ज्योग्राफिकल इंर्फोमेशन सिस्टम में करियर कैसे बनाये।

ज्योग्राफिकल इंर्फोमेशन सिस्टम में ब्राइट फ्यूचर

क्या आपकी भूगोल में दिलचस्पी है और क्या आप मानचित्र वगैरह में खुद को एक्सपर्ट मानते हैं। तो फिर आप ज्योग्राफर्स, ज्योलॉजिस्ट, हाईड्रोग्राफर एवं इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता हासिल कर एक अच्छा करिअर विकल्प पा सकते हैं। जी.आई.एस. का कार्यक्षेत्र अब बहुत विस्तृत हो चुका है जिसके तहत कारों के लिए स्मार्ट गाइडेंस सिस्टम तैयार करने से लेकर उपग्रहों की सहायता से प्राकृतिक तेल के स्रोतों का पता लगाने जैसे कार्य भी शामिल हो चुके हैं।

इतना ही नहीं, आजकल तो इस विज्ञान का प्रयोग मोबाइल फोन्स में लोकेशन आधारित एप्स तैयार करने के लिए भी होने लगा है। दूसरे शब्दों में कहें तो जी.आई.एस. का उपयोग अब विभिन्न उद्योगों तथा सेवाओं में व्यापक रूप से हो रहा है और इसकी बढ़ती उपयोगिता के साथ-साथ इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। इस फील्ड में शुरुआती तनख्वाह 25,000 रुपए प्रतिमाह है।

फ्यूचर परस्पेक्ट

भौगोलिक एवं जनसांख्यिकी दृष्टि से विविध तथा विभिन्न प्राकृतिक स्रोतों से संपन्न भारत जैसे देश में ज्योग्राफिकल इंफार्मेंशन सिस्टम (जी.आई.एस.) का महत्व काफी अधिक है। यह वह विज्ञान है जिसके द्वारा विशेष उपयोग वाले नक्शे तैयार किए जाते हैं। किसी इलाके के बारे में हर छोटी से छोटी बात तक के संपूर्ण आंकड़े इन नक्शों के साथ उपलब्ध होते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

जी.आई.एस. विभिन्न विषयों का एक सुमेल है जिसके तहत उन विषयों के ज्ञान का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें सबसे पहले ज्योग्राफी तथा डाटा मैनेजमेंट जैसे विषयों का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक विशेषज्ञता प्राप्त क्षेत्र है। यही वजह है कि इसके लाभ पूर्ण तौर पर आम जनता को उपलब्ध नहीं हो सके हैं। इसके बावजूद यह बेहद उपयोगी है तथा योजना बनाने में बेहद महत्वपूर्ण तथा सहायक साबित होता है।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि जी.आई.एस. कंपनियों को इस साल के अंत तक करीब 30 हजार प्रशिक्षित पेशेवारों की जरूरत पड़ने वाली है। इसकी वजह भी है कि अब जी.आई.एस. से जुड़ी कमर्शियल एप्लिकेशंस का इस्तेमाल लक्ष्य आधारित मार्केटिंग के लिए जोर-शोर से किया जाने लगा है। इनमें हेल्थ केयर कंपनियां भी शामिल हैं जो जी.आई.एस. डाटा की मदद से नक्शे तैयार करके किसी खास बीमारी से अधिक ग्रस्त रहने वाले लोगों के इलाकों की पहचान कर सकती हैं। इस तकनीक की मदद से ही अब इलेक्शन कमीशन वोटर रजिस्ट्रेशन को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा कर सकता है। कृषि उत्पादन के विश्लेषण, माल परिवहन पर नजर रखने के लिए भी कंपनियां इस तकनीक का खूब इस्तेमाल करने लगी हैं।

संभावनाएं

भारत में अभी भी यह क्षेत्र अपने शुरुआती चरण में है जिस वजह से इस क्षेत्र में प्रशिक्षित पेशेवरों के लिए व्यापक अवसर मौजूद हैं। नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर, इंडियन रिमोट सेंसिंग एजेंसि, प्लानिंग कमीशन, ज्योलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया तथा आधार कार्ड तैयार करने वाली यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया जैसे सरकारी संस्थान इस विषय में विशेषज्ञता रखने वाले युवाओं को बड़े स्तर पर नौकरियाँ प्रदान कर रहे हैं। इसके बावजूद मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स से लेकर तेल की खोज करने वाली निजी कंपनियां इस क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार प्रदान कर रही हैं।

मुख्य नियोक्ता

सर्वे ऑफ इंडिया, ज्योलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, नेशनल इंफॉरेमेटिक्स सेंटर, प्लानिंग कमीशन, पेंटासोफ्ट तथा सीमंस। (फीचरडेस्क)

इंस्टीट्यूट

 1. इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेसिंग, कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गुइंडी, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई, तमिलनाडु (ज्योइंर्फामेटिक्स में बी.ई.तथा रिमोट सेंसिग में एम.टेक)
2. आई.आई.टी.बॉम्बे, महाराष्ट्र (रिमोट सेंसिंग में बी.टेक/एम.टेक)
3. सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ ज्योइंफॉर्मेटिक्स, पुणे, महाराष्ट्र,
4. सेंटर फॉर स्पेशल इंफॉरेमेशन टेक्नोलॉजी, जे.एन.टी.यू, हैदराबाद (जी.आई.एस.में एम टेक)
5. नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, फ़रीदाबाद (जी.आई.एस.एंड रिमोट सेंसिग में पी.जी. डिप्लोमा)
6. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून, (रिमोट सेंसिंग एंड जी.आई.एस. में एम.टेक/पी.जी डिप्लोमा और ज्योइंफॉर्मेटिक्स में एम.एससी/पी.जी. डिप्लोमा)

Related Articles

Back to top button
Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker