भारतीय रुपए के बारे में रोचक जानकारियां।
भारतीय मुद्रा (रुपया) से जुड़ी रोचक बातें
भारत में करंसी का इतिहास 2500 साल पुराना हैं। इसकी शुरूआत एक राजा द्वारा की गई थी।
अगर आपके पास आधे से ज्यादा (51 फीसदी) फटा हुआ नोट है तो भी आप बैंक में जाकर उसे बदल सकते हैं।
बात सन् 1917 की हैं, जब 1 रुपया 13$ डालर के बराबर हुआ करता था। फिर 1947 में भारत आजाद हुआ, 1 = 1$ कर दिया गया. फिर धीरे-धीरे भारत पर कर्ज बढ़ने लगा तो इंदिरा गांधी ने कर्ज चुकाने के लिए रूपये की कीमत कम करने का फैसला लिया उसके बाद आज तक रूपये की कीमत घटती आ रही हैं।
अगर अंग्रेजों का बस चलता तो आज भारत की करंसी पाउंड होती. लेकिन रुपए की मजबूती के कारण ऐसा संभव नही हुआ।
इस समय भारत में 400 करोड़ रूपए के नकली नोट हैं।
सुरक्षा कारणों की वजह से आपको नोट के सीरियल नंबर में I, J, O, X, Y, Z अक्षर नही मिलेंगे।
हर भारतीय नोट पर किसी न किसी चीज की फोटो छपी होती हैं जैसे- 20 रुपए के नोट पर अंडमान आइलैंड की तस्वीर है। वहीं, 10 रुपए के नोट पर हाथी, गैंडा और शेर छपा हुआ है, जबकि 100 रुपए के नोट पर पहाड़ और बादल की तस्वीर है। इसके अलावा 500 रुपए के नोट पर आजादी के आंदोलन से जुड़ी 11 मूर्ति की तस्वीर छपी हैं।
भारतीय नोट पर उसकी कीमत 15 भाषाओं में लिखी जाती हैं।
1 में 100 पैसे होगे, ये बात सन् 1957 में लागू की गई थी। पहले इसे 16 आने में बाँटा जाता था।
RBI, ने जनवरी 1938 में पहली बार 5 की पेपर करंसी छापी थी. जिस पर किंग जार्ज-6 का चित्र था। इसी साल 10,000 का नोट भी छापा गया था लेकिन 1978 में इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया।
आजादी के बाद पाकिस्तान ने तब तक भारतीय मुद्रा का प्रयोग किया जब तक उन्होनें काम चलाने लायक नोट न छाप लिए।
भारतीय नोट किसी आम कागज के नही, बल्कि कॉटन के बने होते हैं। ये इतने मजबूत होते हैं कि आप नए नोट के दोनो सिरों को पकड़कर उसे फाड़ नही सकते।
एक समय ऐसा था, जब बांग्लादेश ब्लेड बनाने के लिए भारत से 5 रूपए के सिक्के मंगाया करता था. 5 रूपए के एक सिक्के से 6 ब्लेड बनते थे. 1 ब्लेड की कीमत 2 रूपए होती थी तो ब्लेड बनाने वाले को अच्छा फायदा होता था. इसे देखते हुए भारत सरकार ने सिक्का बनाने वाला मेटल ही बदल दिया।
आजादी के बाद सिक्के तांबे के बनते थे। उसके बाद 1964 में एल्युमिनियम के और 1988 में स्टेनलेस स्टील के बनने शुरू हुए।
भारतीय नोट पर महात्मा गांधी की जो फोटो छपती हैं वह तब खीँची गई थी जब गांधीजी, तत्कालीन बर्मा और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस के साथ कोलकाता स्थित वायसराय हाउस में मुलाकात करने गए थे। यह फोटो 1996 में नोटों पर छपनी शुरू हुई थी। इससे पहले महात्मा गांधी की जगह अशोक स्तंभ छापा जाता था।
भारत के 500 और 1,000 रूपये के नोट नेपाल में नही चलते।
500 ₨ का पहला नोट 1987 में और 1,000 ₨ पहला नोट सन् 2000 में बनाया गया था।
भारत में 75, 100 और 1,000 के भी सिक्के छप चुके हैं।
1 ₨ का नोट भारत सरकार द्वारा और 2 से 1,000 ₨ तक के नोट RBI द्वारा जारी किये जाते हैं.
10 ₨ के सिक्के को बनाने में 6.10 ₨ की लागत आती हैं.
नोटो पर सीरियल नंबर इसलिए डाला जाता हैं ताकि आरबीआई (RBI) को पता चलता रहे कि इस समय मार्केट में कितनी करंसी हैं।
रूपया भारत के अलावा इंडोनेशिया, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका की भी करंसी हैं।
According to RBI, भारत हर साल 2,000 करोड़ करंसी नोट छापता हैं।
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के इस चिन्ह को 2010 में उदय कुमार ने बनाया था। इसके लिए इनको 2.5 लाख रूपयें का इनाम भी मिला था।
हम कितने नोट छाप सकते हैं इसका निर्धारण मुद्रा स्फीति, जीडीपी ग्रोथ, बैंक नोट्स के रिप्लेसमेंट और रिजर्व बैंक के स्टॉक के आधार पर किया जाता है।
हर सिक्के पर सन् के नीचे एक खास निशान बना होता हैं आप उस निशान को देखकर पता लगा सकते हैं कि ये सिक्का कहाँ बना हैं.
रूपया, डॉलर के मुकाबले बेशक कमजोर हैं लेकिन फिर भी कुछ देश ऐसे हैं, जिनकी करंसी के आगे रूपया काफी बड़ा हैं आप कम पैसों में इन देशों में घूमने का लुत्फ उठा सकते हैं.
नेपाल (1 ₨= 1.60 नेपाली रुपया)
आइसलैंड (1 ₨ = 1.94 क्रोन)
श्रीलंका (1 ₨ = 2.10 श्रीलंकाई रुपया)
हंगरी (1 ₨ = 4.27 फोरिंट)
कंबोडिया (1 ₨ = 62.34 रियाल)
पराग्वे (1 ₨ = 84.73 गुआरनी)
इंडोनेशिया (1 ₨ = 222.58 इंडोनेशियन रूपैया)
बेलारूस (1 ₨ = 267.97 बेलारूसी रुबल)
वियतनाम (1 ₨= 340.39 वियतनामी डॉन्ग).