किसी मसीहा से कम नहीं थे पुनीत राजकुमार! 46 स्कूल, 26 अनाथालय, 16 वृद्धाश्रम और 19 गौशाला का उठाते थे खर्च |
साउथ सिनेमा की दुनिया के दिवंगत कन्नड़ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार की जो अपनी एक्टिंग के लिए ही नहीं बल्कि समाजसेवा के काम के लिए भी लोगों के दिलों में बसते हैं। पुनीत उन सितारों में से हैं जो केवल पर्दे पर ही नहीं बल्कि रियल लाइफ में भी असली हीरो की तरह मौत के बाद भी जिंदा हैं। पुनीत राजकुमार साउथ के हाइएस्ट पेड कलाकारों में से हैं और फैन्स के दिलों में उन्हें लेकर अथाह दीवानगी थी और आज भी है। पुनीत फिल्मों में एक्टिंग के साथ-साथ 26 अनाथाश्रम, 46 फ्री स्कूल,और 16 वृद्धाश्रम चलाते थे पुनीत।
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बताया जाता है कि पुनीत की 14 फिल्में 100 दिनों तक सिनेमा थिएटरों में धुनकर चलने वाली फिल्में रहीं। पुनीत ने जाने से पहले कुछ ऐसा किया था जिसकी पीछे लाखों लोगों ने उन्हें फॉलो किया था। दरअसल पुनीत ने अपनी आंखें दान करने की शुरुआत की थी और उनके पीछे कर्नाटक में आंखें डोनेशन करने वालों की लाइन लग गई थी। पूरे राज्य में इस नेक काम में अचानक तेजी आ गई और इसके पीछे एक नाम थे और वो थे- पुनीत राजकुमार।
10 महीने में करीब 1 लाख नेत्रदान
राजकुमार का Eye Bank चलाने वाले 'नारायण नेत्रालय' के लॉन्च पर डॉक्टरों ने बताया था करीब 30 साल तक 76000 नेत्रदान की जानकारी थी। लेकिन नवंबर 2021 के बाद अचानक इस सोशल वर्क में तेजी आई और केवल 10 महीने में करीब 1 लाख नेत्रदान के लिए रजिस्टर्ड किया गया। ये एक स्टार का पावर ही है, जिसे लोगों ने दिल से फॉलो किया।
30 लाख फैन्स बेंगलुरु में उनके अंतिम दर्शन के लिए जुटे
उनके मरने के बाद पूरे कर्नाटक में 1 लाख लोगों ने अपनी आंखें दान कर दीं, क्योंकि वो पुनीत के रास्ते पर चलना चाहते थे। इससे कर्नाटक में नेत्रदान का आंकड़ा अचानक से कई गुना बढ़ गया था। याद दिला दें कि 9 अक्टूबर 2021 को पुनीत का निधन हो गया था और बताया गया कि उनकी जान हार्ट अटैक की वजह से गई। उनके निधन की खबर पर पूरा देश शोक में डूब गया था लेकिन बेंगलुरु शहर में धारा 144 लगा दी गई, जिसके बाद शराब की बिक्री दो दिनों के लिए रोक दी गई थी। कहते हैं कि करीब 30 लाख फैन्स बेंगलुरु में उनके अंतिम दर्शन के लिए जुटे थे, जहां कई किलोमीटर की लंबी लाइन लग गई थी।
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6 महीने की उम्र में फिल्म 'प्रेमदा कनिके' में नजर आए
आपको जानकर हैरानी होगी कि पुनीत तब केवल 6 महीने के थे जब वो पहली बार पर्दे पर नजर आए थे। पुनीत का जन्म एक फिल्मी परिवार में हुआ था। सुपरस्टार डॉक्टर राजकुमार और निर्माता पर्वतम्मा राजकुमार के घर में जन्मे पुनीत अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। वो 6 महीने की उम्र में फिल्म 'प्रेमदा कनिके' में नजर आए। बताया जाता है कि छोटी सी उम्र में पुनीत अपनी बहन पूर्णिमा के साथ फिल्मों के सेट पर आया करते थे और उनकी दिल यहीं लगा रहता था। कई फिल्मों में उन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया। कहते हैं कि उन्होंने स्कूल जाना भी छोड़ दिया था लेकिन होम ट्यूटर की मदद से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की थी। हालांकि, दिमाग से तेज पुनीत ने कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा भी किया।
केवल 10 साल की उम्र में नैशनल अवॉर्ड मिला
जहां एक्टर्स को काफी अनुभवों और लंबा वक्त गुजारने के बाद नैशनल अवॉर्ड से नवाजा जाता है वहीं पुनीत राजकुमार को केवल 10 साल की उम्र में नैशनल अवॉर्ड मिला। फिल्म 'Bettada Hoovu' के लिए उन्हें नैशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। बता दें कि राजकुमार कन्नड़ सिनेमा के आइकन कहे जाते थे। पुनीत कन्नड़ के पहले ऐसे एक्टर थे जिन्हें दादासाहेब फाल्के के सम्मान से सम्मानित किया गया था।
46 फ्री स्कूल, 26 अनाथ आश्रम, 16 वृद्धाश्रम
पुनीत के समाजसेवा वालों काम की बात करें तो इसकी लिस्ट भी बेहद लंबी है। पुनीत राजकुमार 46 फ्री स्कूल, 26 अनाथ आश्रम, 16 वृद्धाश्रम और 19 गौशाला का संचालन करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने कई कन्नड़ भाषी स्कूलों कोआर्थिक मदद भी देते थे। वहीं साल 2019 में कर्नाटक में बाढ़ से तबाही मची थी तब उन्होंने मुख्यमंत्री सहायता कोष में 5 लाख और कोरोना के समय कर्नाटक सरकार रिलीफ फंड में 50 लाख रुपये दान किए थे।