कपड़ों में आग लगना
खुली हवा लगने से आग अधिक भड़कती है, इसलिए अगर शरीर के कपड़ों में आग लग जाए तो न तो दौड़ना चाहिए और न खड़े ही रहना चाहिए। खड़े रहने से आग की लपटे ऊपर की ओर उठकर मुंह, आंख और सिर को जला सकती है। ऐसी स्थिति में जलने वाले व्यक्ति को तुरंत ही जमी पर लेट जाना चाहिए तथा अपनी आंख, नाक तथा मुंह को दोनों हथेलियों से ढककर खूब लोट लेनी चाहिए। इससे आग के जल्दी बुझने में मदद मिलती है।
सहायक व्यक्तियों को चाहिए कि जिस व्यक्ति के कपड़ों में आग लगी हो, उसके शरीर के ऊपर कम्बल, कोट, दरी या जो भी मोटा तथा भारी कपड़ा उपलब्ध हो- डाल दें। इससे बाहरी हवा नहीं लगेगी और लगी हुई आग के जल्दी बुझ जाने की सम्भावना रहेगी।
कम्बल आदि डालने के बाद कपड़ों में आग लगे हुए व्यक्ति को जमीन पर लिटाकर, उसके शरीर को कम्बल आदि से अच्छी तरह कसकर लपेट लेना चाहिए, ताकि आग जल्दी बुझ जाए।
आग में घिर जाना
किसी कारणवश मकान आदि में आग लग जाने पर अगर कोई व्यक्ति गिर गया हो तो उसे चाहिए कि वह पहले दीवार से सटकर पेट के बल लेट जाए, फिर फर्श से सटकर धीरे-धीरे रेंगते हुए दरवाजे या सीढ़ियों को ओर बढ़ते हुए आगे वाली जगह से बाहर निकल जाए।
अगर आग कमरे के भीतरी भाग में लगी हों और स्वयं कमरे के भीतर हों तो पहले कमरे के दरवाजे तथा खिड़कियों को बंद कर लेना चाहिए, ताकि आग और धुआं काफी समय तक उस कमरे के भीतर प्रवेश न कर सकें। इसी बीच उस जगह से बाहर निकलने का कोई ऐसा रास्ता ढूंढ लेना चाहिए, जो सबसे अधिक आसान हो अथवा जिसमें कम से कम खतरा हो। यदि कोई मकान की ऊपरी मंजिल में आग में घिर गया हो तो खिड़की आदि के रास्ते से नीचे लटककर अथवा कूद कर निकला जा सकता है। ऐसे अवसरों पर जहरीली गैसों से बचने के लिए अपनी नाक तथा मुंह पर गीला कपड़ा या रूमाल बांध लेना चाहिए।
यदि कोई व्यक्ति आग में घिर गया हो और स्वयं बच निकलने में असमर्थ हो तो उस स्थिति में जो लोग आग में घिरे हुए व्यक्ति को बचाने के जाएं, उन्हें अपनी नाक तथा मुंह पर गीला कपड़ा अथवा रूमाल बांध लेना चाहिए, ताकि उनका जहरीली गैसों से बचाव हो सकें। इसके बाद उन्हें रेंगते हुए ही उस स्थान पर पहुंचना चाहिए, जहां आग से घिरा हुआ असमर्थ व्यक्ति हो।
यदि दुर्घटना में फंसा हुआ व्यक्ति बेहोश हो गया हो तो उसकी दोनों कलाईयों को मिलाकर, रूमाल से बांध देना चाहिए। इसके बाद उसके बंधे हाथों के बीच में अपना सिर डालकर, बेहोश व्यक्ति के हाथों को अपने गले में लटका लें तथा स्वयं रेंगते हुए उसे अपने साथ बाहर निकाल लाएं।
अगर सीढ़ियों से उतरना सुरक्षित न हों तो आग में घिरे बेहोश व्यक्ति को बड़ी बाल्टी, बोरी या मजबूत चादर की गठरी में बांधकर खिड़की आदि के रास्ते से, रस्सी के सहारे नीचे लटका देना चाहिए। यदि ये चीजें उपलब्ध न हों तो बेहोश व्यक्ति की बगल के नीचे तथा घुटनों के पास रस्सी के दो-दो लपेटे लगाकर कुर्सी-गांठ लगा देनी चाहिए।
आग लगे हुए कमरे से किसी बच्चे को नीचे उतारना हो तो चादर या धोती में रीफ गांठ लगाकर झोला बना लेना चाहिए तथा बच्चे के हाथ-पांव बांधकर, उसे झोले में डाल देना चाहिए, ताकि वह उछलकर बाहर न निकल पड़े। इसके बाद उसे रस्सी के सहारे धीरे-धीरे नीचे उतार देना चाहिए।
