रजनीकांत :- तमिल फ़िल्म इंडस्ट्री की अर्थ व्यवस्था टिकी है रजनीकांत के कंधो पर। जाने बस कंडक्टर से स्टाइल मास्टर तक का सफ़र।

स्टाइल ही स्टाइल
कहने को तो वह तमिल फिल्मों के सुपरस्टार हैं, लेकिन उनकी पहचान हिंदी सिनेमा में किसी अमिताभ बच्चन से कम नहीं है। रजनीकांत एशिया के एक्शन हीरो जैकी चान के बाद सबसे महंगे कलाकार हैं। 2007 में आई फिल्म ‘शिवा’ के लिए उन्होंने 48 करोड़ रुपये लिए थे। उनके होने का मतलब ही फिल्म का हिट होना है। वह स्टाइल के देवता हैं। रजनीकांत को अगर स्टाइलकांत कहा जाए तो गलत न होगा। उनके पास स्टाइल और सिर्फ स्टाइल है। उनका उछालकर सिगरेट पीने का स्टाइल, नचाकर चश्मा पहनने का स्टाइल, पिस्टल घुमाने का स्टाइल, डायलॉग बोलने का स्टाइल और डांस का स्टाइल।
पारिवारिक जिंदगी
दिलचस्प है कि जिस तमिल फिल्म उद्योग की अर्थव्यवस्था उनके होने पर टिकी है, वह उस मिट्टी में नहीं जन्मे हैं। बेंगलुरु में 12 दिसंबर 1950 को एक मराठा परिवार में उनका जन्म हुआ। उनका असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। उनके दो छोटे भाई और एक बहन है। 26 फरवरी, 1981 को उन्होंने लता रंगाचारी से विवाह किया। उनकी दो पुत्रियां हैं – ऐश्वर्या रजनीकांत और सौंदर्या रजनीकांत। जब वह पांच साल के थे, उनकी मां जीजाबाई का देहांत हो गया। उसके बाद उनके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। मां की मौत के बाद अपनी बदली जीवनशैली में उन्हें अपने समुदाय में कुली का काम करना पड़ा।
कुलीगिरी करते हुए शुरुआती शिक्षा उन्होंने आचार्य पाठशाला में पाई और उच्च शिक्षा रामकिशन मिशन में हासिल की। 1966 से 1973 के बीच उन्होंने चेन्नै से लेकर बेंगलुरु तक कई नौकरियां कीं। इसके बाद उन्हें बेंगलुरु ट्रांसपोर्ट सर्विस में बस कंडक्टर की नौकरी मिल गई। फिर शुरू हुई थियेटर की जिंदगी। उन्हें थियेटर में पहला मौका मशहूर नाट्य लेखक और निदेशक टोपी मुनिअप्पा ने दिया।
महाभारत की कथा पर आधारित एक नाटक में उन्होंने उन्हें दुर्योधन का रोल दिया। उनका अभिनय सराहा गया। इस दौरान उनके सहकर्मी राज बहादुर ने उन्हें मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट जॉइन करने की सलाह दी। पढ़ाई का सारा खर्चा उन्होंने उठाया। नाटकों में अभिनय के दौरान मशहूर फिल्म निदेशक के. बालचंदर की नजर उन पर गई। बालचंदर ने उन्हें तमिल सीखने और बोलने की सलाह दी। रजनीकांत ने उनकी सलाह मान ली और बाद में तमिल उनके करियर में सहायक हुई। फिल्म इंस्टिट्यूट की ट्रेनिंग के बाद उनकी फिल्मी गाड़ी चल निकली।
फिल्मी करियर
रजनीकांत ने अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत ‘अपूर्व रागांगल’ से की। इस फिल्म के हीरो कमल हासन थे। इसमें रजनीकांत की छोटी भूमिका थी, लेकिन फिल्म को बेस्ट तमिल फीचर फिल्म का नैशनल अवॉर्ड मिला। इसके बाद वह बढ़ते ही गए और अभी तक रुके नहीं हैं। हिंदी में भी उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। कुछ विदेशी फिल्मों में भी उन्होंने काम किया। धीरे-धीरे वह तमिल फिल्मों के सुपरस्टार बन गए। ऐक्टिंग के अलावा उन्होंने फिल्मों के लिए पटकथा लेखन भी किया। साथ ही वह सफल फिल्म निर्माता भी बने। हिंदी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन भी उनकी सादगी के प्रशंसक हैं।
वह उन्हें धरतीपुत्र कहते हैं। अध्यात्म और राजनीति में भी रजनीकांत की गहरी दिलचस्पी है। काम को लेकर जुनून ऐसा कि इस उम्र में भी फिल्मों में हीरो की भूमिका अदा कर रहे हैं। तबीयत बिगड़ने से पहले वह फिल्म ‘राणा’ की शूटिंग में मसरूफ थे। रजनीकांत को फिल्म नाल्लावानकु नाल्लावन के लिए बेस्ट तमिल ऐक्टर का पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड 1984 में मिला। इसके बाद उन्हें फिल्म जगत के कई बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया। भारतीय सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 2000 में पद्मभूषण दिया गया। मशहूर अंतरराष्ट्रीय पत्रिका फोर्ब्स ने पिछले साल रजनीकांत का नाम सबसे असरदार भारतीयों की लिस्ट में शामिल किया।
  हाल ही में रिलीज़ हुई रजनीकांत की फ़िल्म कबाली ने साउथ भारतीय फिल्मो के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिया यहाँ तक कि कमाई के मामले में ब्लाकबस्टर फ़िल्म बाहुबली को भी काफी पीछे छोड़ दिया।

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