प्रबंधन ( Management) क्या है क्यों बनाये इसमें करियर। जाने पूरी जानकारी।

प्रबंधन (Management) एक करियर के रूप में
प्रबंधन एक ऐसा शब्द है जिसके अनेक अर्थ हैं। इसे किसी व्यवसाय के प्रबंधन एवं पर्यवेक्षण की प्रक्रिया तथा कंपनी अथवा संगठन के परिचालन कार्य की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यहां किसी कंपनी के परिचालन कार्य से संबंधित तथ्यों तथा आंकड़ों के भाग को ध्यान में रख कर नई व्यवसाय नीतियां बनाई जाती हैं। एक सफल प्रबंधक होने के लिए किसी भी व्यक्ति में निर्णय लेने, वित्तीय विश्लेषण तथा अंतर वैयक्तिक संबंधों की समझ होनी चाहिए। उसमें नेतृत्व क्षमता एवं इन कौशलों को दबावों, अवसरों तथा विकल्पों के संदर्भ में क्रियान्वयन की क्षमता भी होनी चाहिए।

प्रबंधन का उद्देश्य किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के उपलब्ध संसाधनों (मानवीय, भौतिकीय तथा आर्थिक) का श्रेष्ठ उपयोग करना होता है। व्यवसाय प्रबंधन व्यवसायियों के कार्यों में मूल रूप से सभी क्षेत्र निहित होते हैं। तथापि, वे कई विशेषज्ञ क्षेत्रों में प्रशिक्षित हो सकते हैं। ये क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं व्यवसाय तथा प्रौद्योगिक अंतरण, सार्वजनिक सेवा प्रबंधन से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन के हो सकते हैं, जिनमें सार्वजनिक उद्यमों, गैर-सरकारी संगठनों एवं को-ऑपरेटिव्ज का प्रबंधन, प्रौद्योगिकी प्रबंधनजिसमें प्रौद्योगिकी के सभी पहलुओं नीतियों, वित्तपोषण तथा विपणन में विशेषज्ञता होती है और ग्रामीण प्रबंधन जो ग्रामीण संसाधनों, पर्यावरण, कृषि उत्पाद से संबंधित होता है ।

कार्य-क्षेत्र

व्यावसायिक प्रबंधकों के लिए मुख्य रूप से पांच कार्य-क्षेत्र होते हैं और छात्र इनमें से किसी क्षेत्र में जाने का प्रयास कर सकता है और उसमें विशेषज्ञता प्राप्त कर सकता है। ये क्षेत्र निम्नलिखित हैं :

• कार्मिक या मानव संसाधन विकास : कार्मिक प्रबंधन/मानव संसाधन विकास से जुड़े व्यक्तियों का कार्य किसी संगठन के संसाधनों, विशेष रूप से व्यक्तियों का अत्यधिक प्रभावी उपयोग करना होता है। इनके दायित्वों में भर्ती, तैनाती, प्रशिक्षण, जन-शक्ति नियोजन, स्टाफ कल्याण, औद्योगिक संबंध तथा श्रमिक संबंध से जुड़े कार्य शामिल होते हैं। मानव संसाधन विकास कार्मिक अन्य जिन विशेषज्ञता क्षेत्रों से जुडे़ होते हैं, उन क्षेत्रों में कर्मचारियों के लिए क्षतिपूर्ति एवं लाभ, स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं अन्य कल्याण पहलू, कर्मचारी कल्याण योजनाएं परिवर्तन प्रबंधन, हस्तन आदि कार्य शामिल हैं
• वित्त उत्पादन या परिचालन कार्य : वित्त क्षेत्र के प्रबंधन कार्यपालक अपने संगठन की वित्त व्यवस्था के लिए उत्तरदायी होते हैं. वे बजट कार्य हस्तन करते हैं, वित्तीय कार्यक्रमों का निष्पादन करते हैं और लाभ-मूल्यांकन कार्य करते हैं ।

