अपनी खुद की वेबसाइट कैसे बनाये।
अगर आप अपनी बेवसाइट बनाना चाहते हैं तो आपको वेब डिवेलपमेंट के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी होनी चाहिए।
अगर आप इंटरनेट पर अपनी वेबसाइट चाहते हैं तो सबसे पहले उसके लिए ‘डोमेन नेम’ खरीदना होगा। डोमेन नेम? सुनने में यह शब्द तकनीकी किस्म का महसूस होता है, लेकिन सीधे-सादे लफ़्जों में कहें तो यह आपकी वेबसाइट का वेब एड्रेस है। वही अड्रेस, जो आप इंटरनेट एक्सप्लोरर, क्रोम या फायरफॉक्स जैसे ब्राउजर की अड्रेस बार में डालते हैं। मिसाल के लिए google.com, indiatimes.com या yahoo.com ऐसे अड्रेस हर वेबसाइट की पहचान हैं। यूं समझ लीजिए कि जिस तरह लिफाफे पर डाक का पता होना जरूरी है, उसी तरह वेबसाइट के लिए डोमेन नेम होना जरूरी है।
डोमेन नेम की फीस
– डोमेन नेम के लिए सालाना फीस लगती है जो 100 रुपये से लेकर 500-600 सौ रुपये तक हो सकती है।
– अलग-अलग ‘किस्म’ के डोमेन नेम के लिए अलग-अलग कीमत है।
– किस्म? जी हां, क्या आपने किस्म-किस्म के वेब अड्रेस नहीं देखे: usa.net, yahoo.com, cseindia.org, olx.in आदि।
– डोमेन नेम में बिंदु(.) के बाद आने वाले हिस्से को डोमेन एक्सटेंशन कहा जाता है।
– अलग-अलग डोमेन एक्सटेंशन के लिए अलग-अलग दरें ली जाती हैं, जो डिमांड और सप्लाई के नियम के आधार पर बदलती रहती हैं।
– कभी-कभी .in डोमेन नेम सिर्फ 85 रुपये में उपलब्ध हो जाता है तो कभी वही 500 रुपये तक पहुंच जाता है।
– बहरहाल, सबसे लोकप्रिय डोमेन एक्सटेंशन .com है, जो इन दिनों 500 रुपये के आसपास उपलब्ध है।
एक्सटेंशन की किस्म-किस्म के
– डोमेन एक्सटेंशन कई तरह के हैं। इनमें से कुछ खास कामों के लिए आरक्षित हैं :
.edu: स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटीज के लिए
.gov: सरकारों के लिए
.mil: सेना के लिए।
– सबसे ज्यादा मशहूर एक्सटेंशन .com है, जिसके नाम पर कई बार पूरे वेब जगत को ही ‘डॉट कॉम’ कह दिया जाता है।
– दो और प्रमुख डोमेन एक्सटेंशन हैं :.net, .org और .info इन सबको टॉप लेवल डोमेन या ‘टीएलडी’ कहा जाता है।
– इनके अलावा हर देश के लिए भी डोमेन एक्सटेंशन रिजर्व किए गए हैं, जिन्हें कंट्री कोड टॉप लेवल डोमेन कहा जाता है। जैसे भारत के लिए .in, अमेरिका के लिए .us वगैरह।
– अपनी वेबसाइट के लिए mysite.com डोमेन नेम पसंद करेंगे या mysite.in इसका फैसला आपको ही करना है।
– डोमेन एक्सटेंशन बदलने से वेबसाइट की परफॉर्मेंस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
– आप अंग्रेजी के 63 अक्षरों की सीमा के भीतर रहते हुए जैसा चाहें डोमेन नेम रख सकते हैं, बशतेर् उसके इस्तेमाल पर कोई कानूनी रुकावट न हो।
क्या डोमेन नेम लेने पर मेरी वेबसाइट इंटरनेट पर आ जाएगी?
