Hindi Movie Review
Top 50 Rare Bollywood Old Movies Facts (हिंदी में)

📽️ “पुरानी बॉलीवुड फिल्मों के Top 50 Rare & Interesting Facts in Hindi” — जिन्हें जानकर आप भी कहेंगे “वाह! ये तो मुझे नहीं पता था!” 👇
🏆 🎬 Top 50 Rare Bollywood Old Movies Facts (हिंदी में)
🕰️ 1–10 : बॉलीवुड की शुरुआत के रोचक तथ्य
- 🎙️ “आलम आरा” (1931) भारत की पहली बोलती फिल्म थी। इसमें 7 गाने थे।
- इस फिल्म का प्रीमियर रात 12 बजे हुआ था क्योंकि थिएटर में भीड़ संभालना मुश्किल था।
- 📽️ “राजा हरिश्चंद्र” (1913) भारत की पहली मूक (Silent) फीचर फिल्म थी।
- इस फिल्म में कोई महिला कलाकार नहीं थी — महिलाओं का किरदार पुरुषों ने निभाया था।
- 🎬 1935 में “देवदास” का पहला वर्जन बना था, जो शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित था।
- शुरुआती दौर में फिल्में थिएटर की तरह एक ही शॉट में शूट होती थीं।
- 1930s–40s में गाने लाइव रिकॉर्ड किए जाते थे, अलग से डबिंग नहीं होती थी।
- शुरुआती फिल्मों में कैमरे की मूवमेंट बहुत सीमित होती थी, इसलिए ज़्यादातर सीन स्टेज जैसे लगते थे।
- फिल्में उस समय 3–4 घंटे लंबी होती थीं और बीच में इंटरवल में नाटक या नाच दिखाया जाता था।
- उस दौर में फिल्म पोस्टर हाथ से बनाए जाते थे, कोई प्रिंटर टेक्नोलॉजी नहीं थी।
🌟 11–20 : आइकॉनिक फिल्मों के फैक्ट्स
- 🎥 “मदर इंडिया” (1957) भारत की पहली ऑस्कर नॉमिनेटेड फिल्म थी।
- नरगिस और सुनील दत्त की मुलाकात इसी फिल्म के दौरान आग लगने वाले सीन में हुई थी।
- “मदर इंडिया” की शूटिंग में करीब 3 साल लगे।
- 🌈 “मुग़ल-ए-आज़म” (1960) की शूटिंग 10 साल चली और ₹1.5 करोड़ खर्च हुए (उस समय यह बहुत बड़ी रकम थी)।
- गाना “प्यार किया तो डरना क्या” को असली शीशे के हॉल में फिल्माया गया था।
- राज कपूर की “आवारा” रूस और चीन में इतनी हिट हुई कि लोग आज भी गाना “आवारा हूँ” गुनगुनाते हैं।
- “आवारा” का पोस्टर टाइम मैगज़ीन में छपा था।
- “श्री 420” (1955) का गाना “मेरा जूता है जापानी” भारतीय पहचान का प्रतीक बन गया था।
- “गाइड” (1965) भारत की पहली फिल्म थी जो Eastmancolor में पूरी शूट हुई थी।
- देव आनंद की “गाइड” अंग्रेज़ी में भी बनी थी — एक इंटरनेशनल वर्जन के रूप में।
🧠 21–30 : शूटिंग और तकनीकी के अनोखे तथ्य
- पुराने समय में एडिटिंग फिल्म रील को काटकर जोड़ने से होती थी — कोई कंप्यूटर नहीं।
- कई क्लासिक फिल्मों में कैमरे के लिए हाथ से बनाई गई डॉली (Moving Stand) का इस्तेमाल होता था।
- 1950–60 के दशक में फिल्म की साउंड एक ही ट्रैक में रिकॉर्ड होती थी, कोई मल्टीट्रैक नहीं।
- एक गाने के लिए पूरा ऑर्केस्ट्रा स्टूडियो में एक साथ परफॉर्म करता था।
- एक गलती का मतलब होता था — पूरा गाना दोबारा रिकॉर्ड!
