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दुकान (Shop) किराए पर देने का पूरा प्रोसेस

दुकान (Shop) किराए पर देने का पूरा प्रोसेस (Process) नीचे हिंदी में विस्तार से बताया गया है। इसमें कानूनी प्रक्रिया, दस्तावेज़, रेंट एग्रीमेंट और ज़रूरी बातों को शामिल किया गया है।
🏢 दुकान किराए पर देने की प्रक्रिया (Step-by-Step Process)
1. दुकान की स्थिति का मूल्यांकन करें (Evaluate the Property)
- दुकान की लोकेशन, साइज, आसपास का बाजार आदि की जानकारी रखें।
- किराया तय करने से पहले आस-पास की दुकानों का किराया भी देखें।
2. किरायेदार की तलाश करें (Find a Tenant)
- विज्ञापन दें – ऑनलाइन पोर्टल्स (जैसे 99acres, MagicBricks), लोकल एजेंट, या ब्रोकर के माध्यम से।
- किरायेदार का प्रोफाइल चेक करें – व्यवसायिक उद्देश्य, बैकग्राउंड, आदि।
3. किरायेदार का वेरिफिकेशन करें (Tenant Verification)
- पहचान पत्र (आधार, पैन), व्यवसाय से संबंधित दस्तावेज़ माँगें।
- पुलिस वेरिफिकेशन अगर ज़रूरी है (वैसे ज़रूरी नहीं होता है) तो जैसे आपको किरायेदार पर शक हो या कुछ सेंस्टिव लगे आपको तो – किरायेदार का स्थानीय थाने में वेरिफिकेशन कराएं।
4. किराया और शर्तें तय करें (Fix Rent and Terms)
- मासिक किराया (Rent), सुरक्षा राशि (Security Deposit), रेंट पेमेंट का तरीका और समय तय करें।
- बिजली-पानी के बिल कौन देगा, मरम्मत की ज़िम्मेदारी किसकी होगी – ये सब पहले से तय करें। आपकी जानकारी के लिए बता दे की बिजली का बिल किरायेदार को ही भरना पड़ता है और पानी का बिल सोसायटी के मेंटेनेस में इंक्लूड होता है और इसे दुकान का मालिक ही भरता है।
5. रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) तैयार करें
- यह सबसे ज़रूरी हिस्सा है। रेंट एग्रीमेंट स्टांप पेपर पर बनता है (₹100 या ₹500 का सामान्यतः)।
- इसमें निम्नलिखित बातें शामिल होनी चाहिए:
एग्रीमेंट में शामिल मुख्य बिंदु:
- मकान मालिक और किरायेदार का नाम व पता
- दुकान का पता और विवरण
- मासिक किराया और डिपॉजिट राशि
- किराए की अवधि (6 महीने / 11 महीने / 1 साल आदि)
- नोटिस पीरियड (Termination Notice – आमतौर पर 1 महीना)
- बिजली-पानी और अन्य चार्जेस की जिम्मेदारी (आमतौर पर बिजली का बिल किरायेदार को भरना होता है)
- दुकान में क्या कार्य होगा – इसे स्पष्ट रूप से लिखें
- गारंटर दोनों तरफ़ से दो दो लोग होने चाहिए।
6. रजिस्ट्रेशन (Registration of Agreement)
- एग्रीमेंट को स्थानीय रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर कराना कानूनन बेहतर होता है (ज़रूरी नहीं, लेकिन कानूनी सुरक्षा देता है)।
- दोनों पक्षों की फोटो और पहचान पत्र साथ ले जाएं।
7. GST और अन्य कानूनी बातें (यदि लागू हों)
- यदि मासिक किराया ₹20,000 से अधिक है और मकान मालिक GST में रजिस्टर्ड है, तो GST लागू हो सकता है।
- व्यवसायिक दुकानों पर नगरपालिका से लाइसेंस भी ज़रूरी हो सकता है – किरायेदार को इसे लेना होगा।
✅ ज़रूरी दस्तावेज़ (Documents Required)
किराएदार के लिए | मकान मालिक के लिए |
---|---|
आधार कार्ड / पैन कार्ड | पहचान पत्र |
व्यवसायिक लाइसेंस (अगर कोई है) | दुकान के स्वामित्व के दस्तावेज |
पुलिस वेरिफिकेशन फॉर्म | बिजली बिल या प्रॉपर्टी टैक्स रसीद |
⚠️ सावधानियाँ (Precautions)
- बिना रेंट एग्रीमेंट के दुकान न दें।
- किरायेदार का पूरा बैकग्राउंड जांचें।
- दुकान में अवैध गतिविधियाँ न हों – इसका ध्यान रखें।
- समय पर किराया न देने की स्थिति में कानूनी सहारा लें।