेस  – Step to Step Treatment Process of Female Infertility
महिला बांझपन का स्टेप टू स्टेप ईलाज का प्रोसेस  – Step to Step Treatment Process of Female Infertility

महिलाओं में बांझपन के कई कारण होते हैं। उनमें से एक कारण महिला की उम्र भी होती है। जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती है उसे गर्भधारण करने में कठिनाई होती है क्योंकि अंडे (egg) कम होने लगते हैं। इस प्रकार से उसका प्रजनन काल भी कम होने लगता है। माना जाता है कि 30 साल की उम्र के बाद गर्भधारण करने की क्षमता घटने लगती है। 

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फैलोपियन ट्यूब को टूट जाना

फैलोपियन ट्यूब अंडाशय से अंडे लेकर गर्भाशय में पहुंचाता है जहां भ्रूण का विकास (development) होता है। पेल्विक में इंफेक्शन और सर्जरी कारण फैलोपियन ट्यूब क्षतिग्रस्त हो जाता है जिसके कारण यह स्पर्म को अंडों तक पहुंचने से रोकता है और इस कारण महिलाओं को बांझपन की समस्या हो जाती है।

हार्मोन की समस्या

यदि किसी महिला के शरीर में सामान्य हार्मोन परिवर्तन नहीं हो रहा है तो वह मां नहीं बन सकती है क्योंकि हार्मोन परिवर्तन के कारण ही अंडाशय से अंडे निकलते हैं और गर्भाशय की सतह को मोटा करके गर्भधारण की क्षमता विकसित करते हैं।

सर्वाइकल समस्या 

कुछ महिलाएं को सर्वाइकल की समस्या (cervical problem) होती है जिसके कारण स्पर्म सर्वाइकल कैनाल से नहीं गुजर पाते हैं।

गर्भाशय में समस्या

गर्भाशय में पॉलीप्स और फाइब्रॉयड की समस्या होने पर प्रेगनेंसी में परेशानी आती है। गर्भाशय की सतह के गर्भकला (endometrium) पर जब बहुत अधिक कोशिकाएं विकसित होने लगती हैं तो गर्भाशय पॉलीप्स और फाइब्रॉयड की समस्या पैदा हो जाती है और गर्भ धारण करने में भी परेशानी होती है।

इसके अलावा असामान्य रूप से श्लेष्म का बनना (mucus production), सर्जरी, महिलाओं में अंडा न बनना, अधिक उम्र में बच्चे की प्लानिंग करना आदि कारक भी बांझपन के कारण होते हैं।

महिला बांझपन उत्पन्न करने वाले कारक 

कभी-कभी महिलाओं की सभी प्रजजन प्रणाली और प्रजनन अंग सही तरीके से काम करने के बावजूद भी उनमें बांझपन की समस्या हो जाती है। आइये जानते हैं कि आखिर किन कारणों से बांझपन होने का खतरा बढ़ जाता है।

  • उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं के अंडाशय में अंडे की गुणवत्ता में भी कमी आती है जिसके कारण खराब किस्म के अंडे बनते हैं और उन्हें गर्भधारण करने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और अंत में वे बांझपन का शिकार हो जाती हैं।
  • धूम्रपान महिलाओं के सर्विक्स और फैलोपियन ट्यूब को क्षतिग्रस्त कर देता है जिससे एक्टोपिक प्रेगनेंसी या गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा अंडाशय से भी कम अंडे उत्सर्जित होते हैं जिससे महिला बांझ हो जाती है।
  • अधिक वजन बढ़ने से भी अंडोत्सर्ग में परेशानी होती है। बॉडी मास इंडेक्स (BMI) ठीक होने पर अंडों के बनने की गति बढ़ती है और महिलाओं को बांझपन की समस्या नहीं होती है।
  • यौन संचारित संक्रमण (STD) जैसे क्लैमाइडिया और गोनोरिया के कारण फैलोपियन ट्यूब क्षतिग्रस्त हो जाता है। यौन रोगों का खतरा तब बढ़ जाता है जब आपके पार्टनर को पहले से एसटीडी हो और वह आपके साथ बिना कंडोम के सेक्स करता हो। इस स्थिति में मां बनने में दिक्कत आती है।

महिला बांझपन के लक्षण

बांझपन का मुख्य लक्षण गर्भवती होने में असमर्थ होना है। यदि किसी महिला का मासिक धर्म चक्र बहुत लंबा अर्थात् 35 दिन या इससे अधिक का हो या बहुत छोटा अर्थात् 21 दिन से पहले का हो, अनियमित मासिक धर्म या मासिक धर्म का न होने का अर्थ होता है कि महिला के गर्भाशय में अंडोत्सर्ग (Ovulation) नहीं हो रहा है। हालांकि शरीर में बांझपन के कोई वाह्य लक्षण नहीं दिखायी देते हैं लेकिन आंतरिक लक्षणों की वजह से इस समस्या को पहचाना जा सकता है।

महिला बांझपन का निदान 

महिलाओं में बांझपन की जांच करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट और इंडोमेट्रियल बायोप्सी (endometrial biopsy) सहित कई तरह के टेस्ट करते हैं। ब्लड टेस्ट में हार्मोन के स्तर का पता लगाया जाता है और इंडोमेट्रियल बायोप्सी (endometrial biopsy) गर्भाशय की लाइनिंग का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। बांझपन की जांच के लिए मुख्य रूप से दो प्रक्रिया अपनायी जाती है जिसमें महिलाओं के प्रजनन प्रणाली (reproductive system) की जांच की जाती है।

एचएसजी (HSG)

इस प्रक्रिया में जनन अंगों का अल्ट्रासाउंड और एक्सरे किया जाता है। डॉक्टर डाई (dye) या लवण (saline) का इंजेक्शन देते हैं और कार्विक्स भर देते हैं जो फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से विचरण करता है। इसके माध्यम से डॉक्टर यह पता करने की कोशिश करते हैं कि महिला का फैलोपियन ट्यूब अवरूद्ध तो नहीं हो गया है।

महिला बांझपन का इलाज (Treatment of Female Infertility)

आधुनिक तकनीक के विकास के कारण आजकल बांझपन की समस्या का इलाज भी संभव हो गया है। इन नए तकनीकों के माध्यम से बांझपन का इलाज कराकर कोई भी महिला गर्भवती हो सकती है और बच्चे को जन्म दे सकती है। आइये जानते हैं कि बांझपन का इलाज क्या है।

महिला बांझपन का इलाज लेप्रोस्कोपी द्वारा (Female infertility treatment by Laparoscopy)

यदि जांच में पेल्विक या ट्यूबल रोग की पुष्टि हुई हो तो इसे ठीक करने का इलाज सर्जरी ही है। सर्जरी के जरिये प्रजनन अंगों का पुनर्निर्माण (reconstruct) किया जाता है। डॉक्टर पेट में एक चीरा लगाते हैं और लेप्रोस्कोप (पतला ट्यूब जिसमें एक छोटा कैमरा लगा होता है) के माध्यम से गर्भाशय, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब की असामान्य विकास की जांच करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर यह भी जांच करते हैं कि फैलोपियन ट्यूब बंद हो गया है या खुला है। लेप्रोस्कोप के माध्यम से खराब कोशिकाओं को निकाल कर इंडोमेट्रिओसिस का इलाज करते हैं और अवरूद्ध ट्यूब को खोलते हैं एवं ओवेरियन सिस्ट को भी बाहर निकाल देते हैं।

महिला बांझपन का इलाज हिस्टीरोस्कोपी द्वारा (Female infertility treatment by Hysteroscopy)

इस प्रक्रिया में डॉक्टर महिला के गर्भाशय में एक हिस्टीरोस्कोपी रखते हैं। यह पॉलीप्स और फाइब्रॉयड ट्यूमर को हटाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह खराब कोशिकाओं को तोड़कर बाहर निकालता है और अवरूद्ध ट्यूब को खोलने में मदद करता है।

दवाओं द्वारा महिला बांझपन का इलाज

यदि किसी महिला को अंडोत्सर्ग (ovulation) में समस्या आती है और इसकी वजह से वह मां नहीं बन पाती है तो उसे क्लोमिफेन साइट्रेट(clomiphene citrate), गोनैडोट्रॉपिन्स(gonadotropins) एवं लेट्रोजोन(letrozole) नामक दवाएं देकर बांझपन का इलाज किया जाता है। इसके अलावा पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम(PCOS) के कारण अगर प्रेगनेंसी में दिक्कत आ रही हो तो मेटफॉर्मिन(Metformin) नामक दवा दी जाती है।

महिला बांझपन का इलाज इन विट्रो फर्टिलाइजेशन द्वारा (IVF)

गर्भ धारण कराने की इस तकनीक में डॉक्टर महिला को गोनैडोट्रॉपिन्स (gonadotropin) देते है जो एक से अधिक अंडों का विकास करता है और अंडे बनने में सहायता करता है। जब अंडे परिपक्व हो जाते हैं तो डॉक्टर उन्हें एक डिवाइस से इकट्ठा करते हैं जिसे इंट्रायूरेटिन इंसेमिनेशन प्रोब कहते हैं। इसके बाद डॉक्टर पुरुष का स्पर्म इकट्ठा करते हैं और अंडों को धोकर स्पर्म के साथ एक डिश में रखते हैं। कई दिनों बाद जब अंडे निषेचित (fertilize) होकर भ्रूण में बदल जाते हैं तो डॉक्टर फिर से इसे महिला के गर्भाशय में रखते हैं। इसके माध्यम से महिला मां बन जाती है।

महिलाओं में बांझपन से बचाव

  • यदि आप भविष्य में या कुछ दिनों में गर्भधारण करने के बारे में सोच रही हैं तो कुछ सावधानियां बरतकर आप अपनी प्रजनन क्षमता बढ़ा सकती हैं और बांझपन की समस्या को दूर कर सकती हैं।
  • अपना वजन नियंत्रित रखें क्योंकि मोटे शरीर में अंडोत्सर्ग की समस्या हो सकती है। वजन कम करने के लिए सही तरीके से हफ्ते में पांच घंटे से अधिक एक्सरसाइज करें। इससे आपको बांझपन की समस्या नहीं होगी।
  • धूम्रपान और एल्कोहल महिलाओं के प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। धूम्रपान भ्रूण के सेहत पर असर डालता है जबकि एल्कोहल के सेवन से प्रजनन क्षमता कम होने की संभावना रहती है। इसलिए बच्चे की चाह रखने वाली महिलाओं को इन नशीली चीजों से दूर रहना चाहिए।
  • स्टडी में पाया गया है कुछ महिलाएं अपने जीवन में किसी कारणवश लंबे समय तक तनाव में रहती हैं। इसकी वजह से उनके शरीर में कुछ विशेष हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं जिसके कारण वे बांझपन का शिकार हो जाती हैं। इसलिए जीवन से तनाव को कम करके भी बांझपन की समस्या से बचा जा सकता है।
  • महिलाओं को पीरियड आने के सही समय और उसकी स्थिति पर ध्यान रखना चाहिए। यदि यह आशंका हो कि आपका पीरियड सही तरीके से नहीं हो रहा है या शरीर में कोई समस्या पैदा हो रही है तो शुरूआत में ही डॉक्टर को दिखाकर बांझपन की समस्या से बचा जा सकता है।

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