आग में घिरा व्यस्क एगर अकेला तथा होश में हो तो उसे खिड़की आदि से नीचे कूदते समय किसी रस्सी, धोती आदि को खिड़की से बांधकर उसके सहारे से नीचे उतर जाना चाहिए। इससे चोट लगाने की संभावना कम हो जाती है।
आग को बुझाना
जहां आग लगी हो, वहां से उन बची हुई वस्तुओं को, जिनमें आग लग जाने की संभावना हो- हटा देना चाहिए। इसके बाद आग को बुझाने की कोशिश करनी चाहिए।
सामान्य आग को पानी डालकर बुझाया जा सकता है लेकिन पैट्रोल, मिट्टी का तेल, स्प्रिट, रंग-रोगन आदि में लाग लगी हो तो उन पर पानी भूलकर भी नहीं डालना चाहिए, अन्यथा ये तरल पदार्थ हल्के होने के कारण पानी में तैरने लगेंगे तथा आग को और अधिक फैला देंगे। जहां तक हो इन्हें दबा देना चाहिए या इन पर रेत-मिट्टी डालकर आग को बुझाना चाहिए।
बिजली की लगी आग को बुझाने से पहले सर्वप्रथम बिजली के मेन-स्विच तो बंद कर देना चाहिए। बिजली की तारों में लगी आग को भी रेत-मिट्टी डालकर ही बुझाना चाहिए।
आग बुझाने का काम करने वाले को चुस्त कपड़े पहनने रखने चाहिए तथा मुंह और नाक पर गीला रूमाल बांध लेना चाहिए, ताकि जहरीली गैसों का प्रभाव न पड़े।
खेत-खलिहान में लगी आग को पेड़ की टहनी में बोरी का टुकड़ा बांधकर तथा उसको पीट-पीटकर बुझाया जा सकता है।
जहां फायर-बिग्रेड (दमकल) की सहायता उपलब्ध हो, वहां कैसी भी आग लगने पर फायर-बिग्रेड को तुरंत सूचित करना चाहिए तथा जब फायर-बिग्रेड वाले आ जाएं, तब उन्हें आग बुझाने में पूरा सहयोग देना चाहिए।
खुली हवा लगने से आग अधिक भड़कती है, इसलिए अगर शरीर के कपड़ों में आग लग जाए तो न तो दौड़ना चाहिए और न खड़े ही रहना चाहिए। खड़े रहने से आग की लपटे ऊपर की ओर उठकर मुंह, आंख और सिर को जला सकती है। ऐसी स्थिति में जलने वाले व्यक्ति को तुरंत ही जमी पर लेट जाना चाहिए तथा अपनी आंख, नाक तथा मुंह को दोनों हथेलियों से ढककर खूब लोट लेनी चाहिए। इससे आग के जल्दी बुझने में मदद मिलती है।
सहायक व्यक्तियों को चाहिए कि जिस व्यक्ति के कपड़ों में आग लगी हो, उसके शरीर के ऊपर कम्बल, कोट, दरी या जो भी मोटा तथा भारी कपड़ा उपलब्ध हो- डाल दें। इससे बाहरी हवा नहीं लगेगी और लगी हुई आग के जल्दी बुझ जाने की सम्भावना रहेगी।
कम्बल आदि डालने के बाद कपड़ों में आग लगे हुए व्यक्ति को जमीन पर लिटाकर, उसके शरीर को कम्बल आदि से अच्छी तरह कसकर लपेट लेना चाहिए, ताकि आग जल्दी बुझ जाए।
आग में घिर जाना
किसी कारणवश मकान आदि में आग लग जाने पर अगर कोई व्यक्ति गिर गया हो तो उसे चाहिए कि वह पहले दीवार से सटकर पेट के बल लेट जाए, फिर फर्श से सटकर धीरे-धीरे रेंगते हुए दरवाजे या सीढ़ियों को ओर बढ़ते हुए आगे वाली जगह से बाहर निकल जाए।
अगर आग कमरे के भीतरी भाग में लगी हों और स्वयं कमरे के भीतर हों तो पहले कमरे के दरवाजे तथा खिड़कियों को बंद कर लेना चाहिए, ताकि आग और धुआं काफी समय तक उस कमरे के भीतर प्रवेश न कर सकें। इसी बीच उस जगह से बाहर निकलने का कोई ऐसा रास्ता ढूंढ लेना चाहिए, जो सबसे अधिक आसान हो अथवा जिसमें कम से कम खतरा हो। यदि कोई मकान की ऊपरी मंजिल में आग में घिर गया हो तो खिड़की आदि के रास्ते से नीचे लटककर अथवा कूद कर निकला जा सकता है। ऐसे अवसरों पर जहरीली गैसों से बचने के लिए अपनी नाक तथा मुंह पर गीला कपड़ा या रूमाल बांध लेना चाहिए।
