शेयर बाजार क्या है? शेयर का सीधा सा अर्थ होता है हिस्सा। शेयर बाजार की भाषा में बात करें तो शेयर का अर्थ है कंपनियों में हिस्सा। उदाहरण के लिए एक कंपनी ने कुल 10 लाख शेयर जारी किए हैं। आप कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार जितने अंश खरीद लेते हैं आपका उस कंपनी में उतने का मालिकाना हक हो गया जिसे आप किसी अन्य खरीददार को जब भी चाहें बेच सकते हैं। आप 100 से लेकर अधिकतम शेयर खरीद सकते हैं। कंपनी जब शेयर जारी करती है उस वक्त किसी व्यक्ति या समूह को कितने शेयर देना हैं यह उसका विवेकाधीन अधिकार है। बाजार से शेयर बाजार खरीदने/बेचने के लिए कई शेयर ब्रोकर्स होते हैं जो उनके तय पारिश्रमिक (लगभग 2 फीसदी) लेकर अपने ग्राहकों को यह सेवा देते हैं। इन कंपनियों के शेयरों का मूल्य मुंबई शेयर बाजार (बीएसई) में दर्ज होता है। सभी कंपनियों का मूल्य उनकी लाभदायक क्षमता के अनुसार कम-ज्यादा होता है। इस पूरे बाजार में नियंत्रण भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का होता है। इसकी अनुमति के बाद ही कोई कंपनी अपना प्रारंभिक निर्गम इश्यू (आईपीओ) जारी कर सकती है। प्रत्येक छमाही या वार्षिक आधार पर कंपनियां लाभ होने पर अंशधारकों को लाभांश भी देती हैं। और कंपनी की गतिविधियों की जानकारी से भी रूबरू कराती है। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के लिए कंपनी को बाजार से लिखित समझौता करना पडता है, जिसके तहत कंपनी अपनी हर हरकत की जानकारी बाजार को समय-समय पर देती रहती है, खासकर ऐसी जानकारियां, जिससे निवेशकों के हित प्रभावित होते हों। इन्हीं जानकारियों के आधार पर कंपनी का मूल्यांकन होता है और इस मूल्यांकन के आधार पर मांग घटने-बढ़ने से उसके शेयरों की कीमतों में उतार-चढाव आता है। अगर कोई कंपनी लिस्टिंग समझौते के नियमों का पालन नहीं करती, तो उसे डीलिस्ट करने की कार्रवाई सेबी करता है।
पूंजी बाजार का क्या कार्य है?
पूंजी बाजार अर्थव्यवस्था में पूंजी निर्माण को बढ़ाता है और इसमें शामिल हैं –
प्राथमिक बाजार एक ऐसा स्थान है जहां कंपनियों के नए प्रस्तावों को एक आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) या अधिकार जारी करने के रूप में क्रियान्वित किया जाता है।
द्वितीयक बाजार एक ऐसा बाजार है जहां प्रतिभूतियों को प्राथमिक बाजार में जनता के लिए पेश किए जाने के बाद ट्रेड किया जाता है और/या स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होता है। अधिकांश ट्रेडिंग इसी बाजार में की जाती है जिसमें इक्विटी बाजार और ऋण बाजार शामिल हैं।
एक इक्विटी शेयर क्या है?
एक इक्विटी शेयर स्वामित्व के प्रारूप को प्रदर्शित करता है। ऐसे एक शेयर का धारक कंपनी का एक सदस्य होता है और उसके पास मतदान का अधिकार होता है।
खरीदना और बेचना क्या है?
