एच.आई.वी. एड्स होने पर कब पता चलता है Aids hone par kab pata chalta hai |
एड्स- एच.आई.वी. नामक विषाणु से होता है। संक्रमण के लगभग 12 सप्ताह के बाद ही रक्त की जॉंच से ज्ञात होता है कि यह विषाणु शरीर में प्रवेश कर चुका है, ऐसे व्यक्ति को एच.आई.वी. पोजिटिव कहते हैं। एच.आई.वी. पोजिटिव व्यक्ति कई वर्षो (6 से 10 वर्ष) तक सामान्य प्रतीत होता है और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है, लेकिन दूसरो को बीमारी फैलाने में सक्षम होता है।
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यह विषाणु मुख्यतः शरीर को बाहरी रोगों से सुरक्षा प्रदान करने वाले रक्त में मौजूद टी कोशिकाओं (सेल्स) व मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित करता है और धीरे-धीरे उन्हे नष्ट करता रहता है कुछ वर्षो बाद (6 से 10 वर्ष) यह स्थिति हो जाती है कि शरीर आम रोगों के कीटाणुओं से अपना बचाव नहीं कर पाता और तरह-तरह का संक्रमण (इन्फेक्शन) से ग्रसित होने लगता है इस अवस्था को एड्स कहते हैं।
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एड्स का खतरा किसे ज्यादा होता है?
- एक से अधिक लोगों से यौन संबंध रखने वाला व्यक्ति।
- वेश्यावृति करने वालों से यौन सम्पर्क रखने वाला व्यक्ति।
- नशीली दवाईयां इन्जेकशन के द्वारा लेने वाला व्यक्ति।
- यौन रोगों से पीडित व्यक्ति।
- पिता/माता के एच.आई.वी. संक्रमण के पश्चात पैदा होने वाले बच्चें।
- बिना जांच किया हुआ रक्त ग्रहण करने वाला व्यक्ति।
एड्स रोग कैसे फैलता है?
- एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्पर्क से।
- एच.आई.वी. संक्रमित सिरिंज व सूई का दूसरो के द्वारा प्रयोग करने सें।
- एच.आई.वी. संक्रमित मां से शिशु को जन्म से पूर्व, प्रसव के समय, या प्रसव के शीघ्र बाद।
- एच.आई.वी. संक्रमित अंग प्रत्यारोपण से।
एक बार एच.आई.वी.विषाणु से संक्रमित होने का अर्थ है- जीवनभर का संक्रमण एवं दर्दनाक मृत्यु
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एड्स से बचाव
- जीवन-साथी के अलावा किसी अन्य से यौन संबंध नही रखे।
- यौन सम्पर्क के समय निरोध(कण्डोम) का प्रयोग करें।
- मादक औषधियों के आदी व्यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज व सूई का प्रयोग न करें।
- एड्स पीडित महिलाएं गर्भधारण न करें, क्योंकि उनसे पैदा होने वाले शिशु को यह रोग लग सकता है।
- रक्त की आवश्यकता होने पर अनजान व्यक्ति का रक्त न लें, और सुरक्षित रक्त के लिए एच.आई.वी. जांच किया रक्त ही ग्रहण करें।
- डिस्पोजेबल सिरिन्ज एवं सूई तथा अन्य चिकित्सीय उपकरणों का 20 मिनट पानी में उबालकर जीवाणुरहित करके ही उपयोग में लेवें, तथा दूसरे व्यक्ति का प्रयोग में लिया हुआ ब्लेड/पत्ती काम में ना लेंवें।
एड्स-लाइलाज है- बचाव ही उपचार है
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एच.आई.वी. संक्रमण के लक्षण
एच.आई.वी. पोजिटिव व्यक्ति में 7 से 10 साल बाद विभिन्न बीमारिंयों के लक्षण पैदा हो जाते हैं जिनमें ये लक्षण प्रमुख रूप से दिखाई पडते हैः
- गले या बगल में सूजन भरी गिल्टियों का हो जाना।
- लगातार कई-कई हफ्ते अतिसार घटते जाना।
- लगातार कई-कई हफ्ते बुखार रहना।
- हफ्ते खांसी रहना।
- अकारण वजन घटते जाना।
- मूंह में घाव हो जाना।
- त्वचा पर दर्द भरे और खुजली वाले ददोरे/चकते हो जाना।
उपरोक्त सभी लक्षण अन्य सामान्य रोगों, जिनका इलाज हो सकता है, के भी हो सकते हैं
किसी व्यक्ति को देखने से एच.आई.वी. संक्रमण का पता नहीं लग सकता- जब तक कि रक्त की जांच ना की जावे
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एड्स निम्न तरीकों से नहीं फैलता है
एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ सामान्य संबंधो से, जैसे हाथ मिलाने, एक साथ भोजन करने, एक ही घडे का पानी पीने, एक ही बिस्तर और कपडो के प्रयोग, एक ही कमरे अथवा घर में रहने, एक ही शौचालय, स्नानघर प्रयोग में लेने से, बच्चों के साथ खेलने से यह रोग नहीं फैलता है मच्छरों /खटमलों के काटने से यह रोग नहीं फैलता है।
एड्स का कोई उपचार बचाव का टीका नहीं हैं।
सुरक्षित यौन संबंध के लिए निरोध का उपयोग करें।
हमेशा जीवाणुरहित अथवा डिस्पोजेबल सिरिंज व सूई ही उपयोग में लेवें।
एच.वाई.वी. संक्रमित महिला गर्भधारण न करें।