- 70mm फॉर्मेट में भारत की पहली फिल्म “शोले” (1975) थी।
- “शोले” को रिकॉर्डिंग में 1.5 साल लगे — उस समय ये बड़ी बात थी।
- “शोले” के साउंड इफेक्ट्स लंदन में तैयार किए गए थे।
- उस समय फिल्म में ट्रेलर दिखाना आम नहीं था — पोस्टर ही पब्लिसिटी का तरीका था।
- इंटरवल क्लाइमैक्स डालना एक ट्रेडिशन बन गया था ताकि लोग इंटरवल में कहानी पर चर्चा करें।
💰 31–40 : कमाई और पॉपुलैरिटी के फैक्ट्स
- “मुग़ल-ए-आज़म” रिलीज़ के बाद 3 साल तक थिएटर में चली।
- “शोले” ने शुरुआती हफ्तों में फ्लॉप झेला था लेकिन बाद में सुपरहिट हुई।
- “हम आपके हैं कौन” (1994) ने भारतीय सिनेमा में टिकटिंग सिस्टम को बदला — सीमित थिएटर + महंगी टिकट = ब्लॉकबस्टर।
- “आवारा” और “श्री 420” सोवियत संघ में इतनी चलीं कि वहां हिंदी सिखने की लहर आ गई थी।
- “मदर इंडिया” ने उस समय 5 करोड़ से ज़्यादा कमाए — जो आज के समय में सैकड़ों करोड़ होते।
- “शोले” ने ₹25 करोड़ से ज़्यादा कमाए, जो 1975 में बहुत बड़ी रकम थी।
- उस दौर में फिल्मों की कमाई का कोई पब्लिक रिकॉर्ड नहीं होता था — सब थिएटर के भरोसे।
- कई फिल्में री-रिलीज़ में हिट होती थीं (पहली बार में नहीं)।
- थिएटर में एक फिल्म सालों तक चलना आम बात थी (जैसे “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” बाद में)।
- सिंगल स्क्रीन थिएटर में फर्स्ट डे फर्स्ट शो का माहौल त्योहार जैसा होता था।
🧍 41–50 : स्टार्स और अनसुनी बातें
- राज कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद — इन तीनों को Golden Trio कहा जाता था।
- नरगिस पहली भारतीय अभिनेत्री थीं जिन्हें “Padma Shri” मिला (1958)।
- देव आनंद को “No Black Clothes” का नियम लगाना पड़ा था — उनकी फिल्म के शो में लड़कियां बेहोश हो जाती थीं।
- राजकुमार (जानी) असल में पुलिस इंस्पेक्टर थे — फिर एक्टिंग में आए।
- धर्मेंद्र जब फिल्म इंडस्ट्री में आए थे तब उनके पास सोने के लिए जगह नहीं थी।
- मीना कुमारी को “Tragedy Queen” कहा जाता था — उनकी असली ज़िंदगी भी बहुत दुखभरी थी।
- मधुबाला को “वीनस ऑफ़ इंडियन सिनेमा” कहा जाता था — उनकी मुस्कान पर लोग फिदा थे।
- अशोक कुमार बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार माने जाते हैं, न कि राजेश खन्ना।
- पुराने समय में हीरो खुद अपने स्टंट्स करते थे — बॉडी डबल्स कम होते थे।
- कई पुरानी फिल्में बिना स्क्रिप्ट के शुरू होती थीं — कहानी शूटिंग के दौरान बनती थी!
📝 बोनस:
👉 बॉलीवुड की कई पुरानी फिल्में आज भी विदेशी फिल्म स्कूलों में “क्लासिक स्टडी” के रूप में पढ़ाई जाती हैं, जैसे:
- Mughal-e-Azam
- Guide
- Awara
- Mother India
- Sholay
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