विजय मर्चेन्ट : – 15 वर्ष की उम्र में दोनों पारियों में जड़े थे शतक।
उन्होंने ब्रेबोर्न स्टेडियम में ही नौ दोहरे शतक जमाए जिसमें महाराष्ट्र के खिलाफ 1943-44 में खेली गई नाबाद 359 रन की पारी भी शामिल है। इतना ही नहीं उन्होंने 1938-39 और 1941-42 के बीच सात रणजी पारियों में छह शतक भी मारे।
विजय को 1933-34 में इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय सरजमीं पर टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण का मौका मिला लेकिन दाएं हाथ का यह बल्लेबाज अधिक सफल नहीं रहा और छह पारियों में उनका सर्वाधिक स्कोर 54 रन का रहा। 1936 में विजय इंग्लैंड के दौरे पर गए और 51.32 की औसत से 1745 रन जुटाकर चोटी पर रहे। वह लंकाशर के खिलाफ ओल्ड ट्रैफर्ड में दोनों पारियों में 135 और 77 रन बनाकर नाबाद रहे। इस दौरे पर बेहतरीन सफलता के लिए उन्हें विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर भी चुना गया।
विजय ने दो बार इंग्लैंड का दौरा किया और इस दौरान उन्होंने 4000 से अधिक रन बनाए। उन्होंने अपने सभी टेस्ट भी इंग्लैंड के ही खिलाफ खेले। 1946 के दौरे में टीम के उपकप्तान के रूप में गए बंबई के इस बल्लेबाज ने 74 की औसत से सात शतक की मदद से 2385 रन बटोरकर अपने कौशल का परिचय दिया। उन्होंने इस दौरे पर तीन टेस्ट की पांच पारियों में 245 रन बनाए, जिसमें ओवल में खेली 128 रन की पारी भी शामिल है।
खराब स्वास्थ के कारण ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के दौरे पर नहीं जा सके विजय ने इसके बाद 1951-52 में इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली में एक और टेस्ट खेला और अपना सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाते हुए 154 रन की पारी खेली। उन्होंने इस दौरान अपने चिर प्रतिद्वंद्वी और कप्तान विजय हजारे के साथ तीसरे विकेट के लिए 211 रन की साझेदारी की। हालांकि इसी मैच में क्षेत्ररक्षण के दौरान चोटिल होने पर उन्हें 40 बरस के अपने क्रिकेट करियर को अलविदा कहना पड़ा।