ऐसे कई प्रकार के ऑर्डर हैं जिनके बारे में आप एक ब्रोकर को निर्देशित कर सकते हैं। सबसे सामान्य प्रकार का ऑर्डर, जो नियमित क्रय या विक्रय ऑर्डर है, उसे मार्केट (बाजार) ऑर्डर कहा जाता है। ऑर्डर का एक अन्य प्रकार एक लिमिट (सीमित) ऑर्डर है जिसमें आप ब्रोकर से केवल तभी ट्रेड करने के लिए कह सकते हैं यदि कीमत एक विशिष्ट स्तर तक पहुंचती है। एक स्टॉप (रोक) ऑर्डर में, आप महत्वपूर्ण हानि को रोकने के लिए ब्रोकर से अपने शेयरों को बेचने के लिए कह सकते हैं यदि मूल्य एक निश्चित स्तर तक गिर जाता है क्योंकि यदि यह उस स्तर तक गिरता है तो इसके आगे और गिरने की संभावना है और आपकी हानि बढ़ने की संभावना है।
मैं अपने ऑर्डर कैसे करुं?
फ़ोन के माध्यम से या जियोजित के ऑफ़िस में व्यक्तिगत रूप से आने के द्वारा या जियोजित द्वारा प्रदान की गई किसी भी अन्य सुविधा जैसे इंटरनेट ट्रेडिंग के माध्यम से ट्रेडिंग की जा सकती है। डीलर (जियोजित का कर्मचारी, जिसे स्टॉक एक्सचेंज ऑर्डर सिस्टम में निवेशकों के ऑर्डर इनपुट करने के लिए रखा गया है), कॉल करने वाले व्यक्ति की प्रामाणिकता की जांच करने और खाते में उपलब्ध मार्जिन की जांच करने के बाद स्टॉक एक्सचेंज सिस्टम में ऑर्डर दर्ज करेगा।रुझान का क्या तात्पर्य है?
जब बाजार ऊपर जाता है तो इसे बुलिश (बढ़त) का रुझान और जब बाजार नीचे जाता है तो इसे बियरिश (मंदी) का रुझान कहा जाता है।
एक पॉजिशन (स्थान) लेना क्या है?
जब आप किसी स्टॉक पर कार्य करते हैं और इसे खरीदते हैं, तो इसका अर्थ है कि आप एक स्थान ले रहे हैं। पॉजिशन, अनुकूल मूल्य उतार-चढ़ाव की प्रत्याशा में एक निवेश में लगाए गए धन की राशि है। पॉजिशन दो प्रकार के होते हैं :-
लांग पॉजिशन (दीर्घ स्थितियां) वे हैं जिसका अधिकांश लोग प्रयोग करते हैं। जब आप लांग पॉजिशन खरीदते हैं, तो इसका अर्थ है कि आपको मूल्य में वृद्धि होने की आशंका है, और इस तरह आप लाभ प्राप्त करते हैं। लोग प्रायः बाद में उच्च कीमतों पर बेचने की उम्मीद से वर्तमान मूल्यों पर शेयर खरीदते हैं और इस प्रकार लाभ प्राप्त करते हैं।
शार्ट पॉजिशन (लघु स्थितियां) पेचीदा होती हैं। जब आप शार्ट पॉजिशन खरीदते हैं, तो आपको कीमत में गिरावट की आशंका होती है और गिरावट आपके लाभ का स्रोत है। शेयरों को पहले बेचा जाएगा और बाद में मूल्य गिरने पर उन्हें पुनः खरीदा जाएगा और वापस कर दिया जाएगा और अंतर, निवेशक का लाभ होता है। बेशक, निवेशक के लिए जिसने शेयर उधार लिए हैं, मूल्य के प्रत्याशा के समान न बढ़ने/घटने का जोखिम होता है, ऐसी स्थिति में वह शेयरों की पुनर्खरीद में नुकसान उठा सकते हैं।
इसमें क्या जोखिम हैं?
इक्विटी शेयर "उच्च जोखिम, उच्च रिटर्न निवेश" होते हैं। इक्विटी निवेश और सभी अन्य निवेश विकल्पों में प्रमुख अंतर यह है कि जहां अन्य विकल्पों जैसे बैंक जमा, लघु बचत योजनाओं, डिबेंचर, बांड आदि से मिलने वाला लाभ निर्धारित और निश्चित होता है, वहीं इक्विटी निवेशों से होने वाली कमाई बेहद अनिश्चित और विविध होती है। सही समय पर ली गई एक अच्छी स्क्रिप काफी अच्छा रिटर्न दिला सकती है, अन्यथा रिटर्न बेहद कम भी हो सकता है या यह ऋणात्मक भी हो सकता है, यानी निवेश किया गया फ़ंड स्वयं भी धीरे धीरे ख़त्म हो सकता है। संक्षेप में, यदि स्थिर आय श्रेणी साधनों में निवेश काफी हद तक सुरक्षित और जोखिम मुक्त होता है, तो इक्विटी और संबंधित क्षेत्रों में निवेश जोखिम भरा माना जा सकता है।लाभांश क्या है?
लाभांश, कंपनी द्वारा अपने निवेशकों में वितरित लाभ का एक हिस्सा होता है। इसे प्रायः शेयर अंकित मूल्य या पेड-अप वैल्यू (चुकता मूल्य) के प्रतिशत के रूप में घोषित किया जाता है।
एक बोनस शेयर क्या है?
कंपनियों द्वारा अपने शेयरधारकों के लिए पिछले वर्षों में अर्जित संचित लाभों के पूंजीकरण द्वारा निःशुल्क में जारी किए गए एक शेयर को बोनस शेयर कहा जाता है।
एक बांड क्या है?
एक बांड, किसी कंपनी या सरकार द्वारा इसके उधारदाताओं के लिए जारी किया गया एक वचनपत्र होता है। एक बांड ऋण का वह साक्ष्य है, जिस पर जारीकर्ता कंपनी बांडधारक को प्रायः निर्दिष्ट समयांतरालों के लिए ब्याज की एक निर्दिष्ट राशि का भुगतान करने का वादा करती है, और समाप्ति तिथि पर मूल ऋण चुकाने का वादा करती है। एक बांड निवेशक जारीकर्ता को धन उधार देता है और बदले में, जारीकर्ता एक निर्दिष्ट परिपक्वता तिथि पर ऋण राशि चुकाने का वादा करता है।
एक डिबेंचर क्या है?
यह प्रायः एक निश्चित ब्याज दर के साथ कंपनी द्वारा जारी किया गया एक बांड है जिसका भुगतान सामान्यतः निर्दिष्ट तिथियों पर छमाही रूप से किया जाता है और मूलधन का भुगतान एक विशेष तिथि पर डिबेंचरों को रिडीम करने (भुनाने द्वारा) पर किया जाता है। डिबेंचर्स को सामान्यतः डिबेंचर धारक के पक्ष में कंपनी की संपत्ति के एवज में सुरक्षित/प्रभारित किया जाता है।
किससे संपर्क करना चाहिए?
स्टॉक मार्केट में शेयर खरीदने या बेचने में सक्षम होने के लिए एक ग्राहक को जियोजित बीएनपी पारिबा जैसे एक स्टॉक ब्रोकर के साथ पंजीकृत होने की आवश्यकता होती है, जिसने स्टॉक एक्सचेंजों में सदस्यता ग्रहण की है और जो सेबी के साथ पंजीकृत हो।हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है?
हां, आपको समय-समय पर अपनी ओर से ट्रेड निष्पादित करने के लिए और ग्राहक पंजीकरण फ़ॉर्म मेंटेन करने के लिए सदस्य को सक्षम बनाने हेतु अपने से संबंधित विवरण प्रस्तुत करने के लिए, एक ब्रोकर को अधिकृत करने के उद्देश्य से 'सदस्य-क्लाइंट समझौता' पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है।
एक सदस्य-क्लाइंट समझौता फ़ॉर्म क्या है?
