Raj Kapoor जिनको इंडियन सिनेमा का Showman कहा जाता है , हिंदी सिनेमा के एक जाने माने अभिनेता , निर्माता और निर्देशक थे। उन्होंने अपने जीवन में 3 राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड्स और 11 फिल्मफेयर अवार्ड जीते है आइये आपको उन्ही महान शो मेन राजकपूर साहब की जीवनी (Biography of Raj Kapoor) से रूबरू करवाते है।
Biography of Raj Kapoor - राज कपूर की पूरी कहानी एवं फिल्मी सफ़र।
राज कपूर जी का जन्म।
राज कपूर का जन्म 14 December 1924 को वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर में ढक्की मुनव्वर शाह में एक हिन्दू पंजाबी परिवार में हुआ था राजकपूर के जन्म के समय पेशावर भारत का ही अंग था Raj Kapoor के पिता का नाम पृथ्वीराज कपूर और माता का नाम रामसरणी देवी था राजकपूर के पिताजी पृथ्वीराज कपूर भी एक महान अभिनेता थे जिन्हें हिंदी सिनेमा का पितामह माना जाता है पृथ्वीराज कपूर के पिता दीवान बशेश्वरनाथ कपूर और दादाजी केशवमल कपूर थे पृथ्वीराज कपूर से कपूर खानदान की शुरवात होती है जो वर्तमान में हिंदी सिनेमा में सबसे बड़ा फ़िल्मी खानदान है।पृथ्वीराज कपूर ने भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा में सहायक अभिनेता के तौर पर अभिनय किया था। इससे पहले पृथ्वीराज कपूर ने भारत की नौ मूक फिल्मो में भी काम किया था पृथ्वीराज कपूर का सबसे अच्छा अभिनय “सिकन्दर ” 1941 फिल्म में माना जाता है 1944 में उन्होंने पृथ्वी थिएटर की स्थापना की थी और उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिनों में मुगले-आजम और “कल आज और कल ” जैसी बेहतरीन फिल्मो में भी अभिनय किया था
पृथ्वीराज कपूर के छ: संताने थी जिसमे से राजकपूर सबसे बड़े थे इसके अलावा दो बच्चो की बचपन में ही मौत हो गयी थी बाकि तीन जीवित रह गये थे। जिनमे शम्मी कपूर , शशि कपूर और एक बेटी उर्मिला सियाल थी। राजकपूर की तरह शम्मी कपूर और शशि कपूर ने भी फिल्मो में अपनी अलग पहचान बनाई।
राज कपूर हवेली (पाकिस्तान) |
विभाजन के बाद Raj Kapoor राजकपूर भारत आ गये और 1930 में देहरादून की Colonel Brown Cambridge School और St Xavier’s Collegiate School से अपने प्रारभिक शिक्षा प्राप्त की राजकपूर ने बचपन से अपने पिता से पश्तो भाषा भी सीखी थी।
Raj Kapoor as Child Artist
Raj Kapoor राजकपूर ने केवल पांच वर्ष की उम्र में एक नाटक “मृच्छकटिक” में काम किया था 10 वर्ष के उम्र में पहली बार वह पर्दे पर “इन्कलाब ” फिल्म में नजर आये जो 1935 में रिलीज हुयी थी इस फिल्म में मुख्य अभिनेता उनके पिताजी पृथ्वीराज कपूर और अभिनेत्री दुर्गा खोटे थी
इसके बाद राज कपूर ने बाल कलाकार के रूप में “गौरी ” और “After the Earthquake” जैसी फिल्मो में भी काम किया। उनके पिता उनको बाल कलाकार के रूप में ज्यादा नही देखना चाहते थे क्योंकि उन्हें डर था कि शुरुवात में ही अभिनय की वजह से बड़े होने पर उन्हें फिल्मो में काम शायद ना मिले।
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Raj Kapoor राजकपूर बचपन से ही स्कूल के बाद अपना अधिकतर समय अपने पिताजी के साथ बिताते थे जिसमे वो फिल्मो के सेट पर बॉय या ट्रोली पुलर का काम किया करते थे। Raj Kapoor के पिताजी ने शुरुवात से ही अपने बच्चो को मेहनत का महत्व समझाया था इसलिए उनसे फिल्म के क्रू मेम्बर की तरह व्यवहार करते थे और उन्हें जीवन की सीख दिया करते थे |
Raj Kapoor राजकपूर बचपन से ही स्कूल के बाद अपना अधिकतर समय अपने पिताजी के साथ बिताते थे जिसमे वो फिल्मो के सेट पर बॉय या ट्रोली पुलर का काम किया करते थे। Raj Kapoor के पिताजी ने शुरुवात से ही अपने बच्चो को मेहनत का महत्व समझाया था इसलिए उनसे फिल्म के क्रू मेम्बर की तरह व्यवहार करते थे और उन्हें जीवन की सीख दिया करते थे |
राजकपूर ने केदार शर्मा के साथ सहायक के रूप में भी काम किया था। Raj Kapoor ने बॉम्बे टॉकीज की कई फिल्मो के लिए भी बतौर सहायक निर्देशक का काम किया था और इस तरह वो अपने पिता के पृथ्वी थिएटर और बॉम्बे टॉकीज दोनों के लिए काम करने लगे थे
Raj Kapoor as Film Assistant
पृथ्वीराज कपूर अपने पुत्र Raj Kapoor को बतौर सहायक की तनखाह के रूप में 201 रूपये महीना दिया करते थे राजकपूर को अपनी पहली फिल्म में लीड रोल मिलने के पीछे एक कहानी है, राजकपूर उन दिनों केदार शर्मा के लिए Clapper Boy का काम किया करते थे और केदार शर्मा “विष कन्या” फिल्म बना रहे थे शाम को इस फिल्म के दृश्य को फिल्माना था लेकिन राजकपूर को वहा पहुचने में देरी हो गयी उस समय उनकी आदत थी वो थिएटर में जाते ही पहले कांच में खुद को देखते थे फिर बालो को सवारते थे उस दिन Raj Kapoor की इस हरकत पर देरी हो जाने की वजह से केदार शर्मा ने गुस्सा होकर उनको थप्पड़ जड दिया। राजकपूर ने कोई प्रतिक्रिया नही की और एक शब्द भी नही बोले।
राज कपूर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के साथ |
केदार शर्मा को अपने इस काम पर बहुत बुरा लगा और अगली सुबह वो राजकपूर के पास गये और उन्हें अपनी अगली फिल्म “नीलकमल ” में हीरो का रोल देने का वादा किया राजकपूर को जब हीरो के रोल का ऑफर दिया तो वो खूब रोये थे। जब शर्मा ने उनसे पूछा कि उन्होंने तो थप्पड़ रात को मारा था वो अभी क्यों रो रहा है तो राजकपूर ने जवाब दिया कि उनको रोना इसलिए आया कि एक डायरेक्टर ने उनको काम दिया इसलिए दिल भर आया था Raj Kapoor ने 1947 में केदार शर्मा की “नील कमल” बतौर हीरो अभिनय किया जिसमे उन्होंने मधुबाला के साथ काम किया था। इसी साल उन्होंने चार ओर फिल्मे “चितचोर ” दिल की रानी और जेल यात्रा में भी अभिनय किया इनमे भी उनकी Co-star मधुबाला ही थी।
R.K.स्टूडियो की स्थापना और फिल्मे।
R K Films and Studio (Chembur Mumbai) |
Raj Kapoor's Movies in 50s
R.K. Banner की अपनी पहली सफल फिल्म बरसात के बाद Raj Kapoor राजकपूर ने 50 के दशक में कई हिट फिल्मे दी 50 के दशक में उन्होंने R.K. Banner के तले पहली फिल्म “आवारा” बनाई आवारा फिल्म के लिए निर्माता और निर्देशन दोनों का ही काम राजकपूर ने किया इस फिल्म में पहली बार असली बाप -बेटे की जोड़ी के रूप में पृथ्वीराज कपूर और राजकपूर नजर आये उनके पिता के अलावा इस फिल्म में बाल कलाकार के रूप में उनके छोटे भाई शशि कपूर ने काम किया था इस फिल्म में राजकपूर के साथ नर्गिस एक बार फिर रोमांटिक जोड़ी के रूप में नजर आये।