– नहीं, वह महज पहली सीढ़ी है। अभी तो आपको वेबसाइट बनवानी है और फिर उसे इंटरनेट पर रखने के लिए स्पेस भी खरीदना है।
कहां होगा रजिस्टर
– दुनिया में डोमेन नेमों की व्यवस्था का संचालन ICANN(इंटरनेट ऑर्गनाइजेशन ऑफ असाइन्ड नेम्स ऐंड नंबर्स) नामक संस्था करती है।
– उसने डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन के लिए कई कंपनियों को ऑथराइज किया हुआ है, जिन्हें डोमेन रजिस्ट्रार कहा जाता है।
– आप इनके मार्फत या उनके रिसेलर्स के जरिए अपना डोमेन नेम रजिस्टर करवा सकते हैं।
– कुछ प्रमुख डोमेन नेम रजिस्ट्रार हैं:
networksolutions.com
net4.in
bigrock.in
in.godaddy.com
registry.in
siliconhouse.net
enom.com
namecheap.com
domains.org
economicalhost.com
रजिस्ट्रेशन ऐसे करें
– डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन बेहद आसान है।
– अपने पसंदीदा डोमेन नेम रजिस्ट्रार की वेबसाइट पर जाइए।
– वहां दिए गए टेक्स्ट बॉक्स में अपनी पसंद का डोमेन नेम लिखें और सर्च बटन दबाएं।
– अगर नाम उपलब्ध है तो आपसे पूछा जाएगा कि क्या आप इसे तुरंत रजिस्टर करवाना चाहते हैं?
– अगर हां तो जरूरी ब्योरा (अपना नाम, पता, ईमेल अड्रेस वगैरह) दें।
– इसके बाद क्रेडिट कार्ड से रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान कर दें।
– कुछ ही सेकंड में आपके ईमेल अड्रेस पर कन्फर्मेशन मेल आ जाएगी, जिसमें डोमेन नेम कामयाबी से रजिस्टर कर दिए जाने की सूचना होगी।
– आगे कभी नाम, पते आदि में कोई बदलाव करना चाहें तो वेबसाइट के कंट्रोल पैनल का यूजरनेम और पासवर्ड भी मिलेगा।
नोट: किसी नई या छोटी फर्म की बजाय किसी बड़ी और जमी-जमाई कंपनी के जरिए डोमेन रजिस्ट्रेशन करवाएं, भले वहां रजिस्ट्रेशन थोड़ा महंगा क्यों न पड़े क्योंकि कई बार छोटी कंपनियां बंद हो जाती हैं और उनसे जुड़े सभी लोग अधर में लटक जाते हैं।
कितना खर्च
भारत में मशहूर कुछ चुनिंदा वेबसाइटों पर डोमेन रजिस्ट्रेशन की मौजूदा दरें हैं:
In.godaddy.com Net4.in Bigrock.in
.com 600 रुपये 580 रुपये 599 रुपये
.net 500 रुपये 615 रुपये 499 रुपये
.org 378 रुपये 299 रुपये 299 रुपये
.in 400 रुपये 549 रुपये 399 रुपये
.info 290 रुपये 615 रुपये
399 रुपये
मुफ्त के डोमेन नेम!
– गूगल भारतीय कारोबारियों को एक साल के लिए .in डोमेन और फ्री वेब होस्टिंग सुविधा दे रहा है।
– इसके लिए indiagetonline.in पर जाएं।
– अगर आपके लिए अपनी वेबसाइट का डोमेन एक्सटेंशन कोई खास मायने नहीं रखता तो आप ऐसे डोमेन नेम भी ले सकते हैं, जिनके हमेशा फ्री रहने के आसार हैं। ऐसे तीन एक्सटेंशन हैं :
.co.cc (रजिस्ट्रेशन यहां कराएं www.co.cc)
.co.nr (freedomain.co.nr)
.tk (freedomains.sriz.tk)
– यह फ्री डोमेन नेम कुछ इस तरह का होगा : mysite.co.cc, mysite.co.nr
– कुछ वेब होस्टिंग वेबसाइट्स साल भर का वेब होस्टिंग पैकेज लेने पर मुफ्त डोमेन नेम देती हैं, मसलन : networksolutions.com
कैसे खोजें नाम
– डोमेन नेम रजिस्टर करने वाली लगभग सभी वेबसाइटों पर एक टूल उपलब्ध होता है, जिसका इस्तेमाल कर आप देख सकते हैं कि आपकी पसंद वाला डोमेन नेम रजिस्टर करवाने के लिए उपलब्ध है या किसी और ने उसे पहले ही ले लिया है।
– कुछ वेबसाइट्स ऐसी भी हैं, जो खास तौर पर इसी तरह की चेकिंग के लिए बनाई गई हैं। मसलन :
checkdomain.com
domainsearch.com
instantdomainsearch.com
अगर न मिले पसंदीदा नाम
विकल्प 1 :
दूसरे अच्छे एक्सटेंशन को चुन लें। अगर mysite.com नाम नहीं मिला तो mysite.in सही। चुनाव का क्रमइस तरह रखें : .com, .in, .org, .net, .info, .co.in
विकल्प 2 :
स्पेलिंग में जरा सा बदलाव करें, कोई अतिरिक्त अक्षर जोड़ लें, मसलन : jaipurirajai.com या ejaipurirazai.com
विकल्प 3 :
– उस शख्स से संपर्क करें, जिसने आपका पसंदीदा नाम बुक करा रखा है।
– हो सकता है कि वह पैसे लेकर नाम आपको देने पर राजी हो जाए।
विकल्प 4 :
– किसी वेबसाइट (मसलन : networksolutions.com) पर उपलब्ध डोमेन बैकऑर्डर सेवा का इस्तेमाल करें।
– ये वेबसाइटें आपका पसंदीदा डोमेन नेम एक्सपायर होते ही उसे आपकी तरफ से बुक करवा लेती हैं और इसके लिए एक तय फीस लेती हैं।
किसने लिया मेरा नाम
अगर आपका पसंदीदा डोमेन नेम किसी और ने रजिस्टर करवा रखा है तो उस शख्स तक पहुंचना नामुमकिन नहीं।
– Whois नामक टूल के जरिए आप उसका नाम, पता, ईमेल अड्रेस, फोन नंबर, डोमेन रजिस्टर करवाने की तारीख, उसके एक्सपायर होने की तारीख आदि का पता लगा सकते हैं।
– कुछ वेबसाइट्स यही ब्योरा मुहैया कराती हैं, मसलन :
whois.net
whois.com/whois
whois.sc
internic.net/whois.html
who.godaddy.com
कैसा हो आपका डोमेन नेम
– जितना छोटा उतना अच्छा।
– नाम जितना लंबा होगा, लोगों को उसे याद रखने उतनी ही दिक्कत होगी।
– ऐसे लोग कई बार चाहकर भी आपकी साइट तक आ नहीं सकेंगे।
– छोटा नाम याद तो रहता ही है, टाइपिंग में गड़बड़ी की आशंका भी कम रहती है। – vishwahindisammelan.com जैसे लंबे डोमेन नेम को टाइप करना मुश्किल होगा, बनिस्बत ebay.com के।
नाम जो अपील करे :
– आकर्षक, लुभावने, अपीलिंग नाम आसानी से याद रह जाते हैं। मसलन : paisa.com, jaldi.com, merinews.com आदि।
आसान स्पेलिंग :
– आजकल स्पेलिंग उलट-पलटकर नाम रखने का चलन चल निकला है। मसलन : saavn.com, flickr.com या myntra.com।
– ऐसी स्पेलिंग को भूलना बहुत आसान है, याद रखना मुश्किल।
– आप तक आने वाले को पहेली में उलझाने की कोई जरूरत नहीं है। savan.com, flicker.com या mantra.com ज्यादा सुविधाजनक नाम हैं।
ब्रैंड से जुड़ा नाम :
– अपने, अपने संस्थान या ब्रैंड के नाम से जुड़ा नाम हमेशा अच्छा रहता है।
– कोका कोला कंपनी की वेबसाइट पर जाने के इच्छुक इंसान के मन में सबसे पहले cocacola.com वेब अड्रेस ही आएगा।
– हालांकि सर्च इंजनों ने काम आसान कर दिया है, इसलिए थोड़ा उल्टा-पुल्टा नाम होने पर भी लोग वेबसाइट तक पहुंच ही जाते हैं, लेकिन एकदम सटीक नाम मौजूद है तो खामख्वाह नाम बिगाड़ने का क्या मतलब!
काम से जुड़ा नाम :
– अगर ब्रैंड या नाम से जुड़ा डोमेन नेम उपलब्ध न हो तो अपने क्षेत्र से जुड़ा नाम लेने में भी बुराई नहीं है। मसलन, खबरों से जुड़े संस्थानों के लिए news.com
या jaipurirazai.com (जयपुरी रजाई.कॉम)।
– ऐसे नाम बहुत डिमांड में हैं और अब आसानी से नहीं मिल पाते। लेकिन ये बहुत ज्यादा सर्च फ्रेंडली हैं, क्योंकि ज्यादातर लोग खबरें देखने के लिए सर्च इंजन में news या jaipuri razai जैसे कीवर्ड लिखते हैं। तब ऐसी वेबसाइटें सर्च रिजल्ट्स में सबसे ऊपर दिखाई देती हैं।
– सर्च फ्रेंडली नाम रजिस्टर करवाते समय सोचें कि सर्च इंजनों पर क्या कीवर्ड टाइप करने वाले आपकी साइट तक पहुंचेंगे?
– डोमेन नेम उस कीवर्ड के जितना करीब होगा, इंटरनेट पर साइट की विजिबिलिटी उतनी ही बढ़ेगी।
– जैसे हिंदी की पुस्तकें प्रकाशित करने वाले प्रकाशक के लिए hindipublisher.com या hindibooks.com अच्छे नाम हो सकते हैं।
अंकों का इस्तेमाल :
– डोमेन नेम में अंकों, हाइफन आदि के इस्तेमाल से बचें।
– ऐसे नाम याद रखना मुश्किल होता है, टाइपिंग मुश्किल होती है और वे देखने-पढ़ने में भी अटपटे लगते हैं।
.कॉम बेहतर या .इन
– आम वेबसाइट्स के लिए .कॉम बेहतर एक्सटेंशन है, क्योंकि वेबसाइट के नाम की कल्पना करने पर सबसे पहले .कॉम ही मन में आता है।
– .कॉम ही दुनिया का सबसे मशहूर डोमेन नेम एक्सटेंशन भी है और डोमेन नेम रिसेल बाजार में इन्हीं नामों को सबसे ज्यादा कीमती भी माना जाता है।
– जहां तक मुमकिन हो, कारोबारी लोगों को भी इसी एक्सटेंशन वाला डोमेन नेम लेना चाहिए।
– शैक्षणिक संस्थानों को .edu या .org, गैरसरकारी संस्थानों को .org एक्सटेंशन को प्राथमिकता देनी चाहिए।
– भारतीय कंपनियों के बीच .in एक्सटेंशन .com के बाद दूसरी सबसे बड़ी पसंद है।
– टेलिविजन चैनलों में .tv एक्सटेंशन मशहूर है, जो असल में एक छोटे से देश तुवालू का कंट्री लेवल डोमेन नेम है।
– डोमेन एक्सटेंशन के साथ दिलचस्प कॉम्बिनेशन बनाने का भी रिवाज है, मसलन : come.in, del.icio.us ऐसे एक्सटेंशन watch.tv. न होते हुए भी पसंद किए जाते हैं क्योंकि एक तो वे दिलचस्प हैं और दूसरे वेबसाइट के कामकाज की ओर भी सटीक इशारा करते हैं।
आईपी अड्रेस और डोमेन नेम में फर्क
क्या डोमेन नेम के बिना किसी वेबसाइट पर पहुंच पाना संभव नहीं है?
– नहीं, ऐसा नहीं है। इंटरनेट पर मौजूद हर वेबसाइट या सेवा का एक निश्चित अड्रेस होना जरूरी है। लेकिन बुनियादी रूप से यह अड्रेस चार अं के जोड़ों के रूप में होता है, जिसे आईपी अड्रेस कहा जाता है।
– मिसाल के तौर पर 72.30.38.140 याहू के वेब पोर्टल का आईपी अड्रेस है। आप चाहें तो अपने ब्राउजर में http://72.30.38.140 डालकर देख सकते हैं, याहू की वेबसाइट खुल जाएगी।
– लेकिन इस तरह के अड्रेस को याद रखना आम इंसान के बस का रोग नहीं। आखिर कोई कितने अड्रेस याद रख सकता है, हद से हद चार-पांच! यहीं जरूरत पड़ती है डोमेन नेम की।
– डोमेन नेम सिस्टम के जरिए ऐसे हर अड्रेस के साथ एक ऐसा नाम जोड़ दिया गया है, जिसे लोग आसानी से याद रख सकें। इसी नाम को हम डोमेन नेम कहते हैं।
– जब आप अपने ब्राउज़र में www.yahoo.com लिखते हैं तो डोमेन नेम सिस्टम की मदद से उससे जुड़ा आईपी एड्रेस खोजा जाता है और ब्राउजर उसी आईपी एड्रेस पर मौजूद वेबसाइट को खोल देता है।