यह फ़ॉर्म गवाहों की उपस्थिति में क्लाइंट और ब्रोकर के बीच किया गया एक अनुबंध है जिसमें ग्राहक, ब्रोकर की प्रतिभूतियों में सौदेबाजी की क्षमताओं से संतुष्ट होने के बाद, उसके माध्यम से संबंधित एक्सचेंज पर सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में ट्रेड/निवेश करने के लिए (इच्छुक) सहमत होता है।
एक स्टॉक एक्सचेंज क्या है?
एक स्टॉक एक्सचेंज वह स्थान है जहां क्रेता और विक्रेता एक व्यवस्थित ढंग से शेयरों में ट्रेड करने के लिए मिलते हैं। वर्तमान समय में देश में 25 मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज हैं जो प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 द्वारा शासित हैं।
एक डिपॉजिटरी क्या है?
एक डिपॉजिटरी की तुलना एक बैंक से की जा सकती है। एक डिपॉजिटरी, इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में निवेशकों की प्रतिभूतियों (जैसे शेयरों, डिबेंचर्स, बांड, सरकारी प्रतिभूतियों, यूनिटों, आदि) को होल्ड करती है। प्रतिभूतियों को होल्ड करने के अतिरिक्त, एक डिपॉजिटरी प्रतिभूतियों के लेनदेन से संबंधित सेवाएं भी प्रदान करती है। भारत में दो डिपॉजिटरीज़ हैं, जिनके नाम, अ) नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) और ब) सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज़ लिमिटेड (सीडीएसएल) हैं, दोनों ही सेबी द्वारा विनियमित है। जियोजित बीएनपी पारिबा एनएसडीएल का एक डिपॉजिटरी भागीदार है और इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में आपकी प्रतिभूतियों को होल्ड करता है।
खाता खोलने के लिए क्या करना चाहिए?
आप जियोजित बीएनपी पारिबा या अपनी पसंद के किसी भी डीपी से संपर्क कर सकते हैं और एक खाता खोलने के लिए फ़ॉर्म भर सकते हैं। एक खाता खोलने के समय, आपको एनएसडीएल निर्धारित मानक समझौते में डीपी के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करना होता है, जिसमें आपके और आपके डीपी के अधिकार और कर्तव्यों का विवरण शामिल होते हैं।
ऑफ़ मार्केट (बाजार के बाद ट्रेड)' का क्या अर्थ है?
एक क्लियरिंग कार्पोरेशन के माध्यम से किए गए किसी भी ट्रेड को ‘मार्केट ट्रेड’ .है। इन ट्रेडों को एक स्टॉक एक्सचेंज पर स्टॉक ब्रोकरों के माध्यम से किया जाता हैं। 'ऑफ़ मार्केट ट्रेड' वह ट्रेड होते हैं जो एक क्लियरिंग कार्पोरेशन की भागीदारी के बिना सीधे दो पार्टियों के बीच किए जाते हैं। उसी डिलिवरी निर्देश पर्ची को या तो मार्केट ट्रेड या ऑफ़ मार्केट ट्रेड नामक दो विकल्पों में से किसी एक को चिह्नित करके दोनों के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
शेयर कैसे डिलिवर या प्राप्त कर सकता हूं?
बिक्री के मामले में, निवेशक को शेयरों को निर्दिष्ट सेटलमेंट संख्या के साथ जियोजित के पूल खाते में ट्रांसफ़र करने की आवश्यकता होगी। बीएसई पर बेचे गए शेयरों के लिए पूल खाता संख्या आईएन603287 और एनएसई के लिए आईएन 506594 है। डिलिवरी आवश्यक रूप से निवेशक के डीमैट खाते से ही होनी चाहिए, और किसी भी अन्य व्यक्ति के खाते से नहीं होनी चाहिए। इसी प्रकार, जियोजित, खरीदे गए शेयरों को सीधे निवेशक के खाते में ट्रांसफ़र कर सकता है।
मैं जियोजित को/से कैसे भुगतान कर या प्राप्त कर सकता हूं?