उत्पादन एक ऐसा व्यापक क्षेत्र है जो किसी संगठन के परिचालन कार्य पहलू का निर्देशन, समन्वय तथा नियंत्रण करता है तथा मनुष्यों, मशीनों एवं सामग्रियों का कुशल उपयोग करता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी संगठन के भौतिकीय उत्पादन की योजना बनाई जाती है। किसी संगठन के कार्य-क्षेत्र के आधार पर उत्पादन में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों का नियोजन, क्रय एवं नियंत्रण तथा उपकरणों रखरखाव एवं मूल्यहास भी शामिल हो सकता है।

• विपणन तथा सूचना सेवा : विपणन तथा विक्रय विभाग उत्पादक से प्रयोक्ता को माल तथा सेवाओं को पहुंचाने के कार्य को निर्देशित करता है। इसलिए विपणन प्रबंधन में ग्राहक को माल तथा सेवाएं कुशलतापूर्वक तथा न्यूनतम लागत पर देने की नीति की योजना बनाना निहित होता है। यहां कार्य में अनुसंधान एवं विश्लेषण करना भी शामिल होता है, जिसमें ग्राहकों की वर्तमान एवं भावी आवश्यकताओं पर सूचना एकत्र करने के साधन तैयार करना और उनके परिणामों की समीक्षा करना, नए उत्पादों तथा सेवाओं की योजना बनाना और जांच करना एवं विक्रय पूर्वानुमान लगाना निहित होता है। विक्रय विपणन से जुड़ा होता है, जिसमें विपणन-नीतियों को कार्यान्वित करना विपणन प्रबंधकों का दायित्व होता है। इसका अर्थ है किसी संगठन द्वारा तैयार किए गए विशेष माल एवं सेवाओं के लिए ग्राहकों को तलाशना एवं उनसे सम्पर्क कार्य करना ।
• सूचना सेवाएं : प्रबंधन सूचना सेवा महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर रही है, क्योंकि इसमें किसी संगठन की क्षमता में वृद्धि करने के लिए महत्वपूर्ण सूचना संकलन, प्रोसेसिंग एवं प्रचार-प्रसार कार्य शामिल होता है।
प्रवेश

प्रबंधन में किसी करियर में जाने के मूल रूप में दो मार्ग हैं :

• सम्पूर्ण-कार्यों/विशेषज्ञता क्षेत्रों में से किसी एक में विशेषज्ञ बनना ।
• किसी संगठन में एक प्रशिक्षणार्थी के रूप में कार्य प्रारंभ करके प्रबंधन में करियर बना सकते हैं, तथापि इसके लिए कुछ विगत योग्यताएं और अनुभव आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त, अधिकांश संगठन योग्यता प्राप्त प्रबंधन स्नातकों को वरीयता देते हैं। इसलिए प्रबंधन व्यवसाय में जाने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण होना अनिवार्य है ।

पाठ्यक्रम विवरण

प्रबंधन-पाठ्यक्रम निजी तथा राजकीय प्रबंधन संस्थानों द्वारा मुख्य रूप से अधिस्नातक स्नातकोत्तर डिग्री/डिप्लोमा स्तर पर चलाएं जाते हैं। सामान्यतः 10+2 उत्तीर्ण उम्मीदवार अधिस्नातक प्रबंधन डिग्री (जैसे बी.बी.ए., बी.बी.एस., बी.एम.एस.) कर सकते हैं। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों (एम.बी.ए., पी.जी.डी.बी.ए.) के लिए किसी भी विषय में स्नातक होना और प्रवेश चयन प्रक्रिया उत्तीर्ण करना एम.बी.ए., पी.जी.डी.एम., प्रबंधकीय अर्थशास्त्र आदि जैसे कार्यक्रमों के लिए पात्र बनाते हैं। विभिन्न संस्थानों में अंकों की निर्धारित प्रतिशतता मामूली रूप में भिन्न हो सकती है, किंतु प्रवेश के लिए कुल न्यूनतम प्रतिशतता सामान्यतः 50% से कम नहीं होती है। स्नातक पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष के छात्र भी प्रबंधन पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रमों में मुख्य रूप से किसी विशिष्ट क्षेत्र में विशेषज्ञता दिलाई जाती है। कार्यरत व्यवसायियों के लिए एक कार्यपालक एम.बी.ए. पाठ्यक्रम भी चलाया जाता है। कुछ सीमित संस्थाएं अंशकालिक प्रबंधन पाठ्यक्रम भी चलाती हैं ।
चयन
अधिकांश प्रबंधन विद्यालय एक मानक चयन पद्धति का अनुसरण करते हैं। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आई.आई.एम.एस) तथा कुछ प्रबंधन संस्थान प्रत्येक वर्ष दिसंबर में सामान्य प्रवेश परीक्षा (कैट) नामक एक लिखित परीक्षा आयोजित करते हैं। अन्य संस्थाएं प्रबंधन अभिरुचि परीक्षा (एम.ए.टी.) जैसी पृथक प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करती हैं। बड़े समाचार पत्र इनके विज्ञापन प्रकाशित करते हैं। जिसमें आवेदन पद्धति, परीक्षा के स्थान, तारीख एवं समय का उल्लेख होता है। परीक्षा में मौखिक अभिव्यक्ति एवं समस्या समाधान क्षमताओं एवं व्याख्या ज्ञान जांच शामिल होती है ।

