लो लेवल लैंग्वेज क्या होता है? – What is Low Level Language in Hindi

लो लेवल लैंग्वेज क्या होता है? – What is Low Level Language in Hindi

लो लेवल लैंग्वेज जिसे हम हिन्दी मे निम्न स्तर की प्रोग्रामिंग भाषा कहते है यह एक प्रकार की प्रोग्रामिंग भाषा है जिसे Binary Codes मे लिखा जाता हैयह कंप्युटर भाषा की पहली पीढ़ी है जिसके बाद इसी के तहत आने वाले असेंबली लैंग्वेज को इसकी दूसरी पीढ़ी माना जाता हैऔर फिर हाई लेवल लैंग्वेज को कंप्युटर प्रोग्रामिंग का तीसरी पीढ़ी माना जाता है।


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लो लेवल लैंग्वेज प्रोग्रामिंग भाषा एक ऐसी भाषा है जिसे मनुष्यों द्वारा समझना काफी कठिन होता है लेकीन कंप्युटर लो लेवल लैंग्वेज के तहतआने वाले मशीनी भाषा को समझ सकता हैजिस वजह से इसके Codes को Execute करने के किसी भी प्रकार का Compiler याInterpreter की आवश्यकता नहीं होती है और इसी की वजह से ही इसमे लिखे गए Codes काफी तेजी से Execute होते है।


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जिस तरह जब कोई बच्चा जन्म लेता है और उसके बाद जो वह सबसे पहली भाषा सीखता है वह उसका Native language होता है उसीप्रकार लो लेवल लैंग्वेज कंप्युटर की Native language है जिसकी वजह से ही इसमे लिखे गए Programs Memory efficient औरकाफी अधिक तेज गति के होते है लेकीन साथ ही इसके Codes को इंसानों द्वारा याद रखना काफी कठिन होता है।

यह लैंग्वेज Binary Codes 1 और 0 से मिलकर बने होते हैभले ही इंसानो के लिए इनके Codes को याद रखना कठिन है लेकीन यहकंप्युटर के हार्डवेयर से सीधे ही Communicate करने मे सक्षम होते है जिसकी वजह से इस तरह के भाषाओ का उपयोग ऐसे Program कोविकसित करने मे किया जाता है जो किसी विशेष प्रकार के कंप्युटर के किसी विशेष हार्डवेयर से जुड़े हुए होते है।


निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा का परिचय (Introduction)

ऐसे प्रोग्रामिंग भाषा जो की कंप्युटर से सीधे ही Communicate कर पाते है जिन्हे कंप्युटर आसानी से समझ लेते है लेकीन उन्हे इंसानों केलिए समझना और सीखना काफी जटिल होता है जिनकी Execution की प्रक्रिया की गति काफी अधिक तेज होती है उन्हे हम लो लेवललैंग्वेज यानि निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा कहते है।

लो लेवल लैंग्वेज कितने प्रकार के होते है (Types)

हाई लेवल लैंग्वेज के काफी सारे अलग अलग प्रकार होते है लेकीन लो लेवल लैंग्वेज सिर्फ दो प्रकार के ही होते है जो निम्नलिखित है :-


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1. Machine 

Language. यह प्रोग्रामिंग के भाषाओ की पहली पीढ़ी है जिसमे किसी प्रोग्राम को लिखने के लिए सिर्फ और सिर्फ 0 और 1 यानि Binary Codes का उपयोग किया जाता हैभले इन Binary Codes को समझना हम और आप जैसे इंसानों के लिए काफी कठिनहोता है लेकीन इन Codes को Computer आसानी से समझ लेते है जिसकी वजह से इस भाषा मे बनाए गए प्रोग्राम की Execution काफीतेज होती है।

2. Assembly language. यह प्रोग्रामिंग भाषा मशीन लैंग्वेज का ही एक Upgraded Version है और साथ मे इसे प्रोग्रामिंग भाषा कीदूसरी पीढ़ी भी है इसमे किसी प्रोग्राम को विकसित करने के लिए Binary Codes का उपयोग नहीं किया जाता है बल्कि इसमे Mnemonics code का उपयोग किया जाता है जिसे इंसानों के लिए Binary Codes के मुकाबले समझना आसान होता है लेकीन इसमे बनाए गए प्रोग्रामको Execute करने के लिए Assembler की जरूरत पड़ती है।