जियोजित को भुगतान, जियोजित बीएनपी पारिबाके पक्ष में देय एक अकाउंट पेई (खाता आदाता) चेक /डिमांड ड्राफ़्ट के माध्यम से किए जाने चाहिए। भुगतान आवश्यक रूप से निवेशक के बैंक खाते से आना चाहिए और किसी भी अन्य व्यक्ति के खाते से नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार जियोजित, निवेशक के नाम पर एक अकाउंट पेयी (खाता आदाता) चेक का भुगतान करेगा, जिसमें ग्राहक के बैंक का नाम एवं खाता संख्या शामिल होगी।
शेयर प्राप्त करने में कितना समय लगेगा?
जियोजित द्वारा ग्राहकों के लिए फ़ंड और प्रतिभूतियों का पे-आउट, पे-आउट के 24 घंटे के भीतर किया जाएगा।
मुझे मेरे पैसे या शेयर नहीं मिलते?
यदि कोई ब्रोकर समय पर आपको पैसे/शेयरों का उचित भुगतान करने या डिलिवर करने में विफल रहता है या आप ब्रोकर के आचरण के खिलाफ कोई शिकायत करना चाहते हैं, तो आप संबंधित स्टॉक एक्सचेंज में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। एक्सचेंज से सभी शिकायतों को हल करने की अपेक्षा की जाती है। विवाद को सुलझाने के लिए शिकायतकर्ता मध्यस्थता का सहारा भी ले सकता है जैसा कंट्रैक्ट नोट /खरीद या बिक्री नोट के पीछे दिया गया है। हालांकि, यदि स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा शिकायत पर ध्यान नहीं दिया जाता है या अनावश्यक रूप से देरी की जाती है, तो शिकायतों को समर्थन दस्तावेज़ों के साथ सेबी के द्वितीयक बाजार विभाग को भेजा जा सकता है। एक्सचेंजों द्वारा आपकी शिकायत के शीघ्र निवारण के लिए कार्यवाही की जायेगी। एक सब-ब्रोकर के खिलाफ शिकायत के मामले में, शिकायत को निवारण के लिए संबंधित ब्रोकर को भी भेजा जा सकता है जिसके साथ वह सब-ब्रोकर संबद्ध है।
पे-इन डे और पे-आउट डे क्या है?
पे-इन डे वह दिन है जब ब्रोकर एक्सचेंज को प्रतिभूतियों का भुगतान या डिलीवरी करेगा| पे-आउट डे वह दिन है जब एक्सचेंज ब्रोकर को प्रतिभूतियों का भुगतान या डिलीवरी करता है।
शुल्क कौन कौन से हैं, जो निवेशक पर लगाए जा सकते हैं?
ट्रेडिंग सदस्य को निम्न का भुगतान करना पड़ सकता है:1. प्रतिभूति लेनदेन कर।
2. लागू सेवा कर।
3. एनएसई द्वारा लिए गए लेनदेन प्रभार (शुल्क), स्टांप ड्यूटी और लेनदेन से सीधे संबंधित अन्य प्रभार।
4. एनएसई द्वारा लिए गए लेनदेन प्रभार (शुल्क), स्टांप ड्यूटी और लेनदेन से सीधे संबंधित अन्य प्रभार।
मार्जिन का भुगतान कैसे किया जाता है?
एक्सचेंज, समय-समय पर मार्जिन के नियम निर्धारित करता है, जिनकी गणना वर्तमान में जोखिम मॉडल के मूल्य के आधार पर की जाती है। निवेशक द्वारा ऑर्डर देने से पहले मार्जिन का भुगतान किया जाना चाहिए।
निवेशक के क्या दायित्व हैं?
1.निम्न दायित्व हैं –
- एक उचित सदस्य-संघटक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का
- एक मान्य अनुबंध या खरीद/बिक्री नोट रखने का
- समय पर प्रतिभूति डिलिवर करने और भुगतान करने का
- ट्रेड से पहले मार्जिन प्रदान करने का
निवेशक के क्या अधिकार हैं?
