7 ऐसे खाद्य पदार्थ जिससे होता है कब्ज |
सामान्य सर्दी, खांसी या जुकाम की समस्या के बाद अगर कोई शारीरिक परेशानी सबसे ज्यादा परेशान करती है, तो वह है कब्ज की समस्या. अगर कब्ज की परेशानी को ज्यादा वक्त तक नजरअंदाज किया जाए, तो इससे अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए, अगर सिर्फ कुछ खास खाद्य पदार्थों को रोजाना आहार में शामिल किया जाए, तो इस परेशानी से आसानी से बचा जा सकता है. लेकिन सबसे पहले कब्ज के कारणों को समझने की कोशिश करते हैं.
कब्ज के कारण क्या हैं?
रिसर्च के अनुसार कब्ज के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं -
दवाओं का सेवन करना.
एक्सरसाइज नहीं करना.
तरल पदार्थों का सेवन नहीं करना या कम करना.
आहार में फाइबर की मात्रा कम शामिल करना.
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या होना.
बाउल मूवमेंट को नजरअंदाज करना.
लाइफस्टाइल में बदलाव आना.
यात्रा करना.
उम्र अधिक होना.
गर्भावस्था के दौरान.
आंतों का ठीक तरह से काम न करना.
लैक्सटिव का दुरूपयोग करना.
इन ऊपर बताए कारणों की वजह से कब्ज की समस्या हो सकती है, लेकिन अगर खानपान पर नियमित ठीक तरह से ध्यान दिया जाए तो समस्या से बचा जा सकता है. वहीं कुछ ऐसे भी खाद्य पदार्थ हैं जिनके सेवन से कब्ज की समस्या हो सकती है.
किन खाद्य पदार्थों के सेवन से कब्ज होती है?
यहां हम उन खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें खाने से कब्ज की समस्या हो सकती है -
शराब
शराब का सेवन करने से शरीर डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकता है और यह समस्या कब्ज का कारण बन सकती है. अगर इसे आसान भाषा में समझें, तो पानी का सेवन कम करना और ज्यादा यूरिन पास करने की वजह से कब्ज की समस्या शुरू हो सकती है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि शराब के सेवन की वजह से यूरिनेशन सामान्य से ज्यादा होता है.
ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थ
ग्लूटेन एक प्रोटीन है, जो गेहूं, जौ व राई जैसे अनाजों में पाया जाता है. कुछ लोगों को कब्ज का अनुभव तब हो सकता है जब वे ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं. इसके अलावा, कुछ लोग ग्लूटेन के प्रति इन्टॉलरेंस होते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जिसे ग्लूटेन इन्टॉलरेंस या सीलिएक डिजीज के रूप में जाना जाता है.
प्रोसेस्ड अनाज
प्रोसेस्ड किये हुए अनाज या इनसे बने हुए खाद्य पदार्थ जैसे सफेद ब्रेड, सफेद चावल एवं सफेद पास्ता में फाइबर की मात्रा साबुत अनाज की तुलना में कम होती है. इसलिए, ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से कब्ज की समस्या हो सकती है.
दूध और डेयरी उत्पाद
डेयरी उत्पाद कुछ व्यक्तियों में कब्ज की समस्या पैदा कर सकते हैं. ऐसा उन लोगों में सबसे आम है, जो गाय के दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन के प्रति संवेदनशील होते हैं. यहां इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि जो लोग लैक्टोज इन्टॉलरेंस होते हैं, उन्हें डेयरी प्रोडक्ट के सेवन से कब्ज के बजाय दस्त की समस्या हो सकती है.
रेड मीट
रेड मीट में आमतौर पर वसा अधिक और फाइबर कम होता है. ऐसे में कब्ज की समस्या बढ़ सकती है. सिर्फ इतना ही नहीं अगर रेड मीट को रोज खाया जाए, तो इससे फाइबर युक्त सब्जियां, फलियां और साबुत अनाज का सेवन कम हो जाता है.
तला हुआ या फास्ट फूड
अधिक मात्रा में व बार-बार तला हुआ या फास्ट फूड खाने से भी कब्ज का खतरा बढ़ सकता है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इन खाद्य पदार्थों में वसा की मात्रा अधिक और फाइबर की मात्रा कम होती है. ऐसे खाद्य पदार्थ पचने में ज्यादा वक्त ले सकते हैं और कब्ज का कारण बन सकते हैं.
खुरमा
खुरमा एक प्रकार का फल होता है, जिसमें टैनिन होता है, जो एक प्रकार का यौगिक होता है और यह पाचन को धीमा करके कब्ज की समस्या को बढ़ा सकता है. इस फल की कई किस्में हैं, लेकिन अधिकांश को मीठे या कसैले के रूप में बांटा जाता है. रिसर्च के अनुसार कसैले खुरमे के सेवन से कब्ज की समस्या ज्यादा देखी जाती है.
क्या खाने से कब्ज नहीं होती?
निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करने से कब्ज की समस्या से बचने में मदद मिल सकती है -
हरी सब्जियां, गाजर, मटर, ब्रोकली और भिंडी.
फलों में सेब, एवोकाडो, संतरा, बेरीज एवं नाशपाती.
साबुत अनाज में ओट्स, कूटू, बाजरा, ज्वार.
ब्राउन चावल, ब्रेड और पास्ता.
डॉक्टर से कब संपर्क करें?
अगर निम्नलिखित लक्षण महसूस हों, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए -
कब्ज की समस्या बार-बार होना.
मल से खून आना.
हमेशा पेट दर्द महसूस होना.
कब्ज की समस्या के साथ-साथ उल्टी भी आना.
ओवर-द-काउंटर मिलने वाली कब्ज की दवा से लाभ न मिलना.
कब्ज ऐसी समस्या है, जिसे बस खाने-पीने की आदतों में बदलाव लाकर ठीक किया जा सकता है. इसलिए, यहां लेख में उन खाद्य पदार्थों के बारे में बताया है, जो कब्ज पैदा करते हैं. ऐसा खाद्य पदार्थों का सेवन न करें या फिर कम से कम करें. साथ ही अपनी डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करें, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करती हैं और जिनमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जैसे - पपीता, सेब, केला आदि.