लो लेवल लैंग्वेज और हाई लेवल लैंग्वेज मे अंतर (Low And High Level Language)

लो लेवल लैंग्वेज और हाई लेवल लैंग्वेज दोनों मे काफी सारे अंतर मौजूद है जो की निम्नलिखित है :-

Low level Language

High level language

लो लेवल लैंग्वेज Computer Friendly प्रोग्रामिंगभाषा हैजिस वजह से यह कंप्युटर के काफी करीब है।

हाई लेवल लैंग्वेज Human Friendly प्रोग्रामिंग भाषा हैजिस वजह से यहइंसानो के काफी करीब है।

असेंबली लैंग्वेज और मशीन लैंग्वेज लो लेवल लैंग्वेज केउदाहरण है।

JavaPython, C++ हाई लेवल लैंग्वेज के उदाहरण है।

लो लेवल लैंग्वेज को इंसान इतनी आसानी से समझ नहींसकते है।

हाई लेवल लैंग्वेज को इंसान आसानी से समझ सकते है।

इसमे बनाए गए प्रोग्राम को सीधे Execute कर सकते है।

इसमे बनाए गए प्रोग्राम को सीधे Execute नहीं किया जा सकता है।

इस तरह के भाषाओ को Maintain करना काफी कठिनहोता है।

इस तरह के भाषाओ को Maintain करना इतना अधिक कठिन कार्य नहीं है।

इसमे बनाए गए प्रोग्राम के Errors को ढूँढना और Fix काफी कठिन कार्य है।

इसमे बनाए गए प्रोग्राम के Errors को ढूँढना और Fix करना इतना कठिन नहींहै इसे हम Debugging की सहायता से आसानी से कर सकते है।

निम्न स्तर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के फायदे (Advantages)

अगर हम कंप्युटर के हिसाब से देखे तो लो लेवल लैंग्वेज के कई सारे फायदे है जैसे :-

  • इसमे हम कंप्युटर के हार्डवेयर से सीधे Interact कर सकते है।
  • इसमे बनाए गए Program का Execution काफी तेज होता है।
  • इसमे बनाए गए प्रोग्राम का Execution काफी तेजी से होता है जिस वजह से ये जल्दी Output भी प्रदान करते है।
  • इस तरह के भाषाओ का उपयोग सिस्टम सॉफ्टवेयर के डेवलपमेंट मे किया जाता है।
  • इसके Codes को कंप्युटर बड़ी आसानी से समझ लेता है।
  • इसमे काफी कम मेमोरी की आवश्यकता होती है।
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निम्न स्तर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के नुकसान (Disadvantages)

निम्न स्तर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के फायदे तो है ही लेकीन इसके साथ साथ इसके काफी सारे नुकसान है जैसे :-

  • निम्न स्तर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज मे प्रोग्राम बनाते वक्त काफी सारे Codes लिखना पड़ता है।
  • निम्न स्तर के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को इंसान आसानी से समझ नहीं सकते है।
  • निम्न स्तर के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखना काफी कठिन होता है।
  • निम्न स्तर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को ढूँढना काफी अधिक कठिन होता है।
  • इसके Syntax को पढ़ना और लिखना दोनों ही काफी कठिन कार्य है।
  • निम्न स्तर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज बिल्कुल भी Portable नहीं होते है।

निष्कर्ष

लो लेवल लैंग्वेज का उपयोग वर्तमान समय मे इतना अधिक नहीं होता है लेकीन आज के समय मे ऐसे कई सारे क्षेत्र जहां पर इनका उपयोगसर्वप्रथम किया जाता है क्योंकि ये सीधे तौर कंप्युटर के हार्डवेयर से Communicate कर पाते हैअब मैंने आप सभी के साथ लो लेवललैंग्वेज से संबंधित समस्त जानकारी को विस्तार से साझा कर दिया है जो आपके लिए काफी उपयोगी रहा होगा।

मुझे अब पूरी उम्मीद है की इस आर्टिकल को पढ़कर आप सभी ने लो लेवल लैंग्वेज से जुड़े अपने सभी सवालों का जवाब पा लिया होगा औरलो लेवल लैंग्वेज क्या है (What is Low Level Language in Hindi) इसके बारे मे काफी कुछ जान लिया होगा। अब अंत मे मेराआप सभी से यही Request है की अभी भी आपके मन मे कोई सवाल बाकी है तो उसे नीचे Comment मे बेझिझक लिख सकते है।

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