कैट या मैट एक ऐसी अनिवार्य पद्धति है जो उम्मीदवार के व्यक्तित्व एवं ज्ञान का विश्लेषण करती है. प्रश्न-पत्रों का कोई निर्धारित ढांचा नहीं है. प्रश्न-पत्र ऑबजेक्टिव प्रकृति के होते हैं। कैट परीक्षा की तैयारी करने में उम्मीदवारों की सहायता के लिए प्रत्येक वर्ष कैट नामक एक पुस्तक प्रकाशित की जाती है। विभिन्न प्रबंधन संस्थाओं द्वारा ली जाने वाली ऐसी प्रवेश परीक्षाओं के लिए स्थानीय प्रशिक्षण विद्यालय भी छात्रों की तैयारी कराते हैं ।

लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, उम्मीदवार अपनी पसंद के किसी एक या अधिक संस्थाओं को निर्धारित प्रारूप में आवेदन कर सकते हैं। सामान्य रूप से उनका चयन सामूहिक विचार-विमर्श (जी.डी.) और उसके बाद एक व्यक्तिगत साक्षात्कार (पी.आई.) में उनके निष्पादन के आधार पर किया जाता है ।
अवधि

अधिस्नातक पाठ्यक्रमों की अवधि 3 वर्ष होती है। तथापि, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की अवधि 1-2 वर्ष होती है ।
संस्थाएं

एम.बी.ए. डिग्री/डिप्लोमा की भारी मांग होने के कारण देश भर में व्यवसाय विद्यालयों की संख्या बढ़ी है। व्यवसाय प्रबंधन पाठ्यक्रम चलाने वाली कुछ संस्थाएं निम्नलिखित हैं :

• भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद, कलकत्ता, बंगलौर, लखनऊ, इंदौर, तथा कोझीकोड (कालीकट)
• जमनालाल बजाज प्रबंधन अध्ययन विद्यालय, मुम्बई
• जे़वियर्स श्रमिक संबंध संस्थान, जमशेदपुर
• प्रबंधन अध्ययन संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय
• नरसी मोनजी प्रबंधन अध्ययन संस्थान, मुंबई
• सिम्बोसिस व्यवसाय प्रबंधन संस्थान, पुणे
• व्यवसाय प्रबंधन संस्थान, राष्ट्रीय शिक्षा परिषद, बंगाल, कोलकाता
• अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली
• आई.आई.एफ.टी., नई दिल्ली
• एम.डी.आई., गुड़गांव

(उक्त सूची उदाहरण मात्र हैं)