आवारा फिल्म ने Raj Kapoor राजकपूर को ना केवल भारत बल्कि पुरे विश्व में स्टार बना दिया रूस , तुर्की ,अफ़ग़ानिस्तान और चीन में लोगो की जुबान पर “आवारा हु ” गाना छा गया उस समय से रूस के लोग भारत में दो ही व्यक्तियों के नाम जानते थे पहले पंडित जवाहरलाल नेहरु और दुसरे राजकपूर इस फिल्म की सफलता के बाद जब उन्होंने विदेश का दौरा किया तो लाखो लोगो की भीड़ उनको देखने के लिए जमा हो गयी और मुकेश द्वारा गाये गाने “आवारा हु ” को गाने लगे इस फिल्म से राजकपूर और नर्गिस की रोमांटिक जोड़ी के अलावा मुकेश की आवाज को भी प्रसिद्ध कर दिया इस तरह आवारा फिल्म उस समय की सबसे सफल फिल्मो में से एक गिनी जाने लगी।
आवारा की अपार सफलता के तीन वर्ष बाद 1953 में फिर R.K. Banner के तले राजकपूर ने अपनी फिल्म “आह ” बनाई जिसमे भी राजकपूर और नर्गिस की जोड़ी थी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर उतना कमाल नही कर पाई 1954 में उन्होंने सामाजिक सरोकार पर आधारित फिल्म “बूट पोलिश” बनाई ये R.K. Banner की पहली फिल्म थी जिसमे राजकपूर एक लीड हीरो के रूप में नजर नही आये थे इस फिल्म ने भी फिल्मफेयर अवार्ड जीता था 1955 में राजकपूर एक और हिट फिल्म “श्री 420 ” लेकर आये जिसमे उन्होंने “”भारतीय चार्ली चैपलिन ” की छवि को हिंदी सिनेमा पर उतारा इस फिल्म के मुकेश द्वारा गाये जाना वाला गीत “मेरा जूता है जापानी ” स्वतंत्र भारत के लिए एक देशभक्ति गीत के रूप में उभरा।
राज कपूर का बंगला (चेम्बूर मुंबई ) |
1956 में एक बार फिर Raj Kapoor राजकपूर ने सामाजिक सरोकार पर आधारित फिल्म “जागते रहो ” बनाई इस फिल्म की शूटिंग केवल रात को ही हुयी थी और पुरी फिल्म में राजकपूर कुछ नही बोलकर भी कई बाते कह जाते है इस फिल्म में नर्गिस एक cameo रोल में नजर आती है जो R.K. Banner के साथ उनकी अंतिम फिल्म थी ऐसा कहा जाता है कि लगातार कई फिल्मे साथ करने की वजह से राजकपूर और नर्गिस में नजदीकिय बढ़ गयी थी तब नर्गिस ने राजकपूर के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा लेकिन राजकपूर ने मना करते हुए कहा कि “मै अपनी पत्नी को अभिनेत्री नही बना सकता हु और अपनी अभिनेत्री को अपनी पत्नी नही बना सकता हु उन्होंने अपने वैवाहिक जीवन में अन्य अभिनेताओ की तरह दरारे नही आने दी थी जबकि स्क्रीन पर उनके रोमांस का मुकाबला भी नही था।
नर्गिस ने इस फिल्म के बाद Raj Kapoor राजकपूर के साथ काम नही किया और सुनील दत्त से शादी कर ली जिन्होंने मदर इंडिया के सेट पर आग से उनकी जान बचाई थी। इस तरह एक रोमांटिक कपल का अंत हुआ था जिसने ढेरो युवाओ को प्रेम करना सिखाया था। 50 के दशक में राजकपूर के अन्य प्रसिद्ध फिल्मे चोरी चोरी , फिर सुबह होगी, अब दिल्ली दूर नही , दो उस्ताद, अनाडी जैसी फिल्मे थी जिसमें अधिकतर फिल्मो में सामाजिक संदेश छुपा हुआ था।
Raj Kapoor's Family |
Raj Kapoor's Movies in 60s
60 के दशक में Raj Kapoor ने पहली सुपरहिट फिल्म जिस देश में गंगा बहती है " दी जिसमें वो एक भले आदमी का किरदार निभाते है जो डाकुओ के बीच फंस जाता है। इस फ़िल्म में पद्मिनी और प्राण कलाकार इस फिल्म मुकेश द्वारा गाये। सभी गाने सुपर हिट हुए और लोगो की जुबान पर छा गये। इस फिल्म ने कई फिल्म फेयर अवार्ड भी जीते थे क्योंकि ये भी फिल्म एक सामाजिक संदेश पर आधारित थी जिसमें राजकपूर डाकुओ का हृदय परिवर्तन करने में सफल हो जाते है।
इस फिल्म के बाद उन्होंने छलिया नजराना , आशिक , एक दिल के सौ अफसाने और दिल ही तो है” फिल्मो में काम किया 1964 में राजकपूर ने फिर RK बैनर के तले एक दमदार फिल्म "संगम" बनाई जिसको उन्होंने खुद निर्मित और निर्देशित की इस फिल्म में उनके सह कलाकार राजेन्द्र कुमार और वैजयंतीमाला थी ये फिल्म एक लव ट्रायंगल थी जिसमें राजकपूर वैजयंतीमाला प्यार करते है जबकि वैजयंतीमाला राजेन्द्र कुमार से प्यार करती है Raj Kapoor राजकपूर की यह पहली रंगीन फिल्म थी और बतौर सफल अभिनेता उनकी अंतिम फिल्म थी। इसके बाद 60 के दशक में उनकी कुछ और सफल फिल्में भी आयी जिनमे Around the World (1966) , सपनों के सौदागर (1968) जैसी फिल्में थी लेकिन ये फिल्में उतनी सफल नही रही थी।
Raj Kapoor's Movies in 70s
1970 में Raj Kapoor राजकपूर ने अपने जीवन की सबसे प्रिय फिल्म मेरा नाम जोकर" बनाई जिसमे भी राजकपूर स्वयं निर्माता और निर्देशक थे इस फिल्म को बनाने में राजकपूर को छ: साल लग गये थे इस फिल्म में उन्होंने अपने पुत्र ऋषि कपूर को भी बाल कलाकार के तौर पर काम दिया था जिन्होंने इस फिल्म में राजकपूर के बचपन का किरदार अदा किया था ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नही हुयी और उनके परिवार को आर्थिक
नुकसान हुआ था लेकिन राजकपूर इस फिल्म को हमेशा दिल से लगाये रखते थे इस फिल्म के रिलीज के कुछ सालों बाद ये फिल्म दुबारा पर्दे पर उतारी गयी तब लोगो ने इसे खूब सराहा था
राज कपूर "आवारा" फिल्म में |
1971 में Raj Kapoor राजकपूर ने अपने बड़े बेटे रणधीर कपूर को फिल्मो में उतारा और “कल आज कल " फिल्म बनाई इस फिल्म में कपूर खानदान की तीनो पीढियों को एकसाथ दिखाया गया है साथ साथ रणधीर कपूर की उस समय होने वाली पत्नी बबीता ने भी कम किया था ये फिल्म ज्यादा सफल नही रही लेकिन कपूर खानदान की याद इस फिल्म में रह गयी उसके बाद 1973 में उन्होंने अपने मंझले बेटे ऋषि कपूर को फिल्मो में उतारा और "बॉबी" फिल्म बनाई। इस फिल्म में डिंपल कपाडिया को अभिनेत्री के तौर पर उतारा गया इस फिल्म की लव स्टोरी ने ऋषि कपूर और डिम्पल दोनों को रातो रात स्टार बना दिया ।
इस फिल्म के बाद 1975 में Raj Kapoor राजकपूर अपने पुत्र रणधीर कपूर के साथ धरम करम फिल्म दिखे इसके बाद 70 के दशक के अंत तक उन्होंने female protagonists पर आधारित फिल्में बनाना शुरू कर दिया 1978 में उनकी फिल्म सत्यम शिवम सुन्दरम में उनके छोटे भाई शशि कपूर ने मुख्य अभिनेता और जीनत अमान ने अभिनेत्री के तौर पर काम किया। 70 के दशक में उनकी प्रिसद्ध फिल्में नौकरी, और दो जासूस थी।
Raj Kapoor's Movies in 80s
70 के दशक में महिलाओ पर आधारित फिल्में बनाने का सिलसिला जो उन्होंने शुरू किया था वो 80 के दशक की शुरुवात में भी रहा 1982 में अपने पुत्र को फिल्म प्रेम रोग में बतौर अभिनेता काम दिया जो काफी सफल फिल्म थी इस फिल्म से पदमीनी कोल्हापुरी भी बहुत प्रसिद्ध हो गयी थी। 1985 में उन्होंने अपने सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर को 'राम तेरी गंगा मैली" के जरिये फिल्मो में उतारा जो राजीव कपूर की एकमात्र सबसे सफल फिल्म थी बतौर निर्माता और निर्देश राम तेरी गंगा मैली उनकी अंतिम फिल्म थी और 1982 में वकील वध फिल्म में अंतिम बार फिल्मो में नजर आये थे।
उनका अंतिम एक्टिंग रोल 1984 में ब्रिटिश टीवी फिल्म किम” में था जिसमे वो cameo appearance में नजर आये थे 1988 में उन्होंने अपनी मौत से पहले हीना फिल्म को शुरू कर दिया था जिसमे उनके पुत्र ऋषि कपूर और पाकिस्तानी अभिनेत्री जेबा अख्तियार मुख्य कलाकार थे अपने पिता की मौत के बाद रणधीर कपूर ने इस फिल्म को पूरा किया और 1991 में इस फिल्म को रीलीज किया भारत-पाकिस्तान के रिश्तो पर आधारित ये फिल्म भी उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था जिसे देखने के लिए वो जीवित नही रह सके थे।
Raj Kapoor's Personal life
1946 में Raj Kapoor राजकपूर ने कृष्णा मल्होत्रा से शादी की जिनके पिताजी राजकपूर के पिता के मामा थे। इस तरह वैसे तो दूर के रिश्ते की कजिन थी लेकिन उस समय परिवार के आस पास ही रिश्ते देखे जाते थे। उनकी शादी एक arrange मैरिज थी जिसे उनके पिता ने तय किया था 1946 में जब उनकी शादी हुयी तो एक मैगज़ीन में शादी के बाद राजकपूर के करियर के खत्म होने की बात कही लेकिन राजकपूर ने इन बातो को गलत साबित करते हुय ना केवल एक बेहतरीन कलाकार बल्कि एक अच्छे पति भी बने।
राजकपूर की पत्नी कृष्णा ने भी अपने परिवार को बखूबी सम्भाला और राजकपूर के करियर में कभी बाधा नही बनी थी। कृष्णा के भाई राजेद्र नाथ , प्रेम नाथ और नरेंद्रनाथ भी बाद में अभिनेता बने और उनकी बहिन उमा ने प्रसिद्ध विलन प्रेम चोपड़ा से शादी की
Raj Kapoor राजकपूर को हमेशा से अपनी एक्ट्रेस के साथ रोमांस करते हुए देख लोगो ने प्रेम बंधन में बंधे होने की बात कही। शुरुवात में नर्गिस के साथ इतनी फिल्मे करने के बाद लोगो के मन में इन दोनों के बीच प्रेम की बाते उडी लेकिन राजकपूर ने जनता के सामने इस बात को नकार दिया।
राजकपूर ने कभी अपनी पत्नी का साथ नही छोड़ा जिसके फलस्वरूप नर्गिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली थी राजकपूर का इसके बाद वैजयंतीमाला के साथ संगम फिल्म में अफेयर होने की बाते उडी लेकिन वैजयंतीमाला ने इसे नकार दिया। इसके बाद भी हर अभिनेत्री के साथ राजकपूर का नाम जोड़ा गया लेकिन राजकपूर ने बिना क्रोध किये इन सब बातो को नकारा कपूर खानदान के बारे में कौन नही जानता है क्योंकि ये हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा और पुराना फ़िल्मी परिवार है।
राजकपूर के तीनो बेटो रणधीर कपूर , ऋषि कपूर और राजीव कपूर ने फिल्मो में काम किया जिसमे ऋषि कपूर सबसे ज्यादा सक्रिय रहे थे। इसके बाद अगली पीढ़ी में रणधीर कपूर की बेटी करिश्मा कपूर ने फिल्मो में आगमन किया जो एक बहुत सफल अभिनेत्री रही। करिश्मा की तरह ही बाद में उनकी बहन करीना भी वर्तमान समय में फिल्मो में सक्रिय है। ऋषि कपूर का बेटा रणधीर कपूर ने भी कपूर खानदान का नाम रोशन किया और कई सफल फिल्मे अपने नाम की।
राज कपूर का निधन।
Raj Kapoor राजकपूर अपने अंतिम दिनों में अस्थमा से पीड़ित थे और 63 वर्ष की उम्र में 2 जून 1988 को इस दुनिया से विदा हो गये। जिस समय उनको अस्थमा के अटैक के लिए एम्स में भर्ती किया गया था उस समय उनको दादा साहब फाल्के पुरुस्कार मिलने वाला था। अस्थमा की वजह से वो एक महीने तक भर्ती रहे थे।