Bholaa Movie Review in Hindi - 'भोला' फिल्म का रिव्यू |
डायरेक्टर : अजय देवगनश्रेणी:Hindi, Action, Dramaअवधि:2 Hrs 24 Min
अजय देवगन की सुपर हिट 'दृश्यम सीरीज' साउथ की ही सफल फिल्म 'दृश्यम' की रीमेक थी। सभी जानते हैं कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कितनी कमाल साबित हुई। अब अजय देवगन एक बार फिर साउथ की 'कैथी' (तमिल) की रीमेक 'भोला' लेकर आए हैं। मगर इस बार अजय न केवल हीरो हैं, बल्कि निर्माता-निर्देशक की तिहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। 'दृश्यम' में जहां अजय ने अपने फैमिली मैन के अवतार को पुख्ता किया था, वहीं इस बार वे हाई-ऑक्टेन एक्शन हीरो के रूप में पेश हुए है।
'भोला' की कहानी - Bholaa Movie Story
कहानी की शुरुआत धमाकेदार एक्शन से होती है, जहां एसीपी डायना (Tabu) कोकीन से लदे ट्रक का पीछा कर रही है। अपनी जांबाजी का परिचय देते हुए गोली खाने के बावजूद वह एक हजार करोड़ का कोकीन जब्त कर लेती है और उसे लालगंज पुलिस थाने के खुफिया बंकर में छिपा भी देती हैं। डायना का बॉस (Kiran Kumar) उसे सलाह देता है कि जब तक अदालत माल की कस्टडी नहीं लेती, तब तक ये जानकारी गुप्त रहनी चाहिए। लेकिन वे दोनों इस बात से अनजान हैं कि उन्हीं की फोर्स में मौजूद भेदिया (Gajraj Rao) सारी जानकारी नशीले माल की तस्करी करने वाले माफिया गिरोह के अश्वत्थामा (Deepak Dobriyal) को दे रहा है।
अश्वत्थामा और उसका खूंख्वार भाई निठारी इस पूरे माफिया के सरगना हैं। डायना और उसकी टीम को साजिश का शिकार बनाया जाता है। उन्हें शराब में नशा देकर बेहोश कर दिया जाता है, अब पुलिस वालों की जान खतरे में है, मगर डायना बच जाती है, क्योंकि उसने शराब नहीं पी थी। डायना के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है, बेहोश पुलिस कर्मियों को अस्पताल पहुंचाकर इलाज करवाना। साथ ही उसे अपने थाने भी पहुंचना है, ताकि माफिया उस माल पर सेंध न लगा सके। इस काम के लिए वह भोला (Ajay Devgn) से मदद मांगती है। असल में भोला को दस साल बाद जेल से रिहाई मिली है। जेल में रहते Bholaa को यह पता चलता है कि उसकी एक बेटी है, जो लखनऊ के एक अनाथालय में रहती है। वह अपनी बेटी से मिलने को बेताब है। किस तरह बेटी से मिलने निकला भोला डायना की मुसीबत में फंसता है, इसी के साथ कहानी आगे बढ़ती है।(ads)
दूसरे मोर्चे पर लालगंज थाने की जिम्मेदारी उसी दिन ड्यूटी पर आए हवलदार (संजय मिश्रा) और वहां मौजूद तीन युवाओं पर आ जाती है। भोला, डायना की मदद करेगा या बेटी से मिलने जाएगा? क्या वे दोनों पुलिस वालों की जान बचा पाएंगे? क्या अश्वत्थामा अपने भेदिये की मदद से थाने में सेंध लगाकर माल वापिस हासिल कर पाएगा? इन सभी सवालों के जवाब आपको फिल्म में मिलेंगे?
