Raj Kapoor ने सन् 1948 से 1988 तक की अवधि में अनेकों सफल फ़िल्मों का निर्देशन किया जिनमें अधिकतम फ़िल्में बॉक्स आफिस पर सुपर हिट रहीं। अपने द्वारा निर्देशित अधिकतर फ़िल्मों में राज कपूर ने स्वयं हीरो का रोल निभाया। Raj Kapoor और नर्गिस की जोड़ी सफलतम फ़िल्मी जोड़ियों से एक थी, उन्होंने फ़िल्म आह, बरसात, आवारा, श्री 420, चोरी चोरी आदि में एक साथ काम किया था।
मेरा नाम जोकर उनकी सर्वाधिक महत्वाकांक्षी फ़िल्म थी जो कि सन् 1970 में प्रदर्शित हुई और जिसके निर्माण में 6 वर्षों से भी अधिक समय लगा। उनकी इस फ़िल्म के प्रति महत्वाकांक्षा का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि सन् 1955 में प्रदर्शित उनकी फ़िल्म श्री 420 में नर्गिस के सामने वे अपने रोल में कहते हैं कि "खा गई न तुम भी कपड़ों से धोखा" और ब्लेक बोर्ड पर जोकर का चित्र बना देते हैं। शायद 'जोकर' (Joker, विदूषक) विषय वस्तु पर फ़िल्म बनाने का उनका विचार सन् 1955 से ही था पर बना पाये वे सन् 1970 में। पर बॉक्स आफिस पर उनकी यह फ़िल्म टिक नहीं सकी और उन्हें अत्यंत मायूसी हुई किसी प्रकार से अपनी निराशा से मुक्ति पाकर राज कपूर ने फ़िल्म बॉबी के निर्माण व निर्देशन में जुट गये। बॉबी सन् 1973 में प्रदर्शित हुई जो बॉक्स आफिस पर सुपर हिट हुई। अपनी इस फ़िल्म में उन्होंने अपने बेटे ऋषि कपूर और नई कलाकार डिंपल कापड़िया को मुख्य रोल दिया और दोनों ही बाद में सुपर हिट स्टार साबित हुये।
बॉबी फ़िल्म की सफलता के बाद Raj Kapoor ने अपनी अगली फ़िल्म सत्यं शिवं सुन्दरं बनाई जो कि फिर एक बार हिट हुई। इस फ़िल्म के क्लाइमेक्स में बाढ़ का दृश्य था जिसे फ़िल्माने के लिये अपने खर्च से नदी पर बांध बनवाया और नदी में भरपूर पानी भर जाने के बाद बांध को तुड़वा दिया जिससे कि बाढ़ का स्वाभाविक दृश्य फ़िल्माया जा सके। इस दृश्य के फ़िल्मांकन हो जाने के बाद जब उसे राज कपूर को दिखाया गया तो दृश्य उन्हें पसंद नहीं आया और एक बार फिर से लाखों रुपये खर्च करके राज कपूर ने बांध बनवाया तथा उस दृश्य को फिर से शूट किया गया।
सत्यं शिवं सुन्दरं के बाद Raj Kapoor की अगली सफल फ़िल्म राम तेरी गंगा मैली रही। राम तेरी गंगा मैली बनाने के बाद वे हिना के निर्माण में लगे थे जिसकी कहानी भारतीय युवक और पाकिस्तानी युवती के प्रेम सम्बंध पर आधारित थी। हिना के निर्माण के दौरान राज कपूर की मृत्यु हो गई और उस फ़िल्म को उनके बेटे रणधीर कपूर ने पूरा किया।
Raj Kapoor को सिने प्रेमी दर्शकों के साथ ही साथ फ़िल्म आलोचकों से भी भरपूर प्रशंसा मिली। वे चार्ली चैपलिन के प्रशंसक थे और उनके अभिनय में चार्ली चैपलिन का पूरा पूरा प्रभाव पाया जाता था। राज कपूर को भारतीय सिनेमा का चार्ली चैपलिन भी कहा जाता है। राज कपूर की फ़िल्मों ने सोवियत रूस, चीन, आफ्रीका आदि देशों में भी प्रसिद्धि पाई। रूस में तो उनकी फ़िल्मों के हिंदी गाने भी अत्यंत लोकप्रिय रहे हैं विशेषकर फ़िल्म आवारा और श्री 420 के।
Raj Kapoor को संगीत की बहुत अच्छी समझ थी। साथ ही साथ वे यह भी अच्छी तरह से जानते थे कि किस तरह के संगीत को लोग पसंद करते हैं यही कारण है कि आज तक उनके फ़िल्मों के गाने लोकप्रिय हैं। संगीतकार शंकर जयकिशन, जो कि लगातार 18 वर्षों तक नंबर 1 संगीतकार रह चुके हैं, को उन्होंने ही अपनी फ़िल्म बरसात में पहली बार संगीत निर्देशन का अवसर दिया था। फ़िल्म बरसात से राज कपूर ने अपनी फ़िल्मो के गीत संगीत के लिये एक प्रकार से एक टीम बना लिया था जिसमें उनके साथ गीतकार शैलेन्द्र तथा हसरत जयपुरी, गायक मुकेश और संगीतकार शंकर जयकिशन शामिल थे ये सभी के एक दूसरे के अच्छे मित्र थे और लगभग 18 वर्षों के एक बहुत लंबे अरसे तक एक साथ मिल कर काम करते रहे।
Raj Kapoor के सभी फ़िल्मो की सूची।
वर्ष फ़िल्म
1985 राम तेरी गंगा मैली
1982 प्रेम रोग
1982 गोपीचन्द जासूस
1982 वकील बाबू
1981 नसीब
1980 अब्दुल्ला
1978 सत्यम शिवम सुन्दरम
1978 नौकरी
1977 चाँदी सोना
1976 ख़ान दोस्त
1975 धरम करम
1975 दो जासूस
1973 मेरा दोस्त मेरा धर्म
1971 कल आज और कल
1970 मेरा नाम जोकर
1968 सपनों का सौदागर
1967 एराउन्ड द वर्ल्ड
1967 दीवाना
1966 तीसरी कसम
1964 संगम
1964 दूल्हा दुल्हन
1963 दिल ही तो है
1963 एक दिल सौ अफ़साने
1962 आशिक
1961 नज़राना
1960 जिस देश में गंगा बहती है
1960 छलिया
1960 श्रीमान सत्यवादी
1959 अनाड़ी
1959 कन्हैया
1959 दो उस्ताद
1959 मैं नशे में हूँ
1959 चार दिल चार राहें
1958 परवरिश
1958 फिर सुबह होगी
1957 शारदा
1956 जागते रहो
1956 चोरी चोरी
1955 श्री ४२०
1954 बूट पॉलिश
1953 धुन
1953 आह
1953 पापी
1952 अनहोनी
1952 अंबर
1952 आशियाना
1952 बेवफ़ा
1951 आवारा
1950 सरगम
1950 भँवरा
1950 बावरे नैन
1950 प्यार
1950 दास्तान
1950 जान पहचान
1949 परिवर्तन
1949 बरसात
1949 सुनहरे दिन
1949 अंदाज़
1948 अमर प्रेम
1948 गोपीनाथ
1948 आग
1947 नीलकमल
1947 चित्तौड़
1947 दिल की रानी
1947 जेल यात्रा
1946 वाल्मीकि
1943 गौरी
1943 हमारी बात
1935 इन्कलाब