मूल्य/लगाए गए ब्रोकरेज शुल्क का प्रमाण, समय पर पैसा/शेयर, खातों के विवरण और ट्रेडिंग सदस्य से कंट्रैक्ट नोट।
एक रोलिंग सेटलमेंट क्या है?
एक रोलिंग सेटलमेंट में, दिन के दौरान निष्पादित ट्रेडों का सेटलमेंट, दिन के लिए शुद्ध दायित्वों के आधार पर किया जाता है। एनएसई और बीएसई में, रोलिंग सेटलमेंट से संबंधित ट्रेडों का सेटलमेंट एक टी+2 दिन आधार पर किया जाता है, जहां T का अर्थ ट्रेड का दिन है। इसलिए सोमवार को निष्पादित ट्रेडों का सेटलमेंट सामान्यतः बुधवार को किया जाता है (ट्रेड के दिन से 2 कार्य दिवसों को ध्यान में रखते हुए)। फ़ंड और प्रतिभूतियों का पे-इन और पे-आउट, टी+2 दिन के आधार पर किया जाता है।
नीलामी (ऑक्शन) क्या है?
बेचने वाले ट्रेडिंग सदस्य द्वारा प्रतिभूति की डिलिवरी न होने के एवज में यह सुनिश्चित करने के लिए एक्सचेंज द्वारा प्रतिभूतियों को नीलामी (ऑक्शन) के लिए रखा जाता है कि खरीदने वाले ट्रेडिंग सदस्य ने अपनी शेष प्रतिभूतियां प्राप्त कर ली हैं। ट्रेडिंग सदस्य द्वारा गैर-डिलिवरी, शॉर्ट डिलिवरी के कारण हो सकती है। एक्सचेंज, नीलामी (ऑक्शन) बाजार से आवश्यक मात्रा खरीदता है और उन्हें खरीदने वाले ट्रेडिंग सदस्य को दे देता है।शेयर डिलिवर नहीं कर पाता हूं?
आपकी ओर से खरीद के मामले में, उस स्थिति में सदस्य ब्रोकर के पास प्रतिभूतियों को बेचकर लेनदेनों को पूर्ण करने की स्वतंत्रता होती है यदि आप संबंधित सेटलमेंट अवधि के लिए स्टॉक एक्सचेंज द्वारा निर्धारित पे-इन डे के पहले अनुबंध के निष्पादन के लिए ब्रोकर को पूर्ण भुगतान करने में असफल होते हैं या आपके पास पहले से ही ब्रोकर के साथ एक समतुल्य क्रेडिट है। बिक्री के मामले में होने वाली कमी (शॉर्टेज) को नीलामी (ऑक्शन) की प्रक्रिया के माध्यम से पूरा किया जाता है और मूल्य में अंतर को कंट्रैक्ट नोट में प्रदर्शित किया जाता है और नीलामी के माध्यम से प्राप्त मूल्य का भुगतान सदस्य द्वारा एक्सचेंज को किया जाता है जो बाद में ग्राहक से वसूल करने के लिए उत्तरदायी है। दोनों ही मामलों में लेनदेनों में किसी भी नुकसान को आपके द्वारा भुगतान की गई मार्जिन मनी से घटाया जाएगा।
एक पोर्टफ़ोलियो मैनेजर किसे कहते है?
कोई भी व्यक्ति जो एक ग्राहक के साथ एक अनुबंध या व्यवस्था के अनुसार, ग्राहक के फ़ंड या प्रतिभूतियों के पोर्टफ़ोलियो के प्रबंधन या प्रशासन के लिए सलाह देता है या निर्देशन करता है या ग्राहक की ओर से संचालन करता है (चाहे एक विवेकाधीन पोर्टफ़ोलियो मैनेजर हो या न हो), उसे पोर्टफ़ोलियो मैनेजर कहते है। जियोजित एक ‘सेबी’ पंजीकृत पोर्टफ़ोलियो मैनेजर (पंजीकरण संख्या – आईएनपी 000000316) है जो उन निवासियों को, जो न्यूनतम 10 लाख रुपये का निवेश कर सकते हैं और उन गैर-निवासियों को, जो न्यूनतम 25 लाख रुपये का निवेश कर सकते हैं, विवेकाधीन पोर्टफ़ोलियो प्रबंधन सेवाएं प्रदान करता है।
भारतीय इक्विटी में निवेश करने के निहितार्थ क्या हैं?
निवेश लाभों पर कर की दरों को दीर्घावधि और अल्पावधि पूंजी लाभों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
दीर्घावधि पूंजी लाभ वे दीर्घावधि निवेश जिन्हें 12 महीने से अधिक के लिए होल्ड किया जाता है, दीर्घावधि पूंजी परिसंपत्तियां कहलाते हैं। ऐसी परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्त लाभ को दीर्घावधि पूंजी लाभ (एलटीसीजी) कहा जाता है जिस पर नवीनतम बजट अधिसूचना के अनुसार कोई भी कर नहीं लगेगा।
अल्पावधि पूंजी लाभ वे शेयर जिन्हें 12 महीने से कम के लिए होल्ड किया जाता है, अल्पावधि पूंजी परिसंपत्तियां कहलाते हैं, जिन पर नवीनतम बजट अधिसूचना के अनुसार 10% कर लगेगा।
इंटरनेट के माध्यम से ट्रेड करने के लिए आवश्यकता होती है?
ऑनलाइन ट्रेडिंग करने में सक्षम होने के लिए तीन प्रकार के खातों की आवश्यकता होती है। वे निम्नलिखित हैं:
जियोजित बीएनपी पारिबा के साथ ई-ब्रोकिंग खाता
जियोजित बीएनपी पारिबा के साथ डिपॉजिटरी भागीदार (डीपी) खाता
उस बैंक का बैंक खाता जिसने " जियोजित बीएनपी पारिबा" के साथ एक इंटरफेस विकसित किया है, जैसे - एचडीएफ़सी बैंक, यूटीआई बैंक, सिटी बैंक जैसे नामित बैंक।
कंट्रैक्ट (संविदा) नोट क्या है?
कंट्रैक्ट (संविदा) नोट, क्लाइंट की ओर से एक विशेष दिन पर किए गए ट्रेडों का एक पुष्टिकरण है। यह ट्रेडों के सेटलमेंट के संबंध में ग्राहक और जियोजित के बीच एक कानूनी रूप से प्रवर्तन योग्य संबंध स्थापित करता है। कंट्रैक्ट नोट में, सेटलमेंट संख्या, ऑर्डर संख्या, ट्रेड संख्या, ट्रेड का समय, ट्रेडों की मात्रा और मूल्य, लगाया गया ब्रोकरेज शुल्क, आदि को प्रदर्शित किया जाएगा और इसे जियोजित के किसी प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा।
ट्रेड करने की कार्यविधि क्या है?
मार्केट वॉच, अर्थात स्क्रीन खुली रखने के दौरान ट्रेड स्क्रीन पर सामान्य रूप से निम्न कॉलम दिखाई देंगे -
- सर्वश्रेष्ठ बोली कीमत
- सर्वश्रेष्ठ बोली मात्रा
- सर्वश्रेष्ठ प्रस्तावित कीमत
- सर्वश्रेष्ठ प्रस्तावित मात्रा
पिछली ट्रेड की गई कीमत
ऊपर दिए गए पहले 2 कॉलम में स्टॉक एक्सचेंज में एक विशेष शेयर के लिए उपलब्ध खरीदारों को प्रदर्शित किया जाता है और अगले 2 कॉलम में उपलब्ध विक्रेताओं को प्रदर्शित किया जाता है, और पांचवां कॉलम उस मूल्य को प्रदर्शित करता है जिस पर पिछला ट्रेड किया गया है। इसलिए, जब एक निवेशक "बाजार मूल्य" पर कोई शेयर खरीदना चाहता है तो आदर्श रूप में तीसरा और चौथा कॉलम यह दर्शाएगा कि व्यक्ति एक निर्धारित मूल्य पर कितने शेयर प्राप्त कर सकता है। क्लाइंट एक सीमित (लिमिट) मूल्य ऑर्डर भी जारी कर सकता है जिसे तब तक ऑर्डर बुक में रखा जाएगा जब तक यह उस मूल्य समय प्राथमिकता तक पहुंच न जाए जब ट्रेड को निष्पादित किया जा सकता है।
इंडेक्स (सूचकांक) क्या है?
इंडेक्स (सूचकांक) एक स्टॉक मार्केट (शेयर बाजार) का वह सूचक है जिसे एक संपूर्ण बाजार या बाजार से ली गई प्रतिभूतियों के एक नमूने पर आधारित बाजार के एक खंड के प्रदर्शन की एक सांख्यिकीय माप के रूप में बनाया जाता है। इस प्रकार, एक इंडेक्स, बाजार के एक खंड या बाजार के समग्र प्रदर्शन का मूल्यांकन करने का एक साधन है। एक इंडेक्स समग्र बाजार उतार-चढ़ाव की माप है। एक सामान्य बाजार सूचक होने के अलावा, इंडेक्स, व्यक्तिगत पोर्टफ़ोलियो के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए प्रयुक्त एक मानक है। पेशेवर धन प्रबंधक हमेशा बाजार में बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगे, यानी वे हमेशा इंडेक्स की तुलना में बेहतर करने की कोशिश करेंगे। उदाहरण के लिए, यदि एक पोर्टफ़ोलियो का मूल्य 10% बढ़ता है और वहीं इंडेक्स केवल 5% बढ़ता है, तो इसका अर्थ है कि पोर्टफ़ोलियो बाजार से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
हमारे यहां 2 प्रसिद्ध सूचकांक हैं, नामतः-
बीएसई सेंसिटिव (बीएसई सेंसेक्स) और
एस एंड पी निफ़्टी 50 (निफ़्टी)
बीएसई सेंसेक्स में 30 बड़ी पूंजी वाली (लार्ज- कैप) कंपनियां शामिल हैं। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर एक प्रमुख इंडेक्स है।.
निफ़्टी में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 50 बड़ी पूंजी वाली (लार्ज- कैप) कंपनियां शामिल हैं।
मैं कौन से शेयर खरीद सकता हूं?
आप वे शेयर खरीद सकते हैं जो किसी भी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध हों।
क्या होगा यदि शेयरों को नीलामी में नहीं खरीदा जाता है?
यदि नीलामी में शेयर नहीं खरीदे जा सके यानी नीलामी में शेयरों को बेचने की पेशकश नहीं की गई, तो लेनदेनों को सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार पूर्ण किया जाता है। दिशानिर्देशों में निर्दिष्ट किया गया है कि “क्लोज आउट मूल्य सेटलमेंट में एक्सचेंज पर उस स्क्रिप में दर्ज किया गया उच्चतम मूल्य होगा, जिस पर संबंधित कंट्रैक्ट में प्रवेश किया गया था और नीलामी/क्लोज आउट या उस दिन एक्सचेंज पर आधिकारिक क्लोजिंग मूल्य से 20% अधिक होगा, जिस दिन नीलामी ऑफ़र की मांग की गई है, या जो भी अधिक हो।” चूंकि, रोलिंग सेटलमेंट में नीलामी और क्लोज आउट, ट्रेडिंग घंटों के दौरान होता है, अतः रोलिंग सेटलमेंट में क्लोज आउट प्रक्रियाओं के लिए संदर्भ मूल्य पिछले दिन की क्लोजिंग मूल्य के समान लिया जाएगा।