यदि कोई व्यक्ति आग में घिर गया हो और स्वयं बच निकलने में असमर्थ हो तो उस स्थिति में जो लोग आग में घिरे हुए व्यक्ति को बचाने के जाएं, उन्हें अपनी नाक तथा मुंह पर गीला कपड़ा अथवा रूमाल बांध लेना चाहिए, ताकि उनका जहरीली गैसों से बचाव हो सकें। इसके बाद उन्हें रेंगते हुए ही उस स्थान पर पहुंचना चाहिए, जहां आग से घिरा हुआ असमर्थ व्यक्ति हो।
यदि दुर्घटना में फंसा हुआ व्यक्ति बेहोश हो गया हो तो उसकी दोनों कलाईयों को मिलाकर, रूमाल से बांध देना चाहिए। इसके बाद उसके बंधे हाथों के बीच में अपना सिर डालकर, बेहोश व्यक्ति के हाथों को अपने गले में लटका लें तथा स्वयं रेंगते हुए उसे अपने साथ बाहर निकाल लाएं।
अगर सीढ़ियों से उतरना सुरक्षित न हों तो आग में घिरे बेहोश व्यक्ति को बड़ी बाल्टी, बोरी या मजबूत चादर की गठरी में बांधकर खिड़की आदि के रास्ते से, रस्सी के सहारे नीचे लटका देना चाहिए। यदि ये चीजें उपलब्ध न हों तो बेहोश व्यक्ति की बगल के नीचे तथा घुटनों के पास रस्सी के दो-दो लपेटे लगाकर कुर्सी-गांठ लगा देनी चाहिए।
आग लगे हुए कमरे से किसी बच्चे को नीचे उतारना हो तो चादर या धोती में रीफ गांठ लगाकर झोला बना लेना चाहिए तथा बच्चे के हाथ-पांव बांधकर, उसे झोले में डाल देना चाहिए, ताकि वह उछलकर बाहर न निकल पड़े। इसके बाद उसे रस्सी के सहारे धीरे-धीरे नीचे उतार देना चाहिए।
आग में घिरा व्यस्क एगर अकेला तथा होश में हो तो उसे खिड़की आदि से नीचे कूदते समय किसी रस्सी, धोती आदि को खिड़की से बांधकर उसके सहारे से नीचे उतर जाना चाहिए। इससे चोट लगाने की संभावना कम हो जाती है।
आग को बुझाना
जहां आग लगी हो, वहां से उन बची हुई वस्तुओं को, जिनमें आग लग जाने की संभावना हो- हटा देना चाहिए। इसके बाद आग को बुझाने की कोशिश करनी चाहिए।
सामान्य आग को पानी डालकर बुझाया जा सकता है लेकिन पैट्रोल, मिट्टी का तेल, स्प्रिट, रंग-रोगन आदि में लाग लगी हो तो उन पर पानी भूलकर भी नहीं डालना चाहिए, अन्यथा ये तरल पदार्थ हल्के होने के कारण पानी में तैरने लगेंगे तथा आग को और अधिक फैला देंगे। जहां तक हो इन्हें दबा देना चाहिए या इन पर रेत-मिट्टी डालकर आग को बुझाना चाहिए।
बिजली की लगी आग को बुझाने से पहले सर्वप्रथम बिजली के मेन-स्विच तो बंद कर देना चाहिए। बिजली की तारों में लगी आग को भी रेत-मिट्टी डालकर ही बुझाना चाहिए।
आग बुझाने का काम करने वाले को चुस्त कपड़े पहनने रखने चाहिए तथा मुंह और नाक पर गीला रूमाल बांध लेना चाहिए, ताकि जहरीली गैसों का प्रभाव न पड़े।
खेत-खलिहान में लगी आग को पेड़ की टहनी में बोरी का टुकड़ा बांधकर तथा उसको पीट-पीटकर बुझाया जा सकता है।
जहां फायर-बिग्रेड (दमकल) की सहायता उपलब्ध हो, वहां कैसी भी आग लगने पर फायर-बिग्रेड को तुरंत सूचित करना चाहिए तथा जब फायर-बिग्रेड वाले आ जाएं, तब उन्हें आग बुझाने में पूरा सहयोग देना चाहिए।