कार्य संभावनाएं

उदारीकरण, निजीकरण तथा सार्व-भौमिकरण होने के साथ ही प्रभावी प्रबंधकों के लिए अनेक अवसर उपलब्ध हो गए हैं। अधिकाधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में आ रही हैं और अनेक भारतीय कंपनियां विदेश में संयुक्त उद्यम के लिए जा रही हैं। इससे योग्य प्रबंधकों को संगठनों के चलाने तथा उनके प्रबंधन के लिए करियर के आकर्षक विकल्प खुलते जा रहे हैं। इस क्षेत्र में अत्यधिक कुशल व्यवसायियों की आवश्यकता के साथ-साथ प्रबंधन स्नातकों की व्यापक मांग रही है। ऐसे स्नातकों के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों में संभावनाएं विद्यमान हैं :
• व्यवसाय संस्थाएं/निगम
• बहुराष्ट्रीय निगम
• औद्योगिक संस्थाएं/विनिर्माणी कंपनियां
• वित्तीय संस्थाएं
• बैंक
• सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम
• विज्ञापन एजेंसियां
• विश्व बैंक, यूनीसेफ तथा अन्य संयुक्त राष्ट्र निकाय
• परामर्श/स्व-रोजगार
• अध्यापन/अनुसंधान
अपेक्षित कौशल एवं प्रतिभा

अधिकांश प्रबंधकों में विशेषज्ञतापूर्ण पृष्ठ-भूमि एवं प्रंबधकीय कौशल दोनों होते हैं। आपको किसी विशेष कार्य जैसे विपणन, परिचालन या विनिर्माण कार्य प्रांरभ करने में विशेषज्ञता प्राप्त करनी होती है। आप किसी भी प्रवेश स्तर के पद से अपने तरीके से काम प्रारंभ करें और सीखने तथा उपलब्धि प्राप्त करने की संभावना प्रदर्शित करें और इस तरह प्रबंध कौशल प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह आप प्रबंधकीय रैंकों पर पदोन्नति ले सकते हैं। एक प्रबंधक बनने के लिए आपको तीन क्षेत्रों में अपनी सक्षमता प्रदर्शित करनी चाहिए।

• तकनीकी : किसी विशिष्ट कार्य की व्यवस्था का ज्ञान एवं समझ।
• मानव संबंध : व्यक्तियों की समझ तथा व्यक्तियों के साथ प्रभावी रूप में कार्य करने की क्षमता ।
• संकल्पनात्मकता : विभिन्न अंशों एवं पूर्ण के बीच संबंधों पर सोचने तथा देखने की क्षमता। मानव संबंध कौशल प्रबंधकों के सभी स्तरों के लिए आवश्यक होते हैं।

एक प्रबंधक के रूप में आप अपना अधिकांश कार्य व्यक्तियों के साथ और अपना कार्य व्यक्तियों से कराने पर व्यतीत करें। इससे आपके अंतर-वैयक्तिक कौशल के साथ-साथ सफलता के लिए आवश्यक निम्नलिखित कौशलों का विकास होगा।
• मौखिक तथा लिखित संचार
• ठोस श्रवण क्षमता
• निष्कपट एवं प्रत्यक्ष वार्ता
• अन्यों को प्रेरणा देने वाली संवेदनशीलता

आप जैसे-जैसे करियर के मार्ग पर आगे बढ़ते जाएंगे वैसे-वैसे आप तकनीकी कौशल पर कम और संकल्पनात्मक कौशल पर निर्भर होते चले जाएंगे।

अपेक्षित कौशल

स्तर

संचार कौशल

अत्यधिक

लचीलापन एवं स्वीकार्यता

अत्यधिक

ऊर्जा स्तर

अधिक

संश्लेषण क्षमता

अत्यधिक

कार्य-नीति

अधिक

ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा

अधिक

नवप्रवर्तन (पहलशक्ति)

मध्यम

व्यवसाय-निर्णय

अधिक

आत्म-विश्वास

अत्यधिक

तकनीकी कौशल

मध्यम

नेतृत्त्व क्षमता

अत्यधिक

दृढ़ता

अत्यधिक

समस्या समाधान क्षमता

अत्यधिक

वेतन

प्रबंधन के क्षेत्र में वेतन मुख्य रूप से संगठन के ढांचे उम्मीदवार की योग्यता एवं कार्य-प्रकृति पर निर्भर होता है।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!
Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker