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डिप्रेशन कितने प्रकार के होते हैं? Type of Depression
1. पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Depression)
अगर शिशु के जन्म के 1 महीने के अंदर नई मां में अवसाद संबंधी लक्षण प्रमुख रूप से दिखाई देते हैं, तब अवसाद के इस प्रकार की पहचान ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ के तौर पर होती है। अनुमान के अनुसार, करीब 10 से 15 प्रतिशत स्त्रियां डिलीवरी के बाद ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ का अनुभव करती हैं।
2. सायकोटिक डिप्रेशन (Depression)
जब एक अति गंभीर अवसाद संबंधी बीमारी के साथ किसी प्रकार की मनोविकृति भी जुड़ी हुई होती है, तब अवसाद के इस प्रकार को सायकोटिक डिप्रेशन (Depression) के नाम से जाना जाता है। मनोविकृति में सच्चाई से अनजान रहना, मतिभ्रम होना और किसी भी बात का आभास होना जैसी मनोदशा शामिल है।
3. बाइपोलर डिसऑर्डर
अवसाद के इस प्रकार को उन्मादी अवसाद संबंधी बीमारी भी कहा जाता है। यह अवसाद के अन्य प्रकार ‘मेजर डिप्रेशन’ या ‘डीस्थेमिया’ जितना साधारण नहीं है। ‘बाइपोलर डिसऑर्डर’ के अंतर्गत रोगी का मूड अचानक अत्यधिक उच्च स्तर (जैसे कि ‘उन्माद’) से अत्यधिक निम्न स्तर (जैसे कि ‘अवसाद’) तक बदल जाता है।
4. सीज़नल अफेक्टिव डिसोर्डर (एस-ए-डी)
यह डिप्रेशन (Depression) संबंधी ऐसी बीमारी है, जो लोगों को अक्सर ठंड के मौसम के दौरान होती है, जब हमें नैचुरल सनलाइट कम मिल पाती है। आमतौर पर बसंत और गर्मियों के मौसम में अवसाद का असर कम हो जाता है। ‘सीज़नल अफेक्टिव डिसॉर्डर’ (एस-ए-डी) को कुछ हद तक ‘प्रकाश (लाइट) थेरेपी’ से प्रभावशाली तरीके से ठीक किया जा सकता है। हालांकि इस अवसाद से पीड़ित करीब आधे लोगों की संख्या सिर्फ़ ‘प्रकाश थेरेपी’ से ही ठीक नहीं की जा सकती है। अवसाद रोधी दवा, उपचार और साइकोथेरेपी की मदद से एस-ए-डी के लक्षणों को घटाया जा सकता है। अगर आवश्यक हो तो इन उपायों के साथ ‘प्रकाश थेरेपी’ को भी जोड़ा जाता है। यह मौसम के अचानक बदलने या भारी बारिश के समय भी हो सकता है।