IDCW Payout क्या होता है?
IDCW Payout (Income Distribution cum Capital Withdrawal Payout) म्यूचुअल फंड्स का एक विकल्प है, जिसमें निवेशक को फंड द्वारा अर्जित आय (जैसे डिविडेंड और पूंजीगत लाभ) नियमित अंतराल पर उनके बैंक खाते में नकद के रूप में वितरित की जाती है।
✅ IDCW Payout कैसे काम करता है?
- डिविडेंड की घोषणा: जब फंड हाउस डिविडेंड भुगतान का निर्णय लेता है, तो म्यूचुअल फंड की प्रति यूनिट पर एक निश्चित डिविडेंड की घोषणा की जाती है।(Value Research Dhanak)
- निवेश की पूंजी का हिस्सा: यह भुगतान अतिरिक्त लाभ नहीं है, बल्कि आपकी निवेश की गई पूंजी का एक हिस्सा आपको वापस लौटाया जाता है।(Value Research Dhanak)
- नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर प्रभाव: डिविडेंड की राशि के बराबर NAV में कमी आती है, क्योंकि वह राशि आपके निवेश में पुनः निवेशित होती है।
📊 उदाहरण
मान लीजिए आपके पास ₹200 प्रति यूनिट की क़ीमत वाले म्यूचुअल फ़ंड की 1,000 यूनिट हैं। फंड हाउस ने ₹2 प्रति यूनिट के डिविडेंड भुगतान की घोषणा की है। आपको निम्नलिखित डिविडेंड मिलेगा:
1,000 यूनिट x ₹2 प्रति यूनिट = ₹2,000(Value Research Dhanak)
हालांकि, ये भुगतान आपके फ़ंड की नेट एसेट वैल्यू (NAV) को उसी अनुपात में कम कर देता है। इस मामले में, NAV कम हो जाएगा और ये ₹198 प्रति यूनिट पर आ जाएगा। नतीजतन, आपका कुल कॉर्पस डिविडेंड की रक़म से कम हो जाता है। (Value Research Dhanak)
💰 टैक्सेशन
- IDCW पर टैक्स: IDCW पर टैक्स आपकी व्यक्तिगत आयकर स्लैब के अनुसार लगता है। यदि आपका लाभांश प्रति वित्तीय वर्ष ₹5,000 से अधिक है, तो स्रोत पर कर कटौती (TDS) लागू होती है। (ICICI Direct)
⚠️ IDCW Payout के नुकसान
- कम रिटर्न: IDCW भुगतान से फंड की NAV में कमी आती है, जिससे कंपाउंडिंग का लाभ कम हो सकता है।
- टैक्स की तत्काल देनदारी: IDCW पर टैक्स तुरंत लागू होता है, जबकि ग्रोथ विकल्प में टैक्स रिडेम्प्शन पर लगता है, जिससे रिटर्न पर टैक्स का प्रभाव कम होता है।
✅ निष्कर्ष
यदि आप नियमित आय की आवश्यकता रखते हैं और टैक्स स्लैब में हैं, तो IDCW Payout एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है। हालांकि, यदि आपका उद्देश्य दीर्घकालिक पूंजी वृद्धि है, तो Growth Option बेहतर रहेगा, क्योंकि इसमें कंपाउंडिंग का लाभ मिलता है।
निवेश करने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति, निवेश लक्ष्य और जोखिम सहनशीलता का मूल्यांकन करना आवश्यक है।