'भोला' का रिव्यू - Bholaa Movie Review
निर्देशक के रूप में अजय देवगन पहले ही सीन में धुंआधार एक्शन दृश्यों से फील का टोन सेट कर देते हैं। कहानी एक रात की है और और काली-अंधेरी रात में एक्शन की तीव्रता और ज्यादा महसूस होती है। इसके एक्शन की खासियत यह है कि यह रॉ होने के बावजूद फ्रेश लगता है। फिल्म में 5-7 मिनट का एक चेजिंग सीक्वेंस भी है, जो रोंगटे खड़े कर देता है। मगर इमोशंस के स्तर पर फिल्म उन्नीस साबित होती है। मूल फिल्म 'कैथी' में एक्शन के साथ-साथ इमोशन का भी खूबसूरत बैलेंस था। एक्शन से भरपूर फिल्मों में फाइट या मारधाड़ का तर्क मिलना मुश्किल है कि कैसे एक अकेला नायक एक साथ 30-40 लोगों का कचूमर निकालने में कामयाब रहता है, मगर भोला में उस एक्शन को जिस तरह से कोरियोग्राफ किया गया है, वो सिनेमा लवर के लिए विजुवल ट्रीट साबित होता है।
भोला के किरदार को मकरंद देशपांडे की जुबानी महिमा मंडित किया गया, जिससे उसे पर्दे पर लार्जर दैन लाइफ फील दी गई है। भोला के फ्लैशबैक के ट्रैक में कुछ सवालों के जवाब बाकी रह जाते हैं, मगर एक रात की कहानी को कैमरे में दिखाने का काम फिल्म के सिनेमैटोग्राफर असीम बजाज ने बहुत ही चतुराई से किया है। कैमरा ऐंगल्स में भी उन्होंने कई एक्सपेरिमेंट किए है। कई क्लोजअप शॉट्स और एक्शन सीक्वेंस को स्क्रीन पर देखना ट्रीट जैसा साबित होता है। खासकर गंगा आरती के वक्त पूरे बनारस को ड्रोन शॉट में दिखाना और ट्रक में एक्शन सीक्वेंस कमाल के बन पड़े हैं। इसके लिए एक्शन डायरेक्टर रमजान बुलुत और आरपी यादव की तारीफ करनी होगी।
'भोला' का ट्रेलर - Bholaa Trailer
बैकग्राउंड म्यूजिक पर काम किया जाना चाहिए था, वहीं किरदारों द्वारा बोली जाने वाली भाषा पर भी थोड़ा रिसर्च होना चाहिए था। हालांकि 3डी में फिल्म को देखना एक सिनेमैटिक अनुभव हो सकता है। संगीत की बात करें तो, 'नजर लग जाएगी' गाना खूबसूरत बन पड़ा है। अजय पहले ही भोला का यूनिवर्स बनाने की बात कर चुके हैं और उसका इशारा दर्शकों को क्लाइमेक्स में मिल भी जाता है।अभिनय और कास्टिंग फिल्म का मजबूत पक्ष है। भोला के रूप में जय देवगन अपने फुल फॉर्म में हैं। थर्रा देने वाले एक्शन हीरो के रूप में अजय के इमोशन ओवर नहीं लगते, वहीं बेटी के साथ अपने इमोशनल ट्रैक में वे सफल रहते हैं। कहानी में उनका शिव भक्त, शिव के मुरीदों के लिए आकर्षण का केंद्र साबित हो सकता है। तब्बू ने बहादुर पुलिस वाली की भूमिका के साथ पूरा न्याय किया है। जज्बाती दृश्यों में भी वे बाजी मार ले जाती हैं।
अजय की पत्नी के गेस्ट रोल में अमला पॉल खूबसूरत लगी हैं। अपने थाने को माफिया से बचाने के लिए प्रायसरत हवलदार की भूमिका को संजय मिश्रा ने बहुत ही खूबसूरती से अंजाम दिया है। दीपक डोबरियाल खूंखार विलेन के रूप में याद रहते हैं, तो गजराज राव चौंकाते हैं। विनीत कुमार और राज किरण सरीखे कलाकार भी अच्छे रहे हैं।
क्यों देखें - एक्शन फिल्मों के शौकीन और अजय देवगन के फैंस यह फिल्म देख सकते हैं।