शेयर मार्केट में डिलीवरी क्या होती है? (Stock Market me Delivery Kya Hoti Hai?)

शेयर मार्केट में डिलीवरी क्या होती है? (Stock Market me Delivery Kya Hoti Hai?)

जब कोई निवेशक शेयर बाजार में किसी कंपनी के शेयर खरीदता है, तो उसके पास दो तरीके होते हैंइंट्राडे (Intraday) और डिलीवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading)डिलीवरी ट्रेडिंग का मतलब है कि निवेशक जो शेयर खरीदता है, वह अपने डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर करवा लेता है और उन्हें लंबे समय तक होल्ड करता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या होती है?

डिलीवरी ट्रेडिंग में खरीदे गए शेयर तुरंत बेचे नहीं जाते, बल्कि निवेशक उन्हें अपने डीमैट अकाउंट में होल्ड करके रखता है। यह ट्रेडिंग लॉन्गटर्म निवेशकों के लिए फायदेमंद होती है, क्योंकि इसमें कंपाउंडिंग का फायदा, डिविडेंड, बोनस और स्प्लिट शेयर का लाभ मिलता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे काम करती है?

1. शेयर खरीदनाजब कोई निवेशक किसी स्टॉक एक्सचेंज (NSE/BSE) से शेयर खरीदता है, तो उसे फंड देकर शेयर खरीदने होते हैं।

2. सेटेलमेंट प्रोसेसभारतीय शेयर बाजार में T+1 सेटलमेंट (ट्रेड के अगले दिन शेयर डीमैट अकाउंट में क्रेडिट) लागू होता है।

3. डीमैट अकाउंट में ट्रांसफरखरीदारी के एक दिन बाद (T+1), वह शेयर निवेशक के डीमैट अकाउंट में आ जाता है।

4. होल्डिंग पीरियडनिवेशक इस शेयर को जब तक चाहे होल्ड कर सकता है और सही समय पर बेच सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे

1. लॉन्ग टर्म ग्रोथशेयर का मूल्य समय के साथ बढ़ सकता है, जिससे अच्छा मुनाफा होता है।

2. डिविडेंड और बोनसनिवेशक को कंपनी द्वारा दिए गए डिविडेंड, बोनस शेयर, और स्टॉक स्प्लिट का लाभ मिलता है।

3. कोई समय सीमा नहींइंट्राडे में शेयर उसी दिन बेचना होता है, लेकिन डिलीवरी में आप इसे जब तक चाहें रख सकते हैं।

4. कम रिस्कइंट्राडे के मुकाबले डिलीवरी ट्रेडिंग में कम जोखिम होता है क्योंकि इसमें शॉर्टटर्म मार्केट वोलैटिलिटी का प्रभाव कम पड़ता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान

1. पूरी पेमेंट करनी होती हैडिलीवरी में मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा नहीं होती, इसलिए निवेशक को पूरी कीमत चुकानी होती है।

2. ब्रोकरेज चार्ज ज्यादा होता हैइंट्राडे के मुकाबले डिलीवरी ट्रेडिंग पर ब्रोकरेज शुल्क ज्यादा लगता है।

3. लॉन्गटर्म इन्वेस्टमेंट का जोखिमअगर किसी गलत स्टॉक में निवेश किया जाता है, तो लॉन्गटर्म में भी नुकसान हो सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग में अंतर

डिलीवरी ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग दोनों ही शेयर बाजार की अलग-अलग प्रकार की ट्रेडिंग रणनीतियाँ हैं। इन दोनों के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। नीचे दी गई तालिका में इन दोनों के बीच का अंतर स्पष्ट किया गया है:

विशेषता डिलीवरी ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग
समय का परिप्रेक्ष्य इसमें शेयरों को कुछ दिन, हफ्ते, या महीनों के लिए खरीदा और रखा जाता है। इसमें शेयरों को एक ही दिन के अंदर खरीदा और बेचा जाता है।
लक्ष्य लंबी अवधि में लाभ कमाना। एक दिन के भीतर छोटे-छोटे लाभ कमाना।
पोस्ट-ट्रेड स्थिति शेयरों को खरीदी जाती है और ग्राहक के खाता में स्थानांतरित कर दी जाती है। ट्रेड के अंत तक सभी पोसिशन्स क्लोज कर दी जाती हैं।
मार्केट टाइम ट्रेड कभी भी खुले बाजार में किया जा सकता है और समय की कोई बाध्यता नहीं होती। ट्रेड दिन के दौरान, केवल बाजार खुलने के समय तक।
लाभ स्टॉक की कीमतों में बढ़ोतरी से दीर्घकालिक लाभ। स्टॉक की कीमतों में दिनभर के उतार-चढ़ाव से छोटे लाभ।
लिवरेज का उपयोग लिवरेज का उपयोग कम होता है। लिवरेज का उपयोग अधिक होता है।
निवेशी का काम लंबी अवधि के लिए निवेश करना। दिन के भीतर ट्रेडिंग करके जल्दी लाभ प्राप्त करना।
जोखिम लंबी अवधि के उतार-चढ़ाव से जोखिम होता है। एक ही दिन में मार्केट की उच्च अस्थिरता के कारण जोखिम अधिक होता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें?

1. डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें

पहले किसी ब्रोकरेज फर्म (Zerodha, Upstox, Angel One आदि) में डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें।

2. रिसर्च करें और सही स्टॉक चुनें

जिस कंपनी में निवेश करना चाहते हैं, उसकी फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस करें।

3. ऑर्डर प्लेस करें

अपने ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म पर लॉगिन करें और “Delivery” मोड में स्टॉक खरीदें।

4. शेयर होल्ड करें और सही समय पर बेचें

• सही प्रॉफिट मिलने पर या लॉन्ग-टर्म गोल अचीव करने के बाद स्टॉक को बेच सकते हैं।

निष्कर्ष

डिलीवरी ट्रेडिंग उन निवेशकों के लिए सही विकल्प है जो लॉन्गटर्म में ग्रोथ चाहते हैं और शेयर बाजार से स्टेबल रिटर्न कमाना चाहते हैं। हालांकि, इसमें पूरी राशि का भुगतान करना होता है और सही स्टॉक चुनना जरूरी होता है। अगर आप स्टॉक मार्केट में नए हैं, तो डिलीवरी ट्रेडिंग आपके लिए एक सुरक्षित तरीका हो सकता है।

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