Hindi Movie Review

Chhava (2025) Hindi Movie Review: छावा (2025) हिंदी मूवी रिव्यू

Chhava (2025) Hindi Movie

Chhava: फिल्म ‘छावा’ छत्रपति संभाजी महाराज की उस शूर-वीरता को दर्शाती है, जिसके कारण उनका नाम छावा (शेर का बच्चा) पड़ा। वो, जिसने पूरे नौ साल तक मुगल सल्तनत के शहंशाह औरगजेब की नाक में दम करके रखा। वो, जिसकी एक दहाड़ पर मराठा एकजुट होकर मुगलिया सल्तनत को लोहा देने के लिए एकजुट हुए।

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‘छावा’ की कहानी – Chhava

कहानी में छत्रपति शिवाजी महाराज का निधन हो चुका है और मुगल साम्राज्य के शंहशाह औरंगजेब को लगता है कि अब दक्खन में उसे मात देने वाला कोई नहीं बचा। वह अब मराठों पर एकछत्र राज कर सकेगा। मगर वो इस बात से बिल्‍कुल भी वाकिफ नही था कि छत्रपति शिवाजी महाराज का चौबीस साल का निर्भय और जांबाज बेटा संभाजी उर्फ़ छावा (विक्‍की कौशल) अपने पिता के स्वराज के सपने को आगे बढ़ाने के लिए कटिबद्ध है। संभाजी की पत्नी (रश्मिका मंदाना) भी अपने बहादुर राजा के इस सपने को पूरा करने के लिए उसके साथ खड़ी है।

संभाजी अपने सेनापति, सर लश्कर उर्फ हंबीराव मोहिते (आशुतोष राणा) और बहादुर सिपाहियों के साथ औरंगजेब की सल्तनत के महत्वपूर्ण गढ़ बुरहानपुर पर आक्रमण करते हैं। मुगल सल्‍तनत को मराठा वीरों की सेना छठी का दूध याद दिला देती है। इसके बाद ही औरंगजेब, उसकी बेटी (डायना पेंटी) और मुगलों की विशालकाय सेना को संभाजी के पराक्रम का पता चलता है। इस पहली जीत के बाद संभाजी और उसकी महा पराक्रमी सेना पूरे नौ साल तक औरंगजेब की सल्तनत के विभिन्न गढ़ों पर हमले करके उसकी रणनीति को नेस्तानाबूत करती जाती है।

अब संभाजी, औरंगजेब के लिए एक ऐसा कांटा बन चुका था, जिसे वह अपनी तमाम कूटनीतिक चालों के बावजूद निकाल नहीं पाया था। मगर फिर शेर की दहाड़-सा निडर और हवा की तरह चपल महावीर संभाजी अपनों द्वारा ही छला जाता है। संगमेश्वअर में घात लगाकर बैठा उसका कट्टर दुश्मन औरंगजेब उसे कैद कर लेता है। औरंगजेब द्वारा तमाम रूह को कंपा देने वाली शारीरिक यातनाओं के बाद क्या छावा अपने दुश्मन के आगे हार मान लेगा? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

‘छावा’ मूवी रिव्‍यूChhava Movie Review

Chhava फिल्म का पहला रोंगटे खड़े कर देने वाले युद्ध का दृश्य ही इसके मूड को सेट कर देता है। साथ ही ये स्थापित हो जाता है कि निर्भय और निडर छावा किस कमाल का आक्रामक योद्धा है। फिल्म पहले भाग में छावा, उसकी वीरता और किरदारों को स्थापित करने में वक्त लगाती है, मगर दूसरे भाग में कहानी रोमांचकारी बनती जाती है। हालांकि निर्देशक का पूरा जोर छावा की शूरवीरता को दर्शाने पर रहा है, यही वजह है कि छावा की बैकस्टोरी पर ज्यादा काम नहीं किया गया है और इसी कारण फिल्म में एक पुख्ता कहानी की कमी खलती है। हां, फिल्म के तमाम एक्शन सीक्वेंस जानदार, शानदार और स्टाइलिश हैं, जिनकी कोरियोग्राफी तारीफ के काबिल है।

छत्रपति संभाजी महाराज की छोटी सी सेना जिस गोरिल्ला तकनीक से औरंगजेब की सेना के छुड़ाती है, वह देखने योग्य है। क्लाइमैक्स का वॉर सीक्वेंस फिल्म की जान है, जिसमें संभाजी तामाम यातनाओं के बावजूद घुटने नहीं टेकता। फिल्म में ‘हम शोर नहीं करते सीधा शिकार करते हैं’ जैसे सीटीमार डायलॉग भी रखे गए हैं।

एआर रहमान के संगीत से सजी इस फिल्म में ‘आया रे तूफ़ान’ विषय के मुताबिक है, मगर वहीं ‘जाने तू’ जैसा गाना उस दौर के हिसाब से अटपटा लगता है। बैकग्राउंड स्कोर ने फिल्म का खूब साथ दिया है। लक्ष्मण खुद एक मंझे हुए छायाकार हैं, इसके बावजूद उन्होंने सिनेमैटोग्राफी की जिम्मेदारी सौरभ गोस्वामी को सौंपी है और मानना पड़ेगा की कि उनका कैमरावर्क फिल्म को समृद्ध करता है।

अभिनय के मामले में, अगर यह कहें कि विक्‍की कौशल ने इस ऐतिहासिक किरदार को पर्दे पर जीवंत करने के लिए अपना सबकुछ झोंक दिया है, तो गलत न होगा। विक्‍की कौशल को अपने करियर का शानदार ओपनिंग और क्लाइमैक्स सीन मिला है, जिसमें वे बेजोड़ साबित हुए हैं। शेर की तरह गर्जना करने वाले शूरवीर को वे पर्दे पर जिंदा कर गए हैं। स्वराज के प्रति उनक जूनून साफ नजर आता है। यह उनके करियर की बेस्ट परफॉर्मेंस कहलाएगी।

Chhava के स्थाई शत्रु औरंगजेब के रूप में अक्षय खन्ना ने भी लाजवाब काम किया है। अक्षय के वनलाइनर, हाव-भाव और प्रॉस्थेटिक मेकअप उनके रोल को यादगार बना ले जाते हैं। आशुतोष राणा ने सर लश्कर की भूमिका को बेहद प्रभावशाली ढंग से जिया है, तो वहीं कवि कलश की भूमिका में विनीत कुमार का चरित्र दिल को छू जाता है।

फिल्म में महिला पत्रों को ज्यादा स्पेस नहीं मिलता। दिव्या दत्ता जैसी सक्षम अभिनेत्री को जाया कर दिया गया है। नायिका रश्मिका मंदाना अपने किरदार के साथ न्याय किया है, मगर उनकी डायलॉग डिलीवरी खलती है। लेकिन डायना पेंटी की भूमिका निराश करती है। चार-पांच डायलॉग्स के अलावा उनके हिस्से में कुछ करने जैसा नहीं था। सहयोगी कास्ट मजबूत है।

क्यों देखें Chhava – विक्‍की कौशल के अभिनय और ऐतिहासिक फिल्मों के शौकीन यह फिल्म देख सकते हैं।

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