गर्भ ठहरने के लक्षण क्या है? What are the Symptoms of Pregnancy?

गर्भ ठहरने के लक्षण क्या है? What are the Symptoms of Pregnancy?
गर्भ ठहरने के लक्षण क्या है? What are the Symptoms of Pregnancy?

सबसे सामान्य और कारगर तरीका जिससे आपको यह शक होना लाजमी है कि आप गर्भवती हैं वह है पीरियड (Period) मिस होना। लेकिन इसके अलावा अन्य लक्षण भी जानने जरूरी है कि आप गर्भवती हैं भी या नहीं। इसके लिए आपको अपने शरीर में होने वाले छोटे-छोटे हार्मोनल बदलावों के बारे में जानना होगा। यहां हम आपको गर्भाधारण (Pregnancy) से जुड़े तमाम ऐसे मुख्य लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जिनके दिखने पर आपको तुरंत प्रेगनेंसी टेस्ट कर लेना चाहिए और कंफर्म हो जाना चाहिए कि आप प्रेगनेंट है या नहीं। तो आइए डिटेल में जानते हैं गर्भ ठहरने के लक्षण – Signs of pregnancy

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गर्भ ठहरने के लक्षण क्या है? What are the Symptoms of Pregnancy?

  • पीरियड का मिस होना
  • शरीर का तापमान ज्यादा होना
  • पेट फूलना या दर्द होना
  • उल्टी आना या जी मचलाना
  • मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन
  • स्तन में भारीपन व दर्द महसूस होना
  • कब्ज और सीने में जलन
  • क्रेविंग होना
  • थकान व कमजोरी महसूस होना
  • व्हाइट डिस्चार्ज
  • सूंघने की शक्ति में वृद्धि
  • बार -बार पेशाब आने की फीलिंग
  • सिर दर्द का बने रहना

पीरियड (Period) का मिस होना

अगर आपके पीरियड (Period) आमतौर पर समय से रहते हैं और इस बार समय पर नहीं आये तो पूरे- पूरे चांस है कि आप प्रेगनेंट हैं। लेकिन अगर आपकेपीरियड हमेशा से अनियमित रहते हैं तो फिर प्रेगनेंसी के चांस थोड़े कम हैं। हर महिला को पता होता है कि उसके पीरियड्स महीने के किस तारीख को होंगे। क्योंकि अक्सर पीरियड साइकिल 28 दिन का होता है, 28 या 30 दिन के बाद फिर से पीरियड्स आते हैं। वहीं जब 28-30-40 दिन हो जाते हैं और उसके बाद भी पीरियड्स नहीं आते हैं तो परेशान होना स्वाभाविक है।  

शरीर का तापमान ज्यादा होना

गर्भवती (Pregnant) होने पर शरीर का तापमान अक्सर सामान्य तापमान से अधिक हो जाता है। जैसे कि इंसान के शरीर का सामान्‍य तापमान लगभग 98.3 फारेनहाइट होता है। गर्भावस्‍था (Period) के दौरान महिलाओं के शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ जाता है। ये लगभग 0.5 फारेनहाइट से लेकर 1 फारेनहाइटतब बढ़ सकता है। अगर आपको बीते कई दिनों से लगातार शरीर के तापमान में परिर्वतन नजर आ रहा है तो एक बार प्रेगनेंसी की पुष्टि जरूरकर लें।

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पेट फूलना या दर्द होना

पीरियड्स नहीं आएं और फिर भी पेट में बार-बार मरोड़ उठ रहा है। ब्लोटिंग यानि कि पेट फूलने जैसी समस्या महसूस होती है। यह फूलापनगर्भाधारण के समय हॉर्मोन परिवर्तन के कारण भी होता है। दरअसल, गर्भावस्था की शुरुआत में शरीर प्रोजेस्टेरॉन की जितनी मात्रा उत्पन्न करता है, वह शरीर की मांसपेशियों को शिथिल कर देता है। इससे पाचन क्रिया की गति धीमी पड़ जाती है और उसका नतीजा पेट फूलना, गैस, डकारआना और बैचेनी जैसी समस्या के साथ सामने आता है। खासतौर पर खाना खाने के बाद।

उल्टी आना या जी मचलाना

अगर आप बीते कई दिनों से उल्टी आना या फिर जी मचलाना जैसी समस्या महसूस कर रही हैं तो हो सकता है कि आप प्रेगनेंट (Pregnant) हों। क्योंकि सुबह उठते ही उबकाई या उल्टी आना प्रेगनेंट होने का एक अहम लक्षण है। वैसे ये शरीर – शरीर पर निर्भर करता है। बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें प्रेगनेंसी (Pregnancy) के दौरान  उल्टियां नहीं आती और वहीं कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जिन्हें गर्भधारण से लेकर डिलीवरी तक उल्टियां आना और जी मचलाने की शिकायत बनी ही रहती है।

मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन

गर्भाधारण के दौरान अचानक आपके मूड यानि कि मनोदशा में बदलाव नजर आने लगेगा। कई तरह के इमोशनल उतार- चढ़ाव होने लगते हैं।कभी एकदम गुस्सा आ जाता है तो कभी एकदम हंसी और कभी पल में मन उदास हो उठता है तो कभी पल भर में खुशी का ठिकाना नहीं रहता।दरअसल ऐसा इसलिए होता है कि गर्भावस्था के दौरान खून में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन की मात्रा बढ़ने के कारण शरीर में हार्मोन का स्तर तेजी से बढ़ता है। ये बढ़ा हुआ हार्मोन का स्तर ही आपकी मनोदशा को प्रभावित कर सकता है। इस दौरान बार-बार चिंता और चिड़चिड़ापन होना तो आम है।

स्तन में भारीपन व दर्द महसूस होना

स्तनों में भारीपन, सूजन या फिर दर्द महसूस होना भी प्रेगनेंट होने के लक्षण हैं। जिस तरह से पीरियड के दौरान स्तन संवेदनशील महसूस होते हैंठीक वैसे ही प्रेगनेंसी के दौरान भी होता है। लेकिन छठे हफ्ते तक स्तन और भी ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। अगर आपको अपने स्तनों कीत्वचा में नीली नसें साफ दिखाई दे रही और निप्पल गहरे काले रंग के नजर आ रहे हैं तो ये प्रेगनेंसी  (Pregnancy) के लक्षण हो सकते हैं। क्योंकि गर्भावस्था के हार्मोन स्तनों में रक्त आपूर्ति बढ़ा देते हैं, इसलिए निप्पल के आसपास सनसनाहट सी महसूस हो सकती है।

कब्ज और सीने में जलन

गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में हो रहे बदलाव का असर उसकी पाचन क्रिया पर भी पड़ता है जिससे पेट में गैस की शिकायत अधिकहोती है। पेट में गैस बनने की समस्या गर्भाधारण के पहले हफ्ते से नौ हफ्ते तक रह सकती है। पाचन क्रिया में बदलाव आने से सीने मे जलनहोना भी आम है, ऐसे में आप अचानक से छाती में जलन महसूस भी कर सकते हैं। कब्ज और सीने में जलन प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण भी हैं।

क्रेविंग होना

क्रेविंग होना यानि कि किसी खास चीज को खाने की लालसा भी गर्भवती होने का एक प्रमुख लक्षण है। गर्भवती महिला में किसी विशेष चीज केप्रति आकर्षण बढ़ जाता है और हर वक्त वही खाने का दिल करने लगता है। इस दौरान देखा गया है कि महिलाएं अपने डेली रुटीन में ज्यादातरउन्हीं चीजों का सेवन करती हैं जो खासतौर पर उन्हें सबसे ज्यादा पसंद होती हैं। शुगर की क्रेविंग भी बहुत सी महिलाओं को हो जाती है। लेकिनप्रेगनेंसी का पता लगते ही महिला को प्रेगनेंसी डाइट चार्ट जरूर बनवा लेना चाहिए।

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थकान व कमजोरी महसूस होना 

थकान होना तो आम बात है लेकिन बहुत ज्यादा स्तर पर थकान व कमजोरी महसूस होना प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। क्योंकि गर्भावस्था के शुरुआती दौर से ही महिला का शरीर शिशु को सहारा देने के लिए खुद को तैयार करता है। इस दौरान थकान महसूस होना स्वाभाविक है सकता है।

व्हाइट डिस्चार्ज 

महिलाओं में अत्यधिक व्‍हाइट डिस्चार्ज एक साधारण बात है। लेकिन प्रेगनेंसी (Pregnancy) के दौरान होनेवाले हार्मोनल बदलावों के कारण यह डिस्चार्जकाफी अधिक भी हो सकता है। भले ही आपको यह अच्छा न लगे लेकिन इसका एक अनजाना-सा फायदा भी है। जी हां, यही डिस्चार्ज आपकोमूत्र विकारों से बचाता है। ऐसा प्रेगनेंसी के दौरान काफी बढ़ जाता है।

सूंघने की शक्ति में वृद्धि

अगर आपको ये महसूस हो रहा है कि आपकी नाक कुछ ज्यादा ही तेजी से काम कर रही हैं। यानि कि दूर- दूर की महक भी आसानी से सूंघलेती हैं तो मामला कुछ और ही है। जी हां, गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान महिलाओं में सूंघने की शक्ति तेजी विकसित होने लगती है। इस समय हार्मोन बदलाव की वजह से सूंघने की शक्ति बढ़ जाती है।

बार -बार पेशाब आने की फीलिंग

प्रेगनेंसी में पेशाब का बार- बार आना एक अहम लक्षण है। ये दिक्कत प्रेगनेंसी के छठे सप्ताह से और भी ज्यादा बढ़ जाती है। दरअसल होता येहै कि गर्भावस्था के दौरान शरीर में बन रहे हार्मोंस में बदलाव की वजह से किडनी में ब्लड सर्कुलेशन तेज होने लगता है और मूत्राशय में पेशाब जल्दी भर जाता है, जिस कारण पेशाब बार- बार होने की समस्या आती है। जैसे जैसे बच्चे का विकास होगा ये परेशानी और भी बढ़ने लगती है।

सिर दर्द का बने रहना

जब दिमाग में मौजूद रक्त शिरायें खून की ज्यादा होने की वजह से फैलता है, तब सिर दर्द या फिर माइग्रेन की समस्या जन्म लेती है। ये गर्भावस्था (Pregnancy) के शुरुआती लक्षणों में से एक प्रमुख लक्षण है। ये दर्द कभी हल्का तो कभी बहुत ज्यादा तेज होता है। पर धीरे-धीरे ये खुद ही ठीक हो जाता है या फिर आप सिर दर्द के लिए योग भी कर सकते हैं। 

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