7) Kader Khan के तीन बेटे हैं। उनके एक बेटा कनाडा में रहता है और ऐसा कहा जाता है कि कादर खान के पास कनाडा की भी नागरिकता है।
8) कादर खान ने 250 से ज्यादा फिल्मों के संवाद लिखे हैं।
9) फिल्म रोटी के लिए मनमोहन देसाई ने कादर खान को संवाद लिखने के लिए 1,20,000 रुपये जैसी बड़ी रकम अदा की थी।
10) कादर खान टेलीविजन पर एक कॉमेडी शो हंसना मत प्रसारित कर चुके हैं। जिसे उन्होंने खुद बनाया था।
11) अमिताभ बच्चन के अलावा, Kadar Khan ऐसे कलाकार थे जिन्होंने प्रकाश मेहरा और मनमोहन देसाई के आपस में प्रतिस्पर्धी कैंपों में काम किया।
12) अमिताभ की कई सफल फिल्मों के अलावा, Kadar Khan ने हिम्मतवाला, कुली नं वन, मैं खिलाडी तू अनाड़ी, खून भरी मांग, कर्मा, सरफरोश और धर्मवीर जैसी सुपर हिट फिल्मों के संवाद लिखे हैं।
13) 2013 में, Kadar Khan को उनके फिल्मों में योगदान के लिए साहित्य शिरोमनी अवार्ड से नवाजा गया।
14) Kadar Khan 1982 और 1993 में बेस्ट डायलॉग के लिए फिल्म फेयर जीत चुके हैं।
15) कादर खान को 1991 को बेस्ट कॉमेडियन का और 2004 में बेस्ट सपोर्टिंग रोल का फिल्म फेयर मिल चुका है
16) कादर खान 9 बार बेस्ट कॉमेडियन के तौर पर फिल्म फेयर में नामांकित किए जा चुके हैं
17) अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम फ्रॉम इंडिया (AFMI) कादर खान को उनकी सफलताओं और भारतीय मुस्लिम कम्युनिटी की भलाई में उनके कामों के लिए सराह चुकी है।
18) फिल्म रोटी के अशरफ खान, अपने एक नाटक के लिए एक युवा लड़के की तलाश में थे तब उन्हें लोगों ने बताया कि एक लड़का रात में कब्रों के बीच बैठकर डायलॉग चिल्लाता है। यह कादर खान थे।
19) कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर फैलाई गई उनकी मौत की खबर से, कादर खान बहुत आहत हुए थे और उन्होंने कहा इससे उनके परिवार को खासा दुख पहुंचा है।
20) अपने बचपन के दिनों में Kadar Khan बहुत गरीब थे। गंदी बस्ती की झोपड़ी में रहने वाले कादर की मां उन्हें मस्जिद प्रार्थना के लिए भेजती थीं जहां से वे कब्रिस्तान चले जाते थे।
21) Kadar Khan के पास बचपन में चप्पल तक नहीं हुआ करते थे। उनकी मां उनके गंदे पैर देखकर समझ जाती थीं कि वह मस्जिद नहीं गए।
22) कादर खान की उनके पहले ही ड्रामे में एक्टिंग देखकर एक बुजुर्ग ने उन्हें सौ रूपए का नोट दिया था। कुछ साल अपने पास रखने के बाद, गरीबी के कारण Kadar Khan ने इस नोट को खर्च कर दिया जिससे वह एक ट्राफी समझते थे।
23) Kadar Khan के जन्म के पहले काबुल में रहने वाले उनके परिवार में उनके तीन बड़े भाई थे जो आठ वर्ष के होतेहोते मर गए। इससे घबराकर कादर खान के जन्म के बाद, उनकी मां उन्हें लेकर मुंबई आ गईं।
24) Kadar Khan मानते हैं कि अच्छा लेखक बनने के लिए जिंदगी में बहुत दुख से गुजरना जरूरी है।
25) कादर खान कभी भी फिल्मों का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे क्योंकि उसके समय फिल्मों को निचले दर्जे की चीज समझी जाती
26) Kadar Khan एक लेखक के तौर पर बहुत ही जल्दी सफल हुए क्योंकि वह बोलचाल की भाषा में संवाद लिखते थे वहीं दूसरी और पहले से जमे हुए लेखक कठिन मुहावरों से भरी भाषा लिखने के आदी थे।
27) Kadar Khan गालिब की गजलों को समझाती किताबें लिख चुके हैं। जिनमें 100 से भी अधिक गजलों के मतलब लिखे हुए हैं।
28) एक दौर ऐसा भी था जब कादर खान कई हीरो से ज्यादा लोकप्रिय थे और दर्शक पोस्टर पर उनका चेहरा देख टिकट खरीदते थे।
29) अश्लील और द्विअर्थी संवाद लिखने के कारण कादर खान कई बार आलोचकों के निशाने पर रहे।
30) बीमार होने के बाद Kadar Khan इस बात से हताश हो गए कि लांगों ने उनसे दूरी बना ली और काम देना बंद कर दिया।
डायलॉग किंग कादर ख़ान के 10 मशहूर डायलॉग।
क़ादर ख़ान ने साल 2004 में आई फ़िल्म मुझसे शादी करोगी के बाद बीमारी के चलते फ़िल्मों से किनारा कर लिया था लेकिन इस साल की शुरुआत में अर्जुन कपूर अभिनीत फिल्म तेवर की छोटी भूमिका से उन्होंने फ़िल्मों में वापसी की.
क़ादर ख़ान ने अभिनय के साथ साथ कुली, सत्ते पे सत्ता, ख़ून पसीना, हम, अग्निपथ, कुली नं. 1 और सरफ़रोश जैसी सुपरहिट फ़िल्मों के डायलॉग लिखे हैं.
यहां पेश हैं Kadar Khan के प्रसिद्ध डायलॉग जो या तो उन्होंने कहे या किसी अभिनेता के मुंह से कहलवाए।
मुक़द्दर का सिकंदर (1978)
फ़कीर बाबा बने कादर ख़ान ज़िंदगी का मर्म अमिताभ को समझाते हैं, सुख तो बेवफ़ा है आता है जाता है, दुख ही अपना साथी है, अपने साथ रहता है. दुख को अपना ले तब तक़दीर तेरे क़दमोंं में होगी और तू मुक़द्दर का बादशाह होगा।
कुली (1983)
अमिताभ के किरदार में जान डालने वाले संवाद कादर ने ही लिखे थे, बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ, बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं और नाम है इक़बाल।
हिम्मतवाला (1983)
फिल्म में अमजद ख़ान के हंसोड़ मुंशी का किरदार निभाने वाले क़ादर को इस फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन का फ़िल्मफ़ेयर मिला था. फिल्म में वो कहते हैं, मालिक मुझे नहीं पता था कि बंदूक लगाए आप मेरे पीछे खड़े हैं. मुझे लगा, मुझे लगा कि कोई जानवर अपने सींग से मेरे पीछे खटबल्लू बना रहा है।
मिस्टर नटवरलाल (1979)
अमिताभ ने भगवान से बात करते हुए कहा था, आप हैं किस मर्ज़ की दवा, घर में बैठे रहते हैं, ये शेर मारना मेरा काम है? कोई मवाली स्मग्लर हो तो मारूं मैं शेर क्यों मारूं, मैं तो खिसक रहा हूं और आपमें चमत्कार नहीं है तो आप भी खिसक लो।
अंगार (1992)
नाना पाटेकर और जैकी श्रॉफ़ की इस फ़िल्म के डायलॉग के लिए क़ादर ख़ान को सर्वश्रेष्ठ संवाद का फ़िल्मफ़ेयर मिला था. इसका एक संवाद है, ऐसे तोहफ़े (बंदूकें) देने वाला दोस्त नहीं होता है, तेरे बाप ने 40 साल मुंबई पर हुकूमत की है इन खिलौनों के बल पर नहीं, अपने दम पर।
सत्ते पे सत्ता (1982)
अमिताभ के शराब पीने वाले सीन को यूट्यूब पर काफ़ी हिट मिले हैं. इसमें वो कहते हैं, दारू पीता नहीं है अपुन, क्योंकि मालूम है दारू पीने से लीवर ख़राब हो जाता है, लीवर।
अग्निपथ (1990)
अमिताभ के इस किरदार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला इसमें बड़ा हाथ जानदार संवादों का भी था, जो क़ादर ने ही लिखे थे, विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन और ये सोलहवां घंटा चालू है.
बाप नंबरी बेटा दस नंबरी (1990)
चालाक ठग का किरदार निभाने वाले क़ादर का एक मशहूर सीन तुम्हें बख्शीश कहां से , मेरी गरीबी का तो ये हाल है कि किसी फेंकीर की अर्थी को कंधा दें तो वो उसे अपनी इंसल्ट मान कर अर्थी से कूद जाता है.
हम (1991)
कादर ख़ान का इस फ़िल्म में डबल रोल था और आर्मी कर्नल के किरदार में यह डायलॉग उन्होंने बोले थे, कहते हैं किसी आदमी की सीरत अगर जाननी हो तो उसकी सूरत नहीं उसके पैरों की तरफ़ देखना चाहिए उसके कपड़ों को नहीं उसके जूतों की तरफ़ देख लेना चाहिए।
जुदाई (1997)
अनिल कपूर और श्रीदेवी अभिनीत इस फ़िल्म में परेश रावल सवाल पूछने वाले किरदार बने हैं लेकिन क़ादर ख़ान उन्हें अपनी पहेलियों से छका देते हैं. इतनी सी हल्दी, सारे घर में मल दी, बताओ किसकी